देश में सबसे बड़े अप्रत्यक्ष कर सुधार के तहत माल एवं सेवा कर (जीएसटी) को लागू हुए छह साल पूरे हो गए। अब 1.50 लाख करोड़ रुपये का मासिक राजस्व सामान्य हो चुका है। शुरुआती दौर में औसत मासिक राजस्व 85,000-95,000 करोड़ रुपये हुआ करता था। अप्रैल, 2023 में संग्रह 1.87 लाख करोड़ के सार्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गया था। छह साल के इस सफर में राजस्व के मोर्चे पर कामयाबी तो मिली है, लेकिन कई चुनौतियां अब भी कायम हैं।
इन मोर्चों पर मिली सफलता
कर प्रणाली में धोखाधड़ी के नए तरीके आजमाए जा रहे हैं। लेकिन, कर अधिकारी उनसे निपटने की कोशिश में लगे हुए हैं। इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) का दावा करने के लिए जाली दस्तावेजों के आधार पर फर्जी कंपनियां बनाने वालों की धरपकड़ के लिए जीएसटी अधिकारियों ने डाटा विश्लेषण, एआई और मशीन लर्निंग का इस्तेमाल भी शुरू कर दिया है।
एक माह में 11,140 मामले पकड़े
- अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड एक महीने में फर्जी पंजीकरण के 11,140 मामले पकड़े। 15,000 करोड़ की कर चोरी का अनुमान।
- 49 बैठकें हुईं जीएसटी परिषद की 2016 से अब तक।
- 3,00,000 करोड़ की कर चोरी अब तक : जुलाई, 2017 से अब तक 3 लाख करोड़ रुपये की कर चोरी होने का अनुमान है।
चुनौतियां, सिर्फ डाटा विश्लेषण से नहीं रुकेगी चोरी
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- शोध संस्थान ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव ने कहा, जीएसटी प्रणाली में सबसे जरूरी सुधार इसके नेटवर्क को उन्नत करने का है। इसके जरिये ही नकली आपूर्ति और आईटीसी के फर्जी दावों को रोका जा सकता है।
- संस्थान के सह-संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने कहा, सिर्फ डाटा विश्लेषण और भौतिक जांच से समस्या पूरी तरह नहीं दूर हो सकती है।
- छह साल बाद भी जीएसटीएन मूल्य शृंखला में आपूर्ति संबंधी जानकारी को नहीं जोड़ पाया है। इससे सरकार को नुकसान हो रहा है। ईमानदार कारोबारियों को परेशानी उठानी पड़ रही है।
इन पर अब तक नहीं हुआ फैसला
जीएसटी की दरों को तर्कसंगत बनाने, पेट्रोल, डीजल एवं विमान ईंधन पर जीएसटी लगाने जैसे मुद्दों पर भी अब तक फैसला नहीं। ऑनलाइन गेमिंग, क्रिप्टो लेनदेन, ईवी चार्जिंग ढांचे व जीएसटी अपीलीय न्यायाधिकरण की स्थापना जैसे मुद्दों पर स्पष्टता का इंतजार।