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राजभर के प्रभाव का आकलन करने के बाद ही तय होंगी सीटें, पूर्वांचल की 28 लोकसभा सीटों पर है अच्छी तादात

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भाजपा मिशन-80 का लक्ष्य पाने में सुभासपा अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर की भूमिका का अध्ययन कर रही है। भाजपा और सुभासपा के बीच गठबंधन में सीटों के लेकर मामला फंसा है। इस मुद्दे पर जल्द ही दोनों दलों के नेताओं के बीच दिल्ली में बैठक होने की संभावना है।

भाजपा और सुभासपा के बीच गठबंधन को भले ही तय माना जा रहा है, लेकिन सीटों के लेकर मामला फंसा है। सुभासपा अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर की ओर से दो से तीन सीटों पर दावेदारी पेश किए जाने की बात कही जा रही है, पर भाजपा राजभर के प्रभाव वाले क्षेत्रों में होने वाले नफा-नुकसान का आकलन करने के बाद ही सीटें तय करेगी।
इस मुद्दे पर जल्द ही दोनों दलों के नेताओं के बीच दिल्ली में बैठक होने की संभावना है। दरअसल, 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा गठबंधन (एनडीए) को प्रदेश में 64 सीटें मिली थीं। इनमें से 62 पर अकेले भाजपा ने जीत दर्ज की थी। अब 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव में भाजपा प्रदेश की सभी 80 सीटों को जीतने का लक्ष्य लेकर तैयारी कर रही है।
इसलिए गाजीपुर से गोरखपुर और बस्ती से बलिया तक की दो दर्जन से अधिक सीटों पर राजभर जाति के मतदाताओं की अनदेखी भाजपा के लिए आसान नहीं होगा। हालांकि अभी ये कहना मुश्किल है कि साथ आने पर भाजपा सुभासपा को कितनी सीटें देगी, फिर भी ओम प्रकाश राजभर ने भाजपा नेतृत्व के सामने पूर्वांचल व अवध क्षेत्र में आने वाली लोकसभा की 28 सीटों पर राजभर बिरादरी के मतदाताओं की संख्या का ब्योरा रख दिया है। ताकि सीटें तय करते समय इसका ख्याल रखा जा सके।
यहां यह भी ध्यान देने वाली बात है कि 2019 के लोकसभा चुनाव में सीटों के बंटवारे के मुद्दे पर ही राजभर और भाजपा के बीच तनातनी शुरू हुई थी, जिसकी परणिति 2022 में विधानसभा से पहले राजभर और भाजपा के गठबंधन की टूट के तौर पर सामने आई थी।

इसलिए भाजपा व राजभर एक-दूसरे के लिए जरूरी
ओमप्रकाश राजभर सपा से गठबंधन टूटने के बाद बसपा और कांग्रेस से दोस्ती की स्थिति में नफा-नुकसान का आकलन कर चुके हैं। उनके समझ में यह आ चुका है कि भाजपा के अलावा किसी अन्य दूसरे दल से गठबंधन करने पर उनकी वह कीमत नहीं रहेगी।
दूसरी तरफ भाजपा नेतृत्व भी समझ चुका है कि पूर्वाचल की सियासी गणित में उसके सामने हिंदू वोटों का बिखराव रोकना और ज्यादा से ज्यादा वोट हासिल करना बहुत जरूरी है। इसलिए राजभर जाति को अपने पाले में रखना जरूरी है। इन परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए भाजपा राजभर के सीटवार प्रभाव के दावे का आकलन कर रही है। इसके बाद ही सीटों के बंटवारा का फॉर्मूला तय होगा।
इन लोकसभा सीटों पर राजभर बिरादरी की अच्छी तादात
सीट वोटर
घोसी 3,90,000
बलिया 2,40,000
गाजीपुर 2,60,000
चंदौली 2,55,000
मछली शहर 2,25,000
बस्ती 2,05,000
सलेमपुर 3,10,000
मिश्रिख 1,15,000
संतकवीरनगर 2,10,000
कुशीनगर 2,10,000
डुमरियागंज 2,05,000
महाराजगंज 1,15,000
जौनपुर 1,80,000
अंबेडकरनगर 2,05,000
लालगंज 2,80,000
वाराणसी 2,10,000
भदोही 2,90,000
गोरखपुर 1,95,000
देवारिया 1,60,000
बांसगांव 1,05,000
गोंडा 1,96,000
श्रावस्ती 1,80,000
बहराइच 1,20,000
कैसरगंज 1,10,000
बाराबंकी 0,90,000
सुल्तानपुर 1,00,000
मिर्जापुर 1,05,000
राबर्टसगंज 0,80,000

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