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पांच करोड़ से अधिक के कारोबार वाली कंपनियों के लिए भी ई-चालान जरूरी, नई व्यवस्था जल्द होगी शुरू

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जीएसटीएन पोर्टल पर मौजूद 11 मई तक आंकड़ों के मुताबिक, ई-चालान निकालने के लिए कारोबार की सीमा घटाने से देशभर के 45 लाख और उत्तर प्रदेश के तीन लाख से ज्यादा व्यापारी ऑनलाइन निगरानी के दायरे में आ गए हैं।

सालाना पांच करोड़ रुपये से अधिक के कारोबार वाली कंपनियों को एक अगस्त, 2023 से सभी बिजनेस-टु-बिजनेस (बी2बी) लेनदेन के लिए इलेक्ट्रॉनिक या ई-इनवॉयस (चालान) निकालना होगा। अभी तक 10 करोड़ या उससे अधिक के कारोबार वाली कंपनियों को बी2बी लेनदेन के लिए ई-चालान निकालना होता है। इस कदम से न सिर्फ फर्जीवाड़ा रोकने में मदद मिलेगी बल्कि सरकारी राजस्व में भी बढ़ोतरी होगी।वित्त मंत्रालय की 10 मई को जारी अधिसूचना के मुताबिक, बी2बी लेनदेन के लिए ई-चालान निकालने की सीमा को 10 करोड़ रुपये से घटाकर 5 करोड़ रुपये कर दिया गया है। जीएसटीएन पोर्टल पर मौजूद 11 मई तक आंकड़ों के मुताबिक, ई-चालान निकालने के लिए कारोबार की सीमा घटाने से देशभर के 45 लाख और उत्तर प्रदेश के तीन लाख से ज्यादा व्यापारी ऑनलाइन निगरानी के दायरे में आ गए हैं।जीएसटी लागू होने के बाद यानी 2017 से मार्च, 2023 तक किसी भी एक साल में अगर कंपनी का कारोबार 5 करोड़ रुपये से ज्यादा है तो उसे भी एक अगस्त, 2023 से ई-चालान निकालना होगा।

इसलिए लागू की जा रही व्यवस्था
ई-चालान व्यवस्था को 2020 में 500 करोड़ रुपये से अधिक के कारोबार वाली कंपनियों के लिए लागू किया गया था। उसी समय कर संस्थानों ने इसके पांच साल में छोटे व्यापारियों पर भी लागू होने का अनुमान जता दिया था।पिछले एक साल में जीएसटी चोरी 54,000 करोड़ से बढ़कर एक लाख करोड़ रुपये के पार पहुंच गई। बढ़ती कर चोरी पर लगाम लगाने के लिए छोटे कारोबारों को भी ई-चालान के दायरे में शामिल किया जा रहा है।ई-चालान से अड़चनें कम हुई हैं। अनुपालन सुधरा है। लंबी अवधि में वाणिज्यिक विवाद घटाने में मदद मिलेगी।
-रजत मोहन, वरिष्ठ भागीदार एएमआरजी एंड एसोसिएट्स

तीन साल में बढ़ा ई-चालान का दायरा
साल सालाना कारोबार

अक्तूबर, 2020 500 करोड़ से अधिक
जनवरी, 2021 100 करोड़ से ज्यादा
अप्रैल, 2021 50 करोड़
अप्रैल, 2022 20 करोड़
अक्तूबर, 2022 10 करोड़
अगस्त, 2023 5 करोड़ से अधिक
लागत में कमी आने के साथ होंगे ये लाभ
डेलॉय इंडिया के भागीदार महेश जयसिंह ने कहा, सरकार की इस घोषणा से ई-चालान के तहत सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) का दायरा बढ़ेगा। ई-चालान कंपनियों के लिए एक वरदान है। इसे उन्हें लागू करने की आवश्यकता होगी।

  • एमएसएमई क्षेत्र को ई-चालान व्यवस्था के दायरे में शामिल करने से लागत घटेगी। तेजी से चालान का प्रसंस्करण सुनिश्चित होगा।
  • सौदों की ऑनलाइन जानकारी राज्य और केंद्र के जीएसटी विभाग के निगरानी में आ जाएगी।
  • कर चोरी की गुंजाइश खत्म होगी। खास तौर पर फर्जी बिल काटकर इनपुट टैक्स क्रेडिट लेने जैसे फर्जीवाड़े पर रोक लगेगी।

ई-चालान हर लेनदेन का यूनिक नंबर
जीएसटी में ई-चालान ऐसा सिस्टम है, जिसमें किसी भी लेनदेन की रसीद को जीएसटी नेटवर्क सत्यापित करता है। वह हर सामान्य रसीद को ई-रसीद में बदल देता है। हर रसीद के लिए विशिष्ट पहचान संख्या (यूनिक नंबर) जारी होती है।

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