इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए मंगलवार को प्रदेश के प्रमुख सचिव समाज कल्याण को निर्देश दिया है कि वह प्रदेश के सभी जिलों में गठित जिला स्तरीय जाति स्क्रूटनी कमेटियों द्वारा किए गए कार्यों का विवरण दें। बताएं कि कमेटियों ने कितने मामलों का निस्तारण किया।
गाजीपुर की नागरिक सेवा समिति दिलदारनगर की प्रबंध समिति व अन्य की तरफ से दाखिल जनहित याचिका पर मामले की सुनवाई मुख्य न्यायमूर्ति राजेश बिंदल और न्यायमूर्ति जेजे मुनीर की खंडपीठ कर रही थी। मामले की अगली सुनवाई छह सितंबर को होगी।
कोर्ट ने कहा कि प्रदेश सरकार कोर्ट को यह अवगत कराए कि प्रत्येक जिलों में गठित जिला स्तरीय जाति स्क्रूटनी कमेटियां क्या काम कर रही हैं और कितने जाति से संबंधित गलत प्रमाणपत्रों का उनके द्वारा निस्तारण किया गया है। कोर्ट ने सभी जिलों से जाति संबंधी शिकायतों व उसके निस्तारण की सूची कोर्ट को मुहैया कराने का निर्देश दिया है।
याचिका में कहा गया था कि समाज कल्याण विभाग के उप सचिव राकेश कुमार सचान द्वारा 27 अगस्त 2021 को जिलाधिकारी गाजीपुर को भेजे गए पत्र के बावजूद डीएम की जाति स्क्रूटनी कमेटी ने याची के मामले पर कोई निर्णय नहीं लिया। याचिका में गाजीपुर में जाति स्क्रूटनी कमेटी का गठन कर मामले का निस्तारण किए जाने की मांग की गई थी।
याचिका की सुनवाई के दौरान प्रदेश सरकार के अपर मुख्य स्थायी अधिवक्ता रामानंद पांडेय ने कोर्ट को बताया कि प्रदेश सरकार ने हर जिले में जाति संबंधी विवादों के निस्तारण के लिए जिला स्तरीय जाति स्क्रूटनी कमेटियों का गठन कर रखा है।
बताया गया कि इस कमेटी का चेयरमैन जिलाधिकारी होता है और कमेटी जाति संबंधी शिकायतों का निस्तारण करती है। कोर्ट ने कहा यदि कमेटी सही तरीके से काम कर रही होती तो शासन के 27 अगस्त 2021 के पत्र के बावजूद डीएम गाजीपुर ने याची के जाति संबंधी गलत प्रमाणपत्र जारी होने के शिकायत पर निर्णय क्यों नहीं लिया।
यह था मामला
याची का कहना था कि दिलदारनगर, गाजीपुर के रामधनी राम, जमानिया तहसील के संदीप कुमार खरवार, अन्य पिछड़ी जाति के हैं परंतु उन्हें तहसीलदार ने अनुसूचित जनजाति का प्रमाण पत्र जारी किया है और वे इस आधार पर सरकारी नौकरी कर रहे हैं। याचिका में उनके जाति प्रमाण पत्र को निरस्त करने की भी मांग की गई है।
कोर्ट ने जाति प्रमाण पत्रों के विवादों के निस्तारण के लिए शासनादेश से गठित जिला स्तरीय जाति स्क्रूटनी कमेटियों के कार्यों व उनके द्वारा इस प्रकार के विवादों के निस्तारण में देरी को लेकर नाराजगी जताई है। कोर्ट ने इस जनहित याचिका पर संज्ञान लेते हुए राज्य सरकार से जानकारी मुहैया कराने को कहा है और पूछा है कि जिला स्तरीय कमेटियां क्या काम कर रही हैं। कितने विवाद अलग-अलग जिले में लंबित हैं और कितनों का निस्तारण हुआ है।
आशा खबर / शिखा यादव