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मणिपुर गए विपक्षी प्रतिनिधिमंडल में 50 फीसदी सदस्य दागी; भाजपा ने लगाए ये गंभीर आरोप

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मोर्चा ने कहा कि विपक्षी गठबंधन की यही सच्चाई है। मोर्चा ने ट्वीट किया, प्रतिनिमिधमंडल में शामिल अधीर रंजन चौधरी, सुष्मिता देव, कनिमोझी, एए रहीम, मनोज कुमार झा, पीपी मोहम्मद फैजल, एनके प्रेमचंद्रन, सुशील गुप्ता, अरविंद सावंत और टीटी तिरुमावलवन गंभीर अपराध के आरोपी हैं और यही विपक्षी गठबंधन की सच्चाई है।

मणिपुर दौरे पर गए विपक्षी गठबंधन के 21 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल वापस लौट आया है। वापस लौटने के बाद विपक्षी सांसदों ने राज्य के हालात को चिंताजनक बताया है। वहीं, दूसरी ओर भाजपा ने इन सांसदों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।  भाजपा अनुसूचित जनजाति (एसटी) मोर्चा ने निशाना साधते हुए कहा है कि इस प्रतिनिधिमंडल में शामिल आधे से अधिक सदस्य हत्या, हत्या का प्रयास, दंगा, अवैध हथियार रखने जैसे गंभीर मामलों के आरोपी हैं।

मोर्चा ने कहा कि विपक्षी गठबंधन की यही सच्चाई है। मोर्चा ने ट्वीट किया, प्रतिनिमिधमंडल में शामिल अधीर रंजन चौधरी, सुष्मिता देव, कनिमोझी, एए रहीम, मनोज कुमार झा, पीपी मोहम्मद फैजल, एनके प्रेमचंद्रन, सुशील गुप्ता, अरविंद सावंत और टीटी तिरुमावलवन गंभीर अपराध के आरोपी हैं और यही विपक्षी गठबंधन की सच्चाई है।

वर्तमान लोकसभा में 44 फीसदी सांसदों पर केस
वैसे हकीकत यह है कि वर्तमान लोकसभा में सभी दलों के 44 फीसदी (233) सांसद गंभीर अपराध के आरोपी हैं। इनमें कांग्रेस और भाजपा के 29-29 प्रतिशत, जदयू के 16 में से 13 सांसद दागी हैं।

लगातार बढ़ रही है ऐसे सदस्यों की संख्या
संसद और विधानसभाओं में दागी सांसदों की संख्या लगातार और तेजी से बढ़ रही है। मसलन 2009 में चुन कर आए 543 में से 30 फीसदी तो साल 2014 में चुन कर आए इतने ही सांसदों में से 34 फीसदी दागी थे।

बता दें कि विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ के 21 सांसदों का एक प्रतिनिधिमंडल राज्य की जमीनी स्थिति का आकलन करने के लिए मणिपुर पहुंचा था। इस प्रतिनिधिमंडल ने राज्य में हिंसा पीड़ित लोगों से मुलाकात की। वहीं, रविवार को वापस लौटने के बाद विरक्षी सांसदों ने केंद्र पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा था कि राज्य की स्थिति चिंताजनक है। कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि राज्य में अनिश्चितता और भय व्याप्त है और केंद्र और राज्य सरकार वहां बहुत गंभीर स्थिति से निपटने के लिए कोई मजबूत कदम नहीं उठा रही है। विपक्षी दलों के गठबंधन ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इंक्लूसिव अलायंस’ (I.N.D.I.A) ने इस बात पर जोर दिया कि मणिपुर में करीब तीन महीने से चल रहे जातीय संघर्ष को जल्द हल नहीं किया जाता है, तो इससे देश के लिए सुरक्षा समस्याएं पैदा हो सकती हैं।

मणिपुर में अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मैतेई समुदाय की मांग के विरोध में पर्वतीय जिलों में तीन मई को ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के आयोजन के बाद राज्य में भड़की जातीय हिंसा में अब तक 160 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है और कई सौ लोग घायल हो गए हैं। पूर्वोत्तर राज्य की आबादी में मैतेई समुदाय के लोगों की संख्या लगभग 53 प्रतिशत है और वे मुख्य रूप से इंफाल घाटी में रहते हैं। वहीं, नगा और कुकी जैसे आदिवासियों की आबादी 40 प्रतिशत है और वे ज्यादातर पर्वतीय जिलों में रहते हैं।

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