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आबादी में चीन को पछाड़कर भारत बना नंबर वन; अर्थव्यवस्था के लिए इसके क्या मायने?

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Most Populous Country: भारत ना केवल दुनिया की सबसे अधिक आबादी वाला देश बन गया है, बल्कि यूएन के आंकड़ों के अनुसार यहां दुनिया की सबसे युवा आबादी भी रहती है। भारत की आधी आबादी 30 साल से कम लोगों की है जिनकी औसत उम्र 28 वर्ष है। अमेरिका और चीन की बात की जाए तो वहां की औसत उम्र 38 वर्ष है।

संयुक्त राष्ट्र के अनुसार भारत ने दुनिया की सबसे अधिक आबादी के मामले में चीन को पीछे छोड़ दिया है। दुनिया की लगभग 2.4% भूमि वाला देश भारत कुल वैश्विक आबादी के लगभग पांचवें हिस्से का घर है। भारत में अमेरिका, अफ्रीका या यूरोप की पूरी आबादी से अधिक लोग रहते हैं। भारत से लगभग तीन गुना बड़े चीन की भी स्थिति लगभग ऐसी ही है। पर यहां गौर करने वाली बात यह है कि भारत की आबादी अपेक्षाकृत युवा और बढ़ रही है। वहीं चीन की आबादी में वृद्धों की संख्या अधिक है और यह घट रही है। एशिया के दो दिग्गज देशों की आबादी में ताजा बदलाव इनके आर्थिक और समाजिक तानेबाने के लिए चुनौती जैसा है।

According to UN India Becomes the Most Populous Country, What does it mean?
  • भारत की आबादी 1.4286 अरब जबकि चीन की 1.4257 अरब
संयुक्त राष्ट्र के वर्ल्ड पॉपुलेशन डैशबोर्ड के अनुसार 2023 मध्य तक के अनुमानों के अनुसार भारत की आबादी 1.4286 अरब हो गई है यह चीन की आबादी 1.4257 अरब से कुछ ज्यादा है। भारत में आखिरी जनगणना 2011 में हुई थी। ऐसे तो हर 10 वर्ष के अंतराल पर देश में जनगणना की जाती है पर वर्ष 2021 में कोरोना संकट के कारण सरकार ने टालने का फैसला किया था। अब तक यह साफ नहीं है कि भारत में जनगणना के इस जटिल काम को कब तक निपटाया जाएगा। ऐसे में संयुक्त राष्ट्र के ताजा आंकड़े अनुमानों पर आधारित हैं। भारत में 2022 में दो करोड़ 30 लाख बच्चों का जन्म हुआ। हालांकि भारत में जन्म दर (प्रति एक हजार की आबादी पर पैदा होने वाले बच्चों की संख्या) में 2004 के 24.1 की तुलना में गिरावट आई है और यह 2019 में 19.7 रह गया है। धीमी गति के बावजूद देश में आबादी का बढ़ना जारी है। पिछले साल चीन में 1950 के बाद से सबसे कम केवल 95.6 लाख बच्चों का जन्म हुआ। जन्म से ज्यादा मौतें हुई इस कारण 1960 के बाद से चीन की आबादी में पहली बार गिरावट दर्ज की गई। वहीं दूसरी ओर, भारत की आबादी में वर्ष 2060 के मध्य तक वृद्धि का अनुमान है, जबकि चीन में इस दौरान आबादी घटने का अनुमान है।
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  • भारत की बढ़ती आबादी का नफा-नुकसान क्या है?
भारत ना केवल दुनिया की सबसे अधिक आबादी वाला देश बन गया है, बल्कि यूएन के आंकड़ों के अनुसार यहां दुनिया की सबसे युवा आबादी भी रहती है। भारत की आधी आबादी 30 साल से कम लोगों की है जिनकी औसत उम्र 28 वर्ष है। अमेरिका और चीन की बात की जाए तो वहां की औसत उम्र 38 वर्ष है। आर्थिक विकास के मामले में भारत की युवा आबादी अहम रोल अदा कर सकती है, क्योंकि यहां कि दो तिहाई से अधिक आबादी काम करने की उम्र यानी 15 वर्ष से 64 वर्ष के बीच की है। ऐसे में भारत के पास वस्तुओं व सेवाओं के उत्पादन और उपभोग में वृद्धि लाने की असीम संभावना है। यह देश अपनी युवा आबादी के बूते इनोवेशन को बढ़ावा देने और तकनीकी बदलावों के मामले में खुद को अव्वल साबित कर सकता है। यहां एक बात गौर करने वाली है कि यह स्थिति तभी संभव है जब भारत अपनी एक बड़ी आबादी को रोजगार उपलब्ध कराने में सफल रहे। देश में औद्योगिकरण के बढ़ने से एक बड़ी आबादी ने परंपरागत कृषि-किसानी के पेशे को छोड़ दिया है। ऐसे में उन्हें पर्याप्त रोजगार मिले इस पर नीति निर्धारकों को ध्यान देने की जरूरत है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जिनके 2024 में एक बार फिर सत्ता में आने के कयास लगाए जा रहे हैं, वे देश की अर्थव्यवस्था में निर्माण क्षेत्र की भागीदारी 14 प्रतिशत से बढ़ाकर 25 करने की कोशिशों में जुटे हैं।

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  • देश की अर्थव्यवस्था के लिए बढ़ती आबादी के क्या मायने हैं?
लगातार बढ़ती आबादी भारत के लिए संभावनाओं के साथ-साथ चुनौतियों भी बढ़ा रही है। मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) वी अनंत नागेश्वरन ने जनवरी महीने में कहा था कि भारत 6.5-7 प्रतिशत की दर से वृद्धि करने की क्षमता रखता है। देश की अर्थव्यवस्था 2025-26 तक 5 ट्रिलियन डॉलर और 2030 तक 7 ट्रिलियन डॉलर की हो सकती है। हालांकि बढ़ती आबादी सरकार के इस लक्ष्य को हासिल करने की राह का रोड़ा भी बन सकता है। देश की आबादी के बढ़ने से अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है। पहले ही भारत में गरीबी, भूख और कुपोषण जैसी समस्याओं को दूर करने के लिए गंभीर प्रयास किए जाने की जरूरत है। बढ़ती आबादी के साथ लोगों को बेहतर स्वास्थ्य व्यवस्था, बेहतर शिक्षा, बेहतर इन्फ्रास्ट्रक्चर और शहरों व गांवों को अधिक सुविधाजनक बनाना सरकार के लिए और भी बड़ी चुनौती होगी। रोज बढ़ती आबादी के साथ देश के सामने कई समस्याएं मुंह बाए खड़ीं हैं।
  1. जलवायु परिवर्तन: देश में हर व्यक्ति को भोजन उपलब्ध करने और निर्बाध बिजली आपूर्ति करने की राह में चुनोती बनता जा रहा है। हाल के वर्षों में असमय बारिश से फसलों के नुकसान और हीट वेव के कारण बिजली आपूर्ति में बाधा आने जैसी समस्याएं लगातार बढ़ रही हैं। येल विश्वविद्यालय की ओर से जारी इनवायरमेंटल परफॉर्मेंस रिपोर्ट 2022 के अनुसार भारत पर्यावरण के मामले में 180 देशों की सूची में आखिरी पायदान पर है। भविष्य में आबादी यूं ही बढ़ती रही तो हालात और भी बुरे हो सकते हैं।
  2. जल संकट: देश में जल संकट भी गंभीर स्तर पर पहुंच गया है। प्रदूषण के कारण पेयजल की स्थिति रोज खराब हो रही है। लगभग 40 प्रतिशत ग्रामीण आबादी के घर तक जल आपूर्ति की सुविधा अब भी उपलब्ध नहीं है। जैसे-जैसे आबादी बढ़ेगी यह समस्या और विकराल होती जाएगी।
  3. स्वास्थ्य सुविधाओं की बुरी स्थिति: केंद्र और राज्य सरकारें हेल्थकेयर पर अपनी जीडीपी का लगभग दो प्रतिशत ही खर्च कर पा रही हैं जो पूरी दुनिया में सबसे कम है। पांच से कम उम्र के एक तिहाई से अधिक बच्चे कुपोषित हैं जबकि 15-49 वर्ष की आयु की लभगभग आधी महिलाएं अनीमिया की शिकार हैं। ऐसे में लगातार बढ़ रही आबादी देश की स्वास्थ्य व्यवस्था को देखते माथे पर सिकन डालने वाली स्थिति है।
  4. बेरोजगारीः भारत में बेरोजगारी आजादी के बाद से हर दौर में बड़ी समस्या रही है। बीते वर्षों में देश में रोजगार जरूर बढ़ा है पर आबादी उस अनुपात में कहीं ज्यादा बढ़ी है। नतीजा यह है कि भारत में लगभग एक तिहाई युवा बेरोजगार हैं। ना उनके पास बेहतर शिक्षा है ना कौशल। देश की कामगारों के महज पांच प्रतिशत ही आधिकारिक तौर पर स्किल्ड हैं। देश के शिक्षण संस्थानों के पास ना तो बेहतर संसाधन हैं ना ही योग्य शिक्षक।
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बढ़ती आबादी मतलब बड़ा बाजार, पर हालात बिगड़ भी सकते हैं

ऐसे में कुल मिलाकर देखा जाए चीन को आबादी के मामले में पीछे छोड़ना जहां एक ओर हमारे लिए संभावनाओं के द्वार खोल रहा है वहीं दूसरी ओर यह एक चुनौतीपूर्ण स्थिति भी है। ऐसे तो बढ़ती आबादी का मतलब है और बड़ा बाजार। इससे अर्थव्यवस्था को फायदा हो सकता है। पर अगर हमने बढ़ती जनसंख्या से जुड़ी चुनौतियों की अनदेखी की तो हालात बुरी तरह बिगड़ भी सकते हैं। अगर सरकारी और सामाजिक स्तर पर हमने बढ़ती आबादी की चुनौतियों से निपटने के लिए ठोस प्रयास नहीं किए तो भविष्य में उसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं। यह जरूरी है कि विश्व की सबसे अधिक आबादी वाले देश के रूप में हम अपनी युवा आबादी को बेहतर मानव संसाधन में तब्दील करें। जिससे इस युवा आबादी को हम अपनी कमजोरी की जगह ताकत बनाकर उनका देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में इस्तेमाल कर सकें।

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