सोना में निवेश करने के इच्छुक निवेशकों के लिए एक बार फिर सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड स्कीम (एसजीबीएस) लॉन्च हो रही है। सोमवार यानी 22 अगस्त से इस स्कीम के तहत निवेशक पैसा लगा सकेंगे। मौजूदा वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान सोमवार से सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड स्कीम की दूसरी सीरीज शुरू हो रही है। इस सीरीज के तहत निवेशक 26 अगस्त यानी अगले कारोबारी सप्ताह के आखिरी दिन शुक्रवार तक निवेश कर सकते हैं।
मौजूदा वित्त वर्ष की इस दूसरी सीरीज के तहत सोने की कीमत 5,197 रुपये प्रति ग्राम तय की गई है। सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड स्कीम की पहले आ चुकी सीरीज की तरह ही इस बार भी ऑनलाइन पेमेंट करने पर 50 रुपये प्रति ग्राम के डिस्काउंट की व्यवस्था रखी गई है। यानी ऑनलाइन पेमेंट करके सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड स्कीम में पैसा लगाने वाले निवेशकों को प्रति ग्राम 5,147 रुपये का ही भुगतान करना होगा।
इस गोल्ड बॉन्ड स्कीम में भारतीय नागरिक, हिन्दू अनडिवाइडेड फेमिली (एचयूएफ), ट्रस्ट्स, यूनिवर्सिटीज और चैरिटेबल इंस्टीट्यूशन्स पैसा लगा सकते हैं। इस स्कीम की अवधि 8 साल है। इस दौरान निवेशक को प्रतिवर्ष 2.5 प्रतिशत के फिक्स्ड रेट के हिसाब से ब्याज मिलेगा। ब्याज का भुगतान हर 6 महीने के अंतराल पर किया जाएगा। सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड स्कीम 8 साल के लिए जरूर है, लेकिन जरूरत पड़ने पर 5 साल की अवधि पूरी होने के बाद भी इस स्कीम से पैसा निकाला जा सकता है।
भारतीय रिजर्व बैंक की ओर से उपलब्ध कराई गई जानकारी के मुताबिक सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड स्कीम में कोई भी निवेशक न्यूनतम 1 ग्राम सोने के लिए निवेश कर सकता है। व्यक्तिगत निवेशकों के लिए इस स्कीम के तहत निवेश की सीमा एक वित्त वर्ष में अधिकतम 4 किलोग्राम तय की गई है। इसी तरह हिन्दू अनडिवाइडेड फेमिली (एचयूएफ) के लिए भी निवेश की अधिकतम सीमा 4 किलोग्राम तय की गई है, लेकिन ट्रस्ट, यूनिवर्सिटी और चैरिटेबल इंस्टीट्यूशन्स जैसी संस्थाएं 1 वित्त वर्ष में अधिकतम 20 किलो ग्राम सोने तक के लिए निवेश कर सकती हैं।
सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड स्कीम में निवेश करने के लिए रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने निवेशकों को ऑनलाइन पेमेंट करने की सुविधा देने के साथ ही कैश, चेक, ड्राफ्ट और डिजिटल माध्यम के जरिए भी भुगतान करने की अनुमति दी है। हालांकि इस क्रम में यह भी स्पष्ट किया गया है कि कैश माध्यम से अधिकतम 20,000 रुपये तक का ही निवेश किया जा सकता है। इसलिए अगर किसी निवेशक को इस स्कीम में 20 हजार रुपये की राशि से अधिक राशि का निवेश करना है, तो उसे चेक, डिमांड ड्राफ्ट या डिजिटल माध्यम का इस्तेमाल करना होगा।
जानकारों का मानना है कि ये स्कीम पूरी तरह से केंद्र सरकार की स्कीम है, जिसे भारतीय रिजर्व बैंक संचालित कर रहा है। इसलिए इसके निवेश में पैसा डूबने या फंसने का किसी भी तरह का जोखिम नहीं है। जोखिम की कल्पना सिर्फ उसी हालत में की जा सकती है, जब आने वाले दिनों में सोने की कीमत में जोरदार गिरावट आ जाए। क्योंकि इस स्कीम के तहत निवेशकों को स्कीम की अवधि पूरा होने के बाद उतने ही पैसे का भुगतान किया जाएगा, जितनी उस समय बाजार में सोने की कीमत होगी। जानकारों के मुताबिक इस निवेश के साथ एक अच्छी बात ये भी है कि इस स्कीम के तहत सोने में किया गया निवेश निवेशकों को इलेक्ट्रॉनिक फॉर्म में निवेश करने की सुविधा देता है। इस स्कीम के तहत किए गए निवेश में चोरी-डकैती की कोई आशंका नहीं होती, जबकि हाजिर बाजार से खरीदे गए फिजिकल गोल्ड में ऐसा खतरा हमेशा बना रहता है।