24 फरवरी 2022, रूस की एक बख्तरबंद गाड़ी चेर्नोबिल न्यूक्लियर प्लांट पहुंची। यहां उनका सामना यूक्रेनी सेना की एक छोटी टुकड़ी से हुआ, जो सुरक्षा के लिए प्लांट के बाहर तैनात थी। 2 घंटे में ही यूक्रेन की यूनिट के 169 मेंबर्स ने सरेंडर कर दिया। इसके साथ ही रूसी सेना ने राजधानी कीव के पास बने चेर्नोबिल न्यूक्लियर प्लांट जैसे अहम ठिकाने पर कब्जा कर लिया।
रॉयटर्स के मुताबिक, चेर्नोबिल की कामयाबी, हकीकत में यूक्रेन में मौजूद रूसी जासूसों के ऑपरेशन का हिस्सा थी। अब यूक्रेन का स्टेट ब्यूरो ऑफ इनवेस्टिगेशन सरेंडर मामले की जांच कर रहा है। कोर्ट को सौंपे गए कुछ दस्तावेजों में पाया गया कि चेर्नोबिल के सिक्योरिटी के हेड ऑफिसर वैलेंटिन विटर हमले के वक्त प्लांट से गायब हो गए थे। इसकी भी जांच की जा रही है। विटर पर देशद्रोह का शक है।
यूक्रेनी सेना में रूसी जासूस मौजूद
यूक्रेन के पूर्व टॉप इंटेलिजेंस ऑफिसर एंड्री नॉमोव पर भी देशद्रोह के आरोपों की तहकीकात की जा रही है। डिफेंस काउंसिल के सेक्रेटरी ओलेक्सी डेनिलोव ने एक इंटरव्यू में कहा- देश के अंदर मौजूद दुश्मन हमारे लिए ज्यादा खतरनाक हैं। रूसी हमले के वक्त भी डेनिलोव ने यूक्रेनी सेना और डिफेंस डिपार्टमेंट में रूस के एजेंट होने की बात कबूल की थी।
यूक्रेन में कठपुतली सरकार चाहता था रूस
न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक, मॉस्को यूक्रेन के सिक्योरिटी सिस्टम में एजेंट तैनात कर रहा था। पश्चिमी खुफिया रिपोर्ट्स में इसकी पुष्टि की गई है। इसके मुताबिक, रूस कीव में कठपुतली सरकार बनाने के लिए बिजनेसमैन ओलेग सारेव को तैयार कर रहा था।
यूक्रेनी नेता विक्टर मेदवेदचुक, जो पुतिन के दोस्त हैं। उनके पास रूस से मिला एन्क्रिपटिड फोन बरामद हुआ था। इससे वो मॉस्को में बातचीत करते थे। विक्टर को अप्रैल 2022 में यूक्रेनी सेना ने गिरफ्तार कर लिया था। सितंबर में मारियुपोल में 215 यूक्रेनी सैनिकों के बदले 55 रूसी सैनिकों के साथ उसे रिहा कर दिया गया था।
यूक्रेन के स्टेट सिक्योरिटी हेड पर लगे देशद्रोह के आरोप
जुलाई 2022 में राष्ट्रपति जेलेंस्की ने स्टेट सिक्योरिटी ऑफ यूक्रेन (SBU) के हेड इवान बकानोव को देशद्रोह के आरोपों में निकाल दिया था। सिक्योरिटी सर्विस में कथित तौर पर देशद्रोह के 651 केस पाए गए हैं। साथ ही SBU में 60 से ज्यादा अधिकारी ऐसे हैं जो रूसी कब्जे वाले इलाकों में यूक्रेन के खिलाफ काम कर रहे हैं।
सिर्फ यूक्रेन तक सीमित नहीं है जासूसी
जब रूस ने पहली बार 2014 में यूक्रेन में सेना को निशाना बनाया, तो उसने वेस्टर्न देशों में कई जासूस तैनात कर दिए। इन एजेंट्स की मदद से रूस ने साइबर हमले के जरिए अमेरिकी चुनावों में हस्तक्षेप से लेकर यूरोप में रूस के खिलाफ काम कर रहे लोगों को मारने तक कई मिशन पूरे किए।
यूक्रेन से जंग की शुरुआत के साथ ही कई पश्चिमी देशों ने रूसी जासूसों को लेकर अभियान छेड़ दिया है। इसके तहत कई देशों से अब तक 500 से ज्यादा रूसी अधिकारियों को जासूसी के आरोपों में निकाला जा चुका है।
जर्मन इंटेलिजेंस एजेंसी में मिले रूसी जासूस
दिसंबर 2022 में जर्मनी में फेडरल इंटेलिजेंस सर्विस (BND) के एक अधिकारी कार्सटन लिंके को गिरफ्तार किया गया। उस पर रूस के लिए जासूस करने के आरोप लगे। कार्सटन जर्मनी की खुफिया एजेंसी की साइबर सिक्योरिटी यूनिट में काम करता था। गिरफ्तारी के बाद अनुमान लगाया गया कि रूसी एजेंट के तौर पर उसके पास रूस के हमले से जुड़े जरूरी दस्तावेजों के साथ ही CIA और NATO के भी कई कॉन्फिडेंशियल डॉक्यूमेंट हो सकते हैं।
अमेरिका से गिरफ्तार हुआ रूसी एजेंट
इसके ठीक बाद जर्मनी में कुरियर सर्विस में काम करने वाले एक और रूसी व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया। अधिकारियों के मुताबिक, वो कार्सटन की रिपोर्ट के बदले मॉस्को से उसके लिए करीब साढ़े 3 करोड़ से ज्यादा रुपए लेकर आया था। कार्सटन की गिरफ्तारी के बाद मियामी से आर्थर एलर नाम के एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया था। जांच के दौरान उसने अधिकारियों को बताया कि वो कार्सटन के लिए 4 बार सीक्रेट डॉक्यूमेंट्स मॉस्को पहुंचा चुका है।
नॉर्वे-स्वीडन में कई रूसी जासूस पकड़े गए
दूसरे यूरोपीय देश जैसे नीदरलैंड, नॉर्वे, बेल्जियम और स्वीडन में भी कई रूसी जासूस पकड़े जा चुके हैं। न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक, नॉर्वे की ट्रोम्सो यूनिवर्सिटी में गेस्ट लेक्चरर होसे जियामारिया को देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। मिकुशिन उन तीन रूसियों में से एक हैं जिन्हें जासूसी के शक में गिरफ्तार किया गया था।
जून में, इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस में इंटर्न हेग को गिरफ्तार किया गया था। उसके पास ब्राजील का पासपोर्ट भी था और उस पर रूस के लिए जासूसी करने का आरोप लगा था। नवंबर 2022 में स्वीडन ने छापा मारकर एक रूसी कपल को जासूसी के आरोप में पकड़ा था।
जर्मनी-बेल्जियम में फ्यूल नेटवर्क हुआ था हैक
न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक, जर्मनी में कई बार संदिग्ध ड्रोन उन मिलिट्री यूनिट्स के ऊपर दिखे, जहां यूक्रेनियन फौज को ट्रेनिंग दी जा रही थी। यूक्रेन पर हमले से कुछ दिन पहले ही बेल्जियम और जर्मनी में फ्यूल डिस्ट्रिब्यूशन नेटवर्क हैक किया गया था। फ्रांस में अंडर-सी केबल को काटा गया था। इन घटनाओं के पीछे रूस का हाथ होने का शक है। सभी मामलों की जांच चल रही है।