पुलिस द्वारा रिश्वत का मांगा जाना कोई नई बात नहीं है लेकिन क्या आपने सोचा है कि कोई पुलिसकर्मी देश के प्रधानमंत्री से रिश्वत मांगे तो क्या होगा? लेकिन ऐसा हुआ था, जिसके बाद पूरा पुलिस थाना सस्पेंड हो गया था।
क्या है वाकया?
ये वाकया साल 1979 का है। यूपी के इटावा जिले के उसराहार थाने में एक किसान पहुंचा और पुलिसकर्मियों से कहा कि वह मेरठ से अपने रिश्तेदार के यहां बैल खरीदने आया है। इस दौरान रास्ते में उसकी जेब कट गई और पैसे चुरा लिए गए। इसकी शिकायत दर्ज कर लीजिए।
इस पर पुलिसकर्मियों ने किसान से ऊल-जलूल सवाल करने शुरु कर दिए और बाद में एक कांस्टेबल ने शिकायत लिखने से मना कर दिया। कांस्टेबल के मना करने पर किसान मायूस हो गया। इसी दौरान एक सिपाही ने कहा कि अगर कुछ रिश्वत मिल जाए तो काम हो सकता है।
किसान ने रिश्वत देने की बात मान ली और 100 रुपए की रिश्वत पर मोलभाव करते-करते 35 रुपए में बात तय हुई। इसके बाद मुंशी ने उनकी शिकायत लिख ली। मुंशी ने किसान से पूछा कि आप हस्ताक्षर करेंगे या अंगूठा लगाएंगे। इस पर किसान ने अपनी जेब से एक मुहर और कलम निकाली और मुहर से कागज पर ठप्पा लगा दिया। उस मुहर की छाप को पढ़कर मुंशी दंग रह गया। कागज पर जो मुहर लगी थी वह ‘प्रधानमंत्री भारत सरकार’ की थी।
इसके बाद पूरे थाने में हंगामा हो गया कि देश के पीएम चरण सिंह किसान बनकर अपनी शिकायत लिखवाने आए थे और पुलिसकर्मियों ने उनसे ही रिश्वत मांग ली। इस घटना के बाद पूरा थाना सस्पेंड हो गया था।