थाईलैंड में भी अयोध्या के श्रीराम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा समारोह को लेकर उत्साह का वातावरण है। यहां दीप जलाए जाएंगे। प्राण प्रतिष्ठा समारोह को लेकर बड़ी स्क्रीन पर कवरेज दिखाया जाएगा। यहां की ‘अयुध्या‘ भारत की अयोध्या से प्रेरित है। थाईलैंड में भी भगवान राम में आस्था का समृद्ध इतिहास है।
भारत में अयोध्या और थाईलैंड में अयुध्या..दोनों सिर्फ नाम से ही नहीं मिलते जुलते हैं, बल्कि भगवान राम के प्रति अगाध श्रद्धा और आस्था के मामले में भी दोनों समान हैं। दोनों शहरों के बीच दूरी भले ही साढ़े तीन हजार किमी हो, लेकिन आस्था और विश्वास समान है।
अयोध्या से ही पड़ा ‘अयुध्या‘ का नाम
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार विश्व हिंदू संघ डब्ल्यूएचएफ के संस्थापक और वैश्विक अध्यक्ष स्वामी विज्ञानंद ने कहा कि अयुध्या का नाम भगवान राम के जन्म स्थान अयोध्या से ही पड़ा है, जो हिंदू धर्म और रामायण से संबंध स्थापित करता है। उन्होंने कहा ‘अयुध्या‘ के प्रथम शासक राजा रामथिबोडी ने क्षेत्र की संस्कृति पर रामायण के प्रभाव के कारण ही यह नाम रखा था।‘
राम मंदिर के लिए थाईलैंड से आई मिट्टी और जल
राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह के बीच अयोध्या मंदिर ट्रस्ट को राम मंदिर के लिए अयुध्या से मिट्टी और थाईलैंड की तीन नदियों का जल प्राप्त हुआ है। इन तीन नदियों में चाओ फ्रया, लोप बुरी और पा साक शामिल हैं। चाओ फ्रया नदी के किनारे बसा शहर अयुध्या एक प्राचीन नगर है, जो बैंकॉक से 70 किलोमीटर उत्तर में स्थित है,। ये अपने समृद्ध और जीवंत सांस्कृतिक इतिहास के लिए यूनेस्को की वैश्विक धरोहर सूची में शामिल है।
बैंकॉक में बड़ी स्क्रीन में दिखेगा प्राण प्रतिष्ठा समारोह
बैंकॉक में विश्व हिंदू परिषद विहिप की एक सदस्य के मुताबिकए अयुध्या और थाईलैंड के अन्य शहरों में स्थित हिंदू मंदिरों के बाहर बड़ी.बड़ी स्क्रीन लगाई जा रही हैं। इन पर 22 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा समारोह का सीधा प्रसारण किया जाएगा। सभी मंदिरों में दीप जलाए जाएंगे और लोग दिन में राम भजन गाकर स्तुति करेंगे।भक्तों में प्रसाद भी वितरित किया जाएगा।
रामायण का थाई संस्करण है ‘रामकियेन‘
अध्यक्ष विज्ञानंद ने बताया कि अयुध्या को यह चीज बेहद खास बनाती है कि यहां हम रामायण का थाई संस्करण ‘रामकियेन‘ देख सकते हैं। बौद्ध धर्म के अनुयायियों ने दक्षिणपूर्व एशिया में रामायण का प्रसार किया था। यह अयुध्या साम्राज्य के दौरान हुआ था। इस प्रकार हम थाई संस्कृति पर राम के जीवन के प्रभाव को देखते हैं।