आप किसी भी बैंक खाते में दो साल तक कोई लेनदेन नहीं करते हैं तो बैंक इसे निष्क्रिय खाते के रूप में डाल सकता है। यानी इस खाते से कोई लेनदेन नहीं हो सकेगा। हालांकि, आप केवाईसी देकर ऐसे खातों को चालू करा सकते हैं। ऐसे में इस स्थिति में आपको क्या करना चाहिए
आरबीआई की अधिसूचना के अनुसार, अगर किसी भी बचत या चालू बैंक खाता में दो साल तक कोई लेन-देन नहीं होता है तो ऐसा खातों को बैंक निष्क्रिय खाता की कैटेगरी में डाल देते हैं। लेनदेन का मतलब यह है कि अगर आप ऑनलाइन लॉगइन करें या एटीएम से पैसे निकालें या चेकबुक से भी जमा या पैसा निकालें तो भी खाता चालू रहेगा। लेकिन एक निष्क्रिय खाते में न तो आप पैसा जमा कर सकते हैं न ही निकाल सकते हैं। यहां तक कि सारे डिजिटल लेनदेन जैसे यूपीआई, आरटीजीएस, एनईएफटी और आईएमपीएस भी इसमें काम नहीं करते हैं।
संयुक्त खाता हो तो क्या करें
ऐसा कोई खाता है जो दो लोगों के नाम पर है तो उसमें भी उपरोक्त प्रक्रिया ही अपनानी होगी। इसमें दोनों लोगों का हस्ताक्षर होना जरूरी है। यहां भी केवाईसी जमा करनी होगी। इसमें पैन, आधार या कोई और पते का सबूत हो सकता है। हालांकि, पैन कार्ड कभी भी पते का सबूत नहीं होता है।
आपका बचत खाता निष्क्रिय है और उसमें कोई भी रकम जमा है तो इस पर बैंक नियमित ब्याज देता रहेगा। यह ब्याज उसी खाते में जमा होता रहेगा। यह ब्याज तभी मिलेगा, जब खाता सक्रिय होगा। लेकिन अगर कोई एफडी है और वह परिपक्व हो गया यानी जितने समय के लिए आपने एफडी कराया था वह समय पूरा हो गया तो उसके बाद उस पर कोई ब्याज नहीं मिलेगा। इसे बिना दावे वाली रकम के रूप में घोषित कर दिया जाएगा।
बिना दावे वाली रकम के लिए अब एक ही पोर्टल
वर्तमान में, अगर किसी जमाकर्ता ने 10 वर्ष या उससे अधिक समय तक बैंक जमा का दावा नहीं किया है तो उसे इसकी जानकारी पाने के लिए संबंधित बैंक की वेबसाइट पर जाना पड़ता है। लेकिन, अब दावेदार एक केंद्रीकृत प्लेटफॉर्म पर ऐसे सभी खातों की खोज कर सकेंगे। यदि आपका खाता समय के साथ संचालन न करने के कारण निष्क्रिय हो जाता है तो आपको क्या करना चाहिए। उस स्थिति में, आपको इसका उपयोग फिर से शुरू करने के लिए इसे फिर से सक्रिय करना होगा और किसी भी शेष जमा राशि का दावा करना होगा।
आरबीआई का 100 दिन का अभियान
हाल में आरबीआई ने बैंकों ने से कहा है कि वे उन बिना दावे वाली रकम के जमाकर्ताओं को खोजें जिनका कोई पता नहीं है। इसके लिए 100 दिन का अभियान एक जून से चालू किया गया है। इसमें शीर्ष 100 जिलों के 100 जमाकर्ताओं को खोजा जाएगा और उनको उनकी रकम दी जाएगी।
- बहुतेरे लोग अपना पता बदल देते हैं। मोबाइल नंबर बदल देते हैं। पर वे इसकी सूचना बैंक को नहीं देते हैं।
- इसका नुकसान यह है कि बैंक पुराने रिकॉर्ड के आधार पर ही आपको चेकबुक, डेबिट कार्ड या कोई भी पत्र व्यवहार करता है तो इसका आपको पता नहीं चलता है।
- किसी भी स्थिति में ऐसे बदलावों की जानकारी बैंक को देना अनिवार्य और फायदेमंद है। हम आपको बता रहे हैं कि कैसे आपका निष्क्रिय खाता चालू हो सकता है और इसके लिए क्या किया जा सकता है।
- बैंकों के पास इस समय बिना दावे वाली 35,000 करोड़ की रकम पड़ी है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि लोग किसी भी परिवर्तन की जानकारी बैंक को नहीं देते हैं।
इस तरह से कर सकते हैं खाता को सक्रिय
निष्क्रिय खातों को फिर से चालू किया जा सकता है। लेकिन सामान्य तौर पर जो नियम है उसके मुताबिक, सबसे पहले आपको उस बैंक की शाखा में जाना होगा, जहां आपका खाता है। आपको एक पत्र बैंक को देना होगा जिसमें वही हस्ताक्षर हो, जो खाते में है। इसमें यह लिखना होगा कि आपके खाते को फिर से चालू किया जाए।
- एक पते का सबूत और पहचान पत्र देना होगा जिस पर आपका हस्ताक्षर होगा। खाता सक्रिय होने के तुरंत बाद आपको कोई भी लेनदेन करना होगा। यानी या तो पैसा निकालना होगा या जमा करना होगा। यह रकम 100 रुपये भी हो सकती है।
खाता फिर से चालू कराने पर कोई शुल्क नहीं
खाता अगर निष्क्रिय हो गया है तो उसे आप सारे कागजात देकर चालू करा सकते हैं। इसके लिए कोई जुर्माना या किसी भी तरह का शुल्क नहीं देना होगा। हां, अगर उसमें न्यूनतम बैलेंस से कम रकम है तो इसका जो भी शुल्क होगा, वह आपको देना होगा।