संयुक्त राष्ट्र महासभा के 78वें सत्र से इतर शनिवार को ‘भारत-संयुक्त राष्ट्र वैश्विक दक्षिण: विकास के लिए प्रयास’ विषयक कार्यक्रम में जयशंकर ने कहा, नई दिल्ली जी-20 शिखर सम्मेलन के कुछ ही हफ्ते बाद हमारी मुलाकात हो रही है। यह चुनौतीपूर्ण सम्मेलन था। चुनौतीपूर्ण इसलिए, क्योंकि पूरब-पश्चिम का ध्रुवीकरण तीव्र व उत्तर-दक्षिण का विभाजन गहरा हो चुका था।
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि भारत की जी-20 की अध्यक्षता काफी चुनौतीपूर्ण रही। भारत को इस अंतरराष्ट्रीय संगठन की अध्यक्षता ऐसे दौर में मिली, जब पूरब-पश्चिम का ध्रुवीकरण तीव्र व उत्तर-दक्षिण का विभाजन गहरा हो चुका था। इसके बावजूद भारत जी-20 को वैश्विक वृद्धि व विकास के मूल एजेंडे पर लौटाने में सफल रहा।
जयशंकर ने कहा, हम मानते हैं कि जी-20 के नई दिल्ली शिखर सम्मेलन ने कई मायनों में अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए अपनी विकास संभावनाओं को तलाशने की नींव रखी है। इससे आने वाले दशक में हमें उन चुनौतियों से पार पाने में मदद मिलेगी, जिनका हमने पिछले कुछ वर्षों में अनुभव किया है। जयशंकर ने इस बात पर जोर दिया कि भारत के पास जबकि जी-20 की अध्यक्षता के कुछ और महीने शेष हैं, हम इसकी समाप्ति और आगामी अध्यक्षता के पहले अपने तरीके से एक भागीदार, एक योगदानकर्ता व एक सहयोगी बने रहेंगे। शायद इससे दूसरों को विकास संबंधी चुनौतियों का समाधान करने में योगदान देने की प्रेरणा मिले। उन्होंने कहा, हमने अपने अनुभव व उपलब्धियों को साझेदारी की भावना के साथ आपके सामने रखा है। उन्होंने कहा कि जब दक्षिण-दक्षिण सहयोग की बात आती है तो हमने अपनी बात पर अमल करने का प्रयास किया है। जी-20 के सबसे महत्वपूर्ण नतीजों में से एक अफ्रीकी संघ को मिली इस समूह की स्थायी सदस्यता है।
अफ्रीकी संघ की सदस्यता जी-20 का महत्वपूर्ण परिणाम
इस दौरान जयशंकर ने रेखांकित किया कि जी-20 का वास्तव में महत्वपूर्ण परिणाम अफ्रीकी संघ की सदस्यता था। भारत ने अपनी जी-20 की अध्यक्षता की शुरुआत वैश्विक दक्षिण की आवाज सम्मेलन के जरिये की थी, जिसमें 125 देशों ने भाग लिया था। भारत जानता है कि वैश्विक दक्षिण संरचनात्मक असमानताओं व ऐतिहासिक बोझों को सहने के अलावा, आर्थिक शिथिलता व कोविड-19 के विनाशकारी परिणामों से पीड़ित है। यही नहीं, वैश्विक दक्षिण संघर्ष, तनाव व विवादों से घिरा हुआ है, जिसने अंतरराष्ट्रीय अर्थव्यवस्था को तनावग्रस्त व विकृत कर दिया है। ग्लोबल साउथ’ शब्द का इस्तेमाल उन विकासशील और अल्प विकसित देशों के लिए किया जाता है, जो मुख्य रूप से अफ्रीका, एशिया और लातिन अमेरिका में स्थित हैं।
बदलाव का प्रतिरोध कर रहे प्रभावशाली देश
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र के स्थायी सदस्यों को सख्त संदेश देते हुए कहा कि दुनिया आज भी दोहरे मानदंडों से भरी है। यह ऐसी दुनिया है, जहां प्रभावशाली देश बदलाव का हरसंभव प्रतिरोध कर रहे हैं। उन्होंने अपनी क्षमता को ही अपना हथियार बना लिया है।
जयशंकर ने कहा, बदलाव के लिए आज राजनीतिक इच्छाशक्ति के मुकाबले राजनीतिक दबाव ज्यादा पड़ रहा है। दुनिया में बदलाव का विचार लगातार बढ़ रहा है, वैश्विक दक्षिण की सोच इससे जुड़ी हुई है। लेकिन, बदलाव के खिलाफ प्रतिरोध भी बढ़ा है। जयशंकर ने चीन, अमेरिका जैसे देशों का नाम लिए बिना कहा, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में हमने देखा कि प्रभाव डालने की स्थिति हासिल कर चुके ज्यादातर सदस्य बदलाव के लिए पड़ रहे दबाव का प्रतिरोध कर रहे हैं।
‘दक्षिण उदय-साझेदारी, संस्था और विचार’ विषयक मंत्रिस्तरीय कार्यक्रम में जयशंकर ने कहा, यह पूरा बदलाव वास्तव में इस अर्थ में होगा कि वैश्विक दक्षिण अंतरराष्ट्रीय प्रणाली पर अधिक से अधिक दबाव डालेगा। वहीं, वैश्विक उत्तर बदलाव के प्रतिरोधी हैं और इसमें ऐसे हिस्से भी शामिल हैं, जो वास्तव में खुद को वैश्विक उत्तर का हिस्सा नहीं मान सकते, लेकिन उसके साथ खड़े हैं। कार्यक्रम को संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज, पुर्तगाल के विदेश मंत्री जोआओ गोम्स क्राविन्हो व जमैका के मंत्री कामिना जॉनसन स्मिथ ने भी संबोधित किया।
जयशंकर ने आम सहमति से जी-20 घोषणापत्र की उपलब्धि का उल्लेख करते हुए कहा, कई अचंभित थे कि सब एकसाथ कैसे खड़े हो गए। यह बड़ी उपलब्धि थी, क्योंकि हम पश्चिमी देशों, चीन, रूस व अन्य को सभी मुद्दों पर एकसाथ लाने में सफल रहे। वह भी तब, जब रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण दुनिया खेमों में बंट चुकी है।
वैश्विक दक्षिण के साथ भारत का जुड़ाव हमारी संस्कृति में समाहित : कंबोज
संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने कहा, वैश्विक दक्षिण के साथ भारत का जुड़ाव हमारी संस्कृति व दर्शन में समाहित है। यह हमारी नीतियों का हिस्सा है। महीने की शुरुआत में जी-20 नेताओं की घोषणा ने विकासशील देशों के व्यापक विकास के लिए हमारी प्रतिबद्धता को मजबूत किया… आप लोगों को याद ही होगा कि कोविड-19 महामारी के दौरान भारत ने करीब 100 देशों को अपने देश में उत्पादित वैक्सीन उपलब्ध कराई और लगभग 150 देशों को दवाएं प्रदान कीं। इससे हमें ‘द फार्मेसी ऑफ द वर्ल्ड’ का खिताब हासिल हुआ। भारत-संयुक्त राष्ट्र विकास साझेदारी कोष ने पिछले छह वर्षों में 56 विकासशील देशों में 75 विकास योजनाओं को अंजाम दिया है। एक अन्य कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि वैश्विक फैसलों में वैश्विक दक्षिण की सक्रिय भागीदारी काफी अहम है। यह इसलिए भी अहम है, क्योंकि ज्यादातर वैश्विक चुनौतियों को वैश्विक दक्षिण ने पैदा नहीं किया है।
इतिहास में दर्ज होगी भारत की अध्यक्षता: मॉरीशस
मॉरीशस के कृषि-उद्योग मंत्री मनीष गोबिन ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में जी-20 की भारत की अध्यक्षता इतिहास में दर्ज की जाएगी, जो सतत और मानव-केंद्रित विकास के अपने आह्वान पर खरी उतरी है। खासकर ऐसे समय में जब अंतरराष्ट्रीय समुदाय में मतभेद बढ़ते जा रहे हैं। मॉरीशस अतिथि के रूप में इस आयोजन में शामिल होकर गौरव महसूस कर रहा है।
भारत की अध्यक्षता उदाहरण योग्य: भूटान
भूटान के विदेश मंत्री टांडी दोरजी ने जी-20 की भारत की अध्यक्षता को उदाहरण योग्य करार दिया। कहा, भारत भूटान का मजबूत साझेदार रहा है। हम भारत को शुभकमनाएं देते हैं। हमें उम्मीद है कि भारत वैश्विक दक्षिण की आवाज बना रहेगा। जी-20 की अध्यक्षता के दौरान भारत ने वैश्विक दक्षिण का प्रतिनिधित्व किया। पूरे वर्ष आयोजित होने वाले कार्यक्रमों में भारत ने विकासशील देशों को प्रतिनिधित्व दिया।
वैश्विक दक्षिण के नेतृत्वकर्ता की भूमिका में भारत: समोआ
समोआ के प्रधानमंत्री फियामे नाओमी माटाफा ने कहा, मुझे लगता है कि भारत की जी-20 की अध्यक्षता पर वक्ताओं ने उसके नेतृत्व, विकास प्रक्रिया में भागीदारी तथा दक्षिण के साथ साझेदारी के संदर्भ में विकासशील देशों की सामान्य भावना को व्यक्त किया है। इसमें भारत की महत्वपूर्ण नेतृत्वकारी भूमिका रही है। आप आज की बैठक में प्रतिनिधित्व से अंदाजा लगा सकते हैं कि लोगों ने उस नेतृत्व की सराहना की है, जिसकी वर्तमान में जरूरत है।
जी-20 में वैश्विक दक्षिण की आवाज उठाने के लिए भारत को सराहा
विभिन्न देशों के नेताओं ने जी-20 की अध्यक्षता के दौरान वैश्विक दक्षिण की आवाज उठाने के लिए भारत की प्रशंसा की और कोविड काल में दी गई मानवीय मदद को याद किया। नेताओं ने कहा कि जब दूसरे लोग वैक्सीन कूटनीति में व्यस्त थे, भारत ने आगे बढ़कर उनकी मदद की। डोमिनिका के विदेश मंत्री डॉ. विंस हेंडरसन ने कहा कि भारत ने जी-20 के अपने नेतृत्व का उपयोग समावेशी होने और अपने जैसे विकासशील देशों को आवाज देने के लिए किया। उन्होंने कहा कि भारत खुद विकासशील होते हुए दूसरे देशों के विकास में मदद कर रहा है। डॉ. हेंडरसन ने कहा, जो सबक मुझे सबसे ज्यादा प्रेरित करता है, वह कोविड-19 महामारी है। मुझे विश्व की एक बहुत महत्वपूर्ण राजधानी में बैठने का अवसर मिला। मैं उन नामों का उल्लेख नहीं करूंगा, जहां हम टीकों तक पहुंच सुनिश्चित करने के लिए संघर्ष कर रहे थे… इस बीच भारत ने हमें वैक्सीन उपलब्ध करा दी।