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सर्वसेवा संघ की इमारत को ढहाने के खिलाफ दायर याचिका पर केंद्र ने दाखिल किया हलफनामा, यह है पूरा मामला

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सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा में कहा गया है कि 12.89 एकड़ जमीन के बड़े हिस्से पर याचिकाकर्ता ने अवैध रूप से कब्जा जमा रखा है। इस स्थान पर रेल सह सड़क पुल बनाने की योजना है और बाकी भूमि पर विकास और आधारभूत सुविधाएं विकसित की जानी हैं।

केंद्र सरकार ने शुक्रवार को वाराणसी में अखिल भारत सर्वसेवा संघ की एक इमारत को गिराने के जिलाधिकारी के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में वाजिब ठहराया।

यह है पूरा मामला
सरकार ने कहा है कि उस जमीन का मालिकाना हक रेलवे के पास है और याचिकाकर्ता संगठन की तरफ से जिस 12.89 एकड़ जमीन के मालिकाना हक का दावा किया जा रहा है, वह काशी रेलवे स्टेशन को ’इंटर मॉडल स्टेशन’ बनाने की मेगा परियोजना के मद्देनजर विकास परियोजना का हिस्सा है। सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा में कहा गया है कि 12.89 एकड़ जमीन के बड़े हिस्से पर याचिकाकर्ता ने अवैध रूप से कब्जा जमा रखा है। इस स्थान पर रेल सह सड़क पुल बनाने की योजना है और बाकी भूमि पर विकास और आधारभूत सुविधाएं विकसित की जानी हैं।

सरकार ने कहा है कि 27 मार्च 1941 में इस भूमि को रक्षा से भारतीय रेल को स्थानांतरित किया गया था। सरकार की ओर से दावा किया गया है कि याचिकाकर्ता संघ ने मई, 1960 में 12.89 एकड़ भूमि में से 8.7 एकड़ भूमि की सेल डीड बनवा ली थी। वहीं मई, 1961 में 1.2 एकड़ भूमि की सेल डीड बनवा ली। मई 1970 में भी उसने आसपास की 2.99 एकड़ जमीन की सेल डीड बनवा ली थी। वहीं, याचिकाकर्ता का कहना है कि महात्मा गांधी के विचारों और दर्शन का प्रचार करने के लिए आचार्य विनोबा भावे ने 1948 में संगठन की स्थापना की थी और अब स्थानीय प्रशासन द्वारा इमारत को ढहाने की कोशिश की जा रही है। इससे पहले संगठन ने वाराणसी जिले में 12.90 एकड़ भूखंड पर बने ढांचों को गिराने के लिए उत्तर रेलवे द्वारा जारी नोटिस को चुनौती देते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट का रुख किया था। संगठन का कहना है कि वाराणसी के ‘परगना देहात’ में उसके परिसर के लिए जमीन उसने केंद्र सरकार से 1960, 1961 और 1970 में तीन पंजीकृत सेल डीड के माध्यम से खरीदी थी।

केंद्र का दावा, गैर कानूनी तरीके से बनाई गई सेल डीड
सरकार का कहना है कि गैरकानूनी तरीके से ये सेल डीड बनवाई गई क्योंकि ऐसी कोई पॉलिसी नहीं है कि रेलवे अपनी जमीन थर्ड पार्टी को बेच दे। साथ ही क्षेत्रीय अभियंता इसके लिए अधिकृत अधिकारी नहीं है, लिहाजा ये सेल डीड गैरकानूनी और फर्जी हैं। हलफनामे में कहा गया है कि किसी भी कार्यवाही में याचिकाकर्ता मूल सेल डीड पेश करने में विफल रहा है। सरकार ने कहा कि संगठन की याचिका खारिज करने योग्य है। हलफनामे में सरकार ने कहा है कि वाराणसी में भारी संख्या में पर्यटक और श्रद्धालु आते हैं। मौजूदा समय में इतने लोगों के लिए वहां पर्याप्त सुविधाएं नहीं हैं।

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