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इतिहास के पन्नों में 17 अगस्तः क्रांति की चिंगारी को ज्वाला में बदल गए मदनलाल ढींगरा

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मदनलाल ढींगरा का फाइल फोटो।

देश-दुनिया के इतिहास में 17 अगस्त का अहम स्थान है। यह ऐसी तारीख है जिसने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की दशा और दिशा बदल दी। …और इतिहास में क्रांति के महानायक के रूप में दर्ज हो गए मदनलाल ढींगरा। मदनलाल ढींगरा का भारतीय स्वाधीनता दिवस के इतिहास में अप्रतिम स्थान है। एक संपन्न परिवार में जन्मे और लंदन में उच्च शिक्षा ग्रहण कर रहे मदनलाल ढींगरा के लिए देश की आजादी सर्वोपरि थी। उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की चिंगारी को अग्नि में बदल दिया। मात्र 25 वर्ष के अपने अल्प जीवन में उन्होंने देशप्रेम की ऐसी अलख जगाई कि इतिहास में उनका नाम स्वर्णाक्षरों में अंकित हो गया.। मदनलाल ढींगरा इंग्लैंड अध्ययन करने गए थे लेकिन देशभक्ति के रंग में ऐसे रंग गए कि उन्होंने अंग्रेज अधिकारी विलियम हट कर्जन वायली की गोली मारकर हत्या कर दी। कर्जन वायली की हत्या के आरोप में उन पर मुकदमा चलाया गया। 23 जुलाई, 1909 को इस मामले की सुनवाई पुराने बेली कोर्ट में हुई। अदालत ने उन्हें मृत्युदंड देने का आदेश दिया और 17 अगस्त, 1909 को लंदन की पेंटविले जेल में फांसी पर लटका कर उनकी जीवनलीला समाप्त कर दी गई। मदनलाल मर कर भी अमर हो गए। मदन लाल ढींगरा ने अदालत में खुले शब्दों में कहा था- मुझे गर्व है कि मैं अपना जीवन समर्पित कर रहा हूं।

पंजाब प्रांत के अमृतसर जिले के एक सम्पन्न हिन्दू परिवार में 18 सितंबर, 1883 को जन्मे मदनलाल ढींगरा के पिता दित्तामल सिविल सर्जन थे। उनका परिवार अंग्रेजों का विश्वासपात्र था। मदनलाल ढींगरा के छह भाई और एक बहन थे। मदनलाल के बड़े भाई भी अंग्रेजीराज में उच्च पद पर आसीन थे। मां अत्यन्त धार्मिक एवं भारतीय संस्कारों से युक्त महिला थीं। परिवार के कई सदस्यों का अंग्रेजों की नौकरी में होना और परिवार का पाश्चात्य रहन-सहन भी मदनलाल के मन में अंग्रेजों के प्रति कोई नरमी नहीं ला सकी।

विद्यार्थी जीवन में उन्हें स्वतंत्रता संग्राम में शामिल क्रांतिकारियों के प्रति हमदर्दी रखने के आरोप में लाहौर के एक कालेज से निकाल दिया गया तो परिवार ने मदनलाल से नाता तोड़ लिया। अब युवा मदनलाल ढींगरा के सामने जीवनयापन के लिए नौकरी करने के अलावा और कोई विकल्प नहीं बचा। पहले उन्होंने एक क्लर्क के रूप में, फिर शिमला में आने वाले अंग्रेज पर्यटकों और अधिकारियों के लिए तांगा संचालित करने का काम किया। इसके बाद कुछ दिन उन्होंने मुम्बई में काम किया फिर अपनी बड़े भाई की सलाह पर 1906 में उच्च शिक्षा प्राप्त करने इंग्लैंड चले गए । लंदन में पढ़ाई के दौरान ढींगरा इंडिया हाउस के संपर्क में आए। वहां पर उनकी मुलाकात विनायक दामोदर सावरकर एवं श्यामजी कृष्ण वर्मा से हुई। सावरकर और श्यामजी कृष्ण वर्मा ढींगरा की प्रखर देशभक्ति से बहुत प्रभावित हुए।

इंडिया हाउस उन दिनों भारतीय विद्यार्थियों के राजनीतिक क्रियाकलापों का केन्द्र हुआ करता था। ये लोग उस समय खुदीराम बोस, कन्हाई लाल दत्त, सतिन्दर पाल और काशी राम जैसे क्रान्तिकारियों को मृत्युदंड दिए जाने से बहुत क्रोधित थे। मदनलाल ढींगरा और अन्य क्रांतिकारी इसके लिए वायसराय लार्ड कर्जन और बंगाल एवं असम के पूर्व लेफ्टिनेंट गवर्नर बैम्पफ्यल्दे फुलर को दोषी मानते थे। इसलिए लंदन में ढींगरा ने दोनों की हत्या करने की योजना बनाई।

मदनलाल ढींगरा लार्ड कर्जन और बैम्पफ्यल्दे फुलर की हत्या के ताक में थे। लंदन में रहकर वे दोनों से संबंधित सूचना जुटाते रहे। इसी बीच उन्हें सूचना मिली कि 01 जुलाई, 1909 की शाम इंडियन नेशनल एसोसिएशन के वार्षिकोत्सव में भाग लेने के लिये कर्जन और फुलर आ रहे हैं। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में भारतीय और अंग्रेज इकठे हुए। मगर दोनों अधिकारियों के आने में किसी कारण से विलंब हो गया। कुछ देर बाद विलियम हट कर्जन वायली अपनी पत्नी के साथ हाल में घुसे। ढींगरा ने उनके चेहरे पर पांच गोलियां दाग दीं। इसके बाद ढींगरा ने अपने पिस्तौल से स्वयं को भी गोली मारनी चाही किन्तु उन्हें पकड़ लिया गया।

महत्वपूर्ण घटनाचक्र

1717ः फ्रांस, रूस और प्रशिया के बीच समझौते पर हस्ताक्षर।

1743ः स्वीडन और रूस के बीच शांति समझौते पर हस्ताक्षर।

1787ः यहूदियों को हंगरी की राजधानी बुडापेस्ट में समूह बनाकर प्रार्थना करने की इजाजत।

1836ः ब्रिटेन की संसद में जन्म, विवाह और मृत्यु से संबंधित पंजीकरण स्वीकार।

1858ः हवाई द्वीप में पहला बैंक खोला गया।

1909ः महान क्रांतिकारी मदन लाल ढींगरा को वायली और लालकाका की हत्या मामले में पेंटोनविली कैदखाने में फांसी दी गई।

1914ः लिथुवानिया ने जर्मनी के समक्ष आत्मसमर्पण किया।

1915ः चक्रवाती तूफान से गेलवेस्टोन और टेक्सास में 275 लोगों की मौत।

1917ः इटली ने तुर्की के खिलाफ युद्ध की घोषणा की।

1924ः फ्रांस और जर्मनी के बीच व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर।

1945ः सुकर्णों और मोहम्मद हट्टा ने इंडोनेशिया में नीदरलैंड से अपनी आजादी की घोषणा की।

1947ः भारत की आजादी के बाद पहली ब्रिटिश सैन्य टुकडी स्वदेश रवाना।

1959ः सोवियत संघ और इराक ने इराक में परमाणु संयंत्र के निर्माण के लिये संधि पर हस्ताक्षर किए।

1982ः जर्मनी में पहली सीडी (कंपेक्ट डिस्क) लोगों के लिये उपलब्ध की गई।

1988ः पाकिस्तान के राष्ट्रपति जिया-उल-हक और अमेरिका के राजदूत अर्नाेल्ड राफेल की हवाई दुर्घटना में मौत।

1994ः संयुक्त राष्ट्र अमेरिका और जापान ने वाशिंगटन में पेटेंट समझौते पर हस्ताक्षर किए।

1998ः राष्ट्रपति बिल क्लिंटन अपने अनैतिक आचरण के लिए पहली बार ग्रैंड जूरी के समक्ष उपस्थित हुए।

2000ः फिजी में भारतीय मूल के लोगों की बर्बादी रोकने के लिए अपदस्थ प्रधानमंत्री महेन्द्र चौधरी ने भारत से मदद मांगी।

2002ः रूस ने दलाई लामा को वीजा देने से इनकार किया।

2004ः उदारवादी राजनीतिक लिओनल फर्नाडीस ने डोमिनिक गणराज्य के नए राष्ट्रपति के रूप में शपथ ग्रहण की।

2005ः पूरा बांग्लादेश बम धमाकों से दहला। 63 जिलों में लगभग 400 स्थानों पर विस्फोट।

2007ः अमेरिकी राष्ट्रपति जार्ज बुश की बेटी की सगाई रिपब्लिकन सांसद जॉन हेगर के बेटे के साथ हुई।

2008ः झामुमो ने 23 माह पुरानी मधुकोड़ा सरकार से समर्थन वापस लिया।

2009ः आंतरिक सुरक्षा के मसले पर देश के सभी मुख्यमंत्रियों का एकदिवसीय सम्मेलन नई दिल्ली में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में आयोजित किया गया।

जन्म

1916ः उपन्यासकार अमृतलाल नागर।

1922ः अंगोलाई राजनीतिज्ञ अगस्टीन्हो नीटो।

1941ः भारतीय रिजर्व बैंक के इक्कीसवें गवर्नर वाईवी रेड्डी।

1941ः भारतीय रिजर्व बैंक के बीसवें गवर्नर बिमल जालान।

निधन

1909ः महान क्रांतिकारी मदनलाल ढींगरा।

1949ः क्रांतिकारी पुलिन बिहारी दास।

1982ः प्रसिद्ध साहित्यकार फादर कामिल बुल्के।

दिवस

मदन लाल ढींगरा स्मृति दिवस

आशा खबर/ रेशमा सिंह पटेल

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