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क्या चलते समय आपका भी बढ़ जाता है हार्ट-रेट? यह POTS का हो सकता है संकेत

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शरीर को स्वस्थ रखने और अंगों को ठीक तरीके से काम करते रखने के लिए जरूरी है कि शरीर के सभी हिस्सों में रक्त का संचार बेहतर रहे। सामान्यतौर पर यह कार्य निरंतर होता रहता है, हालांकि कुछ विकारों के कारण शरीर में रक्त का प्रवाह बाधित हो सकता है। डॉक्टर कहते हैं, POTS यानी पोओटीएस ऐसी ही एक समस्या है जिसके बारे में सभी लोगों को जानना और इससे बचाव के तरीकों को प्रयोग में लाते रहना बहुत आवश्यक हो जाता है।

पोस्टुरल ऑर्थोस्टैटिक टैकेकार्डिया सिंड्रोम (पीओटीएस) एक ऐसा विकार है जिसमें जब आप खड़े होते हैं तो अधिकांश रक्त आपके निचले शरीर में ही रह जाता है, शरीर के ऊपरी हिस्से में रक्त का प्रवाह बाधित हो जाता है। इसकी प्रतिक्रिया में आपकी हृदय गति बढ़ जाती है जिसके कारण कई प्रकार की दिक्कतें होने का जोखिम हो सकता है।

Postural Orthostatic Tachycardia Syndrome pots blood circulation disorder causes and effects

पीओटीएस विकार के बारे में जानिए

पीओटीएस की स्थिति में चूंकि शरीर के ऊपरी हिस्से में रक्त का संचार बाधित हो जाता है, इसलिए आपके मस्तिष्क तक रक्त पहुंचाने के प्रयास में दिल की धड़कनें तेज हो जाती हैं। खड़े होने के एक मिनट बाद आपकी हृदय गति 30 बीट या उससे अधिक बढ़ सकती है। पॉट्स आपके पूरे शरीर का संतुलन बिगाड़ सकता है। समय रहते इसके लक्षणों को समझना बहुत आवश्यक है।

  • चक्कर आना या बेहोशी होना
  • धुंधला दिखाई देना,
  • जी मिचलाना-उल्टी।
  • पेट दर्द- सूजन
  • दस्त या कब्ज।
  • अत्यधिक पसीना आना।
Postural Orthostatic Tachycardia Syndrome pots blood circulation disorder causes and effects

किन कारणों से होती है ये दिक्कत

डॉक्टर कहते हैं, कुछ स्थितियां आपमें पीओटीएस के जोखिमों को बढ़ाने वाली हो सकती हैं। वैसे तो ये किसी भी उम्र के लोगों को हो सकता है लेकिन इसका सबसे ज्यादा खतरा 15-50 की आयु वालों में देखा जाता है। इसके अलावा कुछ प्रकार की बीमारियों के कारण भी आपमें इस रोग के विकसित होने का खतरा बढ़ जाता है।

  • एनीमिया (शरीर में पर्याप्त लाल रक्त कोशिकाओं की कमी होना।)
  • ऑटोइम्यून बीमारियां, जैसे स्जोग्रेन सिंड्रोम या ल्यूपस
  • क्रोनिक फेटीग सिंड्रोम।
  • मधुमेह रोगियों में खतरा
  • मल्टीपल स्क्लेरोसिस की दिक्कत।
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पीओटीएस की समस्या को कैसे पहचानें?
वैसे तो पीओटीएस का कोई इलाज नहीं है, लेकिन कुछ प्रकार की दवाओं और थेरेपी के माध्यम से इसके जोखिमों को कम किया जा सकता है। कंप्रेशन थेरपी की मदद से रक्त के संचार को बढ़ाने से शरीर के बाकी हिस्सों में रक्त का संचार बढ़ सकता है। जब आप नहा रहे हों, लाइन में खड़े हों या तनाव महसूस कर रहे हों तो आपको पीओटीएस की समस्या का अनुभव हो सकता है। खाने के बाद भी आपको इसके लक्षणों का अनुभव हो सकता है, क्योंकि आपकी आंतों को पाचन के लिए अधिक रक्त की आवश्यकता होती है जो इसमें बाधित हो जाती है।
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लाइफस्टाइल को ठीक रखने का करें प्रयास
यदि आप जल्दी थक जाते हैं, तो इसमें सुधार करना अपने लक्षणों को ठीक करने के लिए आवश्यक हो जाता है। रात की नींद को सुधारने से भी लक्षणों को कंट्रोल करने में लाभ मिल सकता है। नियमित रूप से योग-व्यायाम को दिनचर्या का हिस्सा बनाना रक्त के संचार को ठीक करने और पीओटीएस की समस्या के इलाज में मदद मिल सकती है।

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