वित्त वर्ष 2022-23 में आयात महंगा होने और वस्तुओं के निर्यात में नरमी रहने की वजह से देश के चालू खाते का घाटा (कैड) बढ़ेगा। वित्त मंत्रालय ने जारी अपनी मासिक आर्थिक समीक्षा रिपोर्ट में यह आशंका जताई है।
वित्त मंत्रालय ने गुरुवार को मासिक आर्थिक समीक्षा का यह आकलन पेश किया। मंत्रालय के मुताबिक अगर मंदी की चिंताओं से खाद्य उत्पादों एवं ईंधन की कीमतों में सतत और सार्थक गिरावट नहीं आती है, तो भारत का चालू खाते का घाटा वित्त वर्ष 2022-23 में बढ़ जाएगा। दरअसल ऐसा आयात महंगा होने और वस्तुओं के निर्यात में नरमी आने की वजह से होगा।
मंत्रालय का मानना है कि घरेलू स्तर पर महंगाई बढ़ने में अहम भूमिका निभाने वाले कच्चे तेल और खाद्य तेलों के लिए देश मुख्यतः आयात पर ही निर्भर है। ऐसे में मौजूदा वैश्विक परिस्थितियां देश की वृद्धि के लिए जोखिम पैदा करना जारी रखेंगी। हालांकि, अमेरिका में मंदी की आशंकाओं ने कच्चे तेल और खाद्य तेलों की वैश्विक कीमतों को कुछ हद तक नरम किया है।
वित्त मंत्रालय के मुताबिक बढ़ते चालू खाते के घाटे की वित्तीय जरूरतें पूरी करने और विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों की निकासी बढ़ने से पिछले 6 महीनों में देश का विदेशी मुद्रा भंडार 34 अरब डॉलर घट गया है। साथ ही बीते छह महीनों में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय मुद्रा रुपये का मूल्य करीब 6 फीसदी गिरने से भी चालू खाते का घाटा बढ़ने का जोखिम है।
आशा खबर / उर्वशी विश्वकर्मा