सार
हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (एचपीसीएल) ने कहा, उसे अब तक का सबसे ज्यादा घाटा हुआ है जो 10,197 करोड़ रुपये रहा।
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों के कारण कंपनियों ने 137 दिन तक कीमतों में बदलाव नहीं किया था। हालांकि मार्च के अंत में 10 रुपये हर लीटर पर बढ़ा दिया था।
हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (एचपीसीएल) ने कहा, उसे अब तक का सबसे ज्यादा घाटा हुआ है जो 10,197 करोड़ रुपये रहा। जबकि भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लि. (बीपीसीएल) को 6,290 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। इंडियन ऑयल को 1,993 करोड़ रुपये का घाटा हुआ है।
अप्रैल-जून में स्थिर रहीं तेल कीमतें
अप्रैल-जून में तीनों पेट्रोलियम कंपनियों ने कीमतों में कोई बदलाव नहीं किया। तिमाही के दौरान आयात कच्चे तेल की कीमत 109 डॉलर प्रति बैरल रही। लेकिन खुदरा बाजार में यह 85-86 डॉलर प्रति बैरल के आधार पर बेचा गया। हालांकि तेल कंपनियां कीमतों को बढ़ाने और घटाने के लिए स्वतंत्र हैं। बावजूद इसके वे कीमतों में कोई बदलाव नहीं कर पाईं।
आशा खबर / उर्वशी विश्वकर्मा