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गैंगस्टर खर्च रहे 18-20 लाख, ठेहट के पास 2 गाड़ियां थीं, नहीं टली मौत

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ठेहट के पास थी दो बुलेट प्रूफ फॉर्च्यूनर

राजू ठेहट के पास तीन फॉर्च्यूनर गाड़ियां थीं। जेल से बाहर आने के बाद उसने दो फॉरर्च्यूनर को बुलेट प्रूफ में चेंज करवा लिया था। सूत्रों का कहना था कि दोनों गाड़ियों को हरियाणा के चरखी दादरी से कंवर्ट करवाया गया था। राजू ठेहट के बड़े भाई हरलाल ने बताया कि राजू कहीं भी घर से बाहर जाता था तो इन्हीं गाड़ियों को लेकर ही जाता था। उसने सिक्योरिटी के लिए गाड्‌र्स भी रखे हुए थे। ये गार्ड भी हमेशा हथियारों के साथ राजू के साथ ही रहते थे। जिस दिन राजू की हत्या हुई उससे एक दिन पहले सिक्योरिटी गार्ड जरूरी काम से छुट्टी पर चला गया था। वे पास में ही रहते थे। राजू भी घर से बाहर कहीं नहीं जा रहा था।

राजू ठेहट के पास तीन फॉर्च्यूनर कारें थीं। बताते हैं इनमें से दो को हरियाणा के चरखी दादरी से बुलेट प्रूफ करवाया गया था।

शूटर, डेढ़ महीने में क्यों नहीं मार पाए राजू ठेहट को?

पुलिस ने मनीष उर्फ बच्चियां, विक्रम गुर्जर, जतिन, सतीश सहित अन्य बदमाशों को पकड़ा तो एक के बाद एक परत खुलती चली गई। जांच में पता लगा कि पिछले बदमाशों ने राजू की हत्या की पूरी प्लॉनिंग डेढ़ महीने पहले ही कर रखी थी। इनके पास हाईटेक हथियार आ चुके थे। नीमकाथाना में मनीष जाट ने हथियार लिए थे।

राजू ठेहट को पहले घर से बाहर मारने का प्लॉन बनाया गया था। लेकिन राजू हमेशा बुलेट प्रूफ गाड़ियों में ही चलता था। जब बदमाश राजू को बाहर मारने में सफल नहीं हो सके तो प्लॉन बी बनाया गया। ठेहट के घर के पास में ही हॉस्टल लेकर रहने लगे। कोचिंग में एडमिशन लिया। रोजाना राजू के हर मूवमेंट पर नजर रखते थे। ठेहट के घर के बाहर जूस की दुकान पर ही आकर बैठते थे।

घर में पूजा कर रहे थे परिवार के लोग

राजू ठेहट के बड़े भाई हरलाल ने बताया कि वे तीन भाई हैं। बड़ा भाई महावीर है और सबसे छोटा राजू था। हरलाल बीच का भाई है। गांव में काफी समय पहले आकर रहने लगे थे। इसके बाद 2019 में पिपराली रोड़ पर मकान ले लिया था। यहीं पर बुक स्टोर चलाने लगे। हत्याकांड से एक दिन पहले गार्ड छुट्टी पर चले गए थे। क्योंकि राजू को कहीं बाहर नहीं जाना था। परिवार के सभी सदस्य घर पर ही थे। रोजाना की तरह से राजू नहा कर घर पर था।

बाकी लोग अंदर पूजा पाठ कर रहे थे। पड़ोस में ही प्लॉट पर कचरा उठाने का काम शुरू करवाया था। हरलाल ने बताया कि मैं खुद ही ट्रैक्टर की पर्चियां दे रहा था। तब मैं मकान के अंदर ही था, लेकिन राजू को शायद पता नहीं था। वह मुझे फोन कर बता रहा था कि पर्चियां जूस की दुकान पर रखी हैं। पड़ोस में जूस की दुकान भी राजू की ही थी। तभी ट्रैक्टर का आना हुआ और अचानक ही राजू मकान से बाहर गेट पर पर्ची देने आ गया था। तब वहां स्टूडेंट की ड्रेस में बैठे दो शूटर पैर छूने लगे और सेल्फी लेने लगे। तभी एक के बाद एक गोलियों के चलने की आवाज आई। गोली चलाते ही बदमाश भाग गए थे।

3 दिसंबर को राजू ठेहट की हत्या कर भागते हुए शूटर।

रील्स बनाने का था शौक

दोस्तों के साथ भी राजू की कई रील्स थी। राजू अपने दोस्तों के साथ भी अक्सर सेल्फी, वीडियो और रील्स बनाकर सोशल मीडिया पर डालता था। जरूरी काम होने पर ही घर से बाहर निकलता था। जब घर से बाहर जाता था तो पूरी सिक्योरिटी के साथ ही बुलेट प्रूफ गाड़ी में जाता था। शूटर्स ने राजू की इसी कमजोरी को पकड़ा और सेल्फी के बहाने उसका मर्डर किया।

दोस्त का दावा : 1 करोड़ की फिरौती से राजू की हत्या की प्लॉनिंग

राजू ठेहट के बिजनेस पार्टनर और करीबी दोस्त संजय चौधरी ने दावा किया कि मर्डर के लिए शूटर्स एक करोड़ की फिरौती वसूलने की फिराक में थे। पिछले साल जयपुर में पकड़े गए कुछ अपराधियों ने बड़े व्यापारी से एक करोड़ रुपए की फिरौती मांगी थी। राजू को पता चल गया था कि उसके मर्डर की प्लानिंग के लिए फिरौती मांगी गई है। संजय चौधरी ने बताया कि तब राजू ने डीजीपी से मिलकर बताया था कि उसकी हत्या की प्लॉनिंग चल रही है। राजू ने सिक्योरिटी के लिए भी आवेदन किया था।

राजू पर पिछले 8 साल से कोई आपराधिक मुकदमा भी दर्ज नहीं हुआ था। जेल से बाहर आकर बिजनेस शुरू कर दिया था। किसी को परेशान भी नहीं किया था। इसी के चलते राजू ने सीकर से निकल कर जयपुर में रहने की प्लानिंग की। महेश नगर में प्लॉट लिया था, लेकिन जयपुर पुलिस ने राजू और उसके गार्डों को शांतिभंग में गिरफ्तार कर लिया था। इस घटना के बाद राजू सीकर आकर रहने लगा था। संजय चौधरी ने आरोप लगाया कि राजू के मर्डर का इनपुट पुलिस के पास भी था। फिर भी सिक्योरिटी नहीं दी। राजू दांतारामगढ़ से चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे था। किसी से चुनावी रंजिश भी नहीं थी।

अलवर के बहरोड़ में लॉरेंस गैंग के गुर्गे लादेन पर फायरिंग के बाद पुलिस के हत्थे चढ़ा शूटर।

लॉरेंस गैंग का बढ़ता दबदबा, गैंगवार की आशंका बढ़ रही

राजू ठेहट के मर्डर की जिम्मेदारी लॉरेंस गैंग ने ली थी। राजस्थान में लॉरेंस गैंग का बढ़ते वर्चस्व ने ही गैंगवार की आशंकाएं पैदा कर दी हैं। कई गैंग एक दूसरे से बदला लेने की फिराक में हैं। एंटी गैंग से टकराव भी बढ़ता जा रहा है। तीन दिन पहले ही अलवर के बहरोड़ में भी पपला गैंग और जसराम गैंग के शूटर्स ने लादेन पर हमला कर दिया था। लादेन उर्फ विक्रम गुर्जर को लॉरेंस का खास गुर्गा माना जाता है। हालांकि इस हमले में लादेन बच गया था। वहीं सवाईमाधोपुर में भी विजय मीणा पर शनिवार रात को गद्दी ग्रुप के कल्लू शूटर, फिरोज व मशरूफ ने हमला कर दिया। विजय को जयपुर के एसएमएस में भर्ती करवाया गया है। गैंग्स के आपस में बढ़ते टकराव को देखते हुए कई गैंगस्टर्स अपनी सुरक्षा का बंदोबस्त करने में जुट गए हैं।

शेखावाटी में 20 से 25 गाड़ियां बुलेट प्रूफ बनीं

सूत्रों ने बताया कि ठेहट मर्डर के बाद से शेखावाटी में 20 से 25 गाड़ियां बुलेट प्रूफ होकर आ चुकी हैं। ज्यादातर लोग राजस्थान से बाहर ही अपनी गाड़ियों को कन्वर्ट करवा रहे हैं। जयपुर में एक दो लोग ही ऑर्डर मिलने पर बुलेट प्रूफिंग का काम करते हैं। लेकिन दिल्ली-एनसीआर में कई लोग इस काम में जुड़े हैं, जो बिना RTO में परमिशन के काम कर देते हैं। इनका मूल बिजनेस तो कारों को मॉडिफाई करने का होता है। ये बुलेट प्रूफ कराने वाले कस्टमर की जानकारी सीक्रेट रखते हैं।

DEMO : बुलेट प्रूफिंग के लिए कार की बॉडी के अंदर की साइड में ऐसी मेटल और फाइबर शीट लगाई जाती है, जिसमें से कोई भी बुलेट पार नहीं हो सके।

8 से 20 लाख तक बुलेट प्रूफ का खर्च

दिल्ली के कार डीलर संजीव सिंह ने बताया कि 8 लाख रुपए से लेकर 20 लाख रुपए का खर्चा बुलेट प्रूफ करवाने में आता है। सबसे पहले आरटीओ से गाड़ी में चेंजेज को लेकर एप्लीकेशन लगाकर परमिशन लेनी पड़ती है। इसके बाद ही काम शुरू किया जाता है। चुनाव के दौरान भी बड़ी संख्या में गाड़ियों को बुलेट प्रूफ में चेंज करवाते हैं।

एक महीने में टायर से लेकर पूरी बॉडी में बदलाव

गाड़ी को बुलेट प्रूफ करवाने में करीब एक महीने का समय लगता है। गाड़ी के टॉयरों के अंदर रिम में एक अलग तरह ही प्लेट डाल दी जाती है। जिससे की गोली लगने पर टायर पंचर होने पर भी 100 किलोमीटर तक आसानी से चलते रहते हैं। इसके अलावा गाड़ी के सारे शीशे बदल दिए जाते हैं। गाड़ी के दरवाजों के अंदर अलग से मेटल शीट लगाई जाती है।

किसी भी बुलेटप्रूफ कार में टायर सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण होते हैं। इसके लिए रिम के ऊपर एक पार्टिकल जोड़ा जाता है, जिससे टायर बस्ट होने के बाद 100 किलोमीटर तक आसानी से ले जा सकते हैं।

गाड़ी के ऑरिजनल स्ट्रक्चर को अंदर से बिल्कुल बदल दिया जाता है। छत से लेकर गाड़ी का फर्श, इंजन पर अलग से कोटिंग, फ्रंट व्हील से लेकर बैक व्हील तक काफी बदलाव किया जाता है। गाड़ी की वायरिंग के सर्किट भी बदले जाते हैं, ताकि कोई छेड़छाड़ नहीं कर सके। बुलेटप्रूफ होने के बाद कार काफी हैवी हो जाती है। 12 किलोमीटर प्रति लीटर का एवरेज देने वाली कार भी मात्र दो से तीन किलोमीटर की माइलेज देने लगती है।

VVIP से अलग होती है गैंगस्टर्स की कारों की प्रूफिंग

देश के टॉप नेताओं के पास मौजूद बुलेटप्रूफ कारों पर बम और मिसाइल अटैक भी असर नहीं करते। कार का टायर भी पंक्चर हो जाए तो यह मीलों दौड़ सकती हैं। क्योंकि उन कारों में रूफ से लेकर इंजन, बोनट, टायर, विंडो, फर्श, वायरिंग तक को स्पेशल मेटल के जरिए बुलेट प्रूफ बनाया जाता है। लेकिन ज्यादातर गैंगस्टर अपनी कार में विंडो, रूफ और ग्लास को ही बुलेट प्रूफ बनवाते हैं। ताकि कम खर्चे में एके-47 जैसे हाइटेक हथियारों से हमले में बचा जा सके।

सबसे ज्यादा स्कॉर्पियो और फॉर्च्यूनर की डिमांड

इस बिजनेस से जुड़े दिल्ली के एक शख्स ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि उनके पास बुलेट प्रूफ गाड़ियों के लिए सबसे ज्यादा स्कॉर्पियो, फॉर्च्यूनर की डिमांड आती है। इनके अलावा एंडेवर, पजेरो, बीएमडब्ल्यू व मसिर्डीज की डिमांड आती है। वे कस्टमर का प्रोफाइल वेरीफाई नहीं करते। बस ऑर्डर मिलने पर पूरा काम करके देते हैं।

ज्यादातर गैंगस्टर की पसंद स्कॉर्पियो और फॉर्च्यूनर कारें हैं। इन्ही गाड़ियों का इस्तेमाल गैंगस्टर ज्यादा करते हैं।

स्कॉर्पियो को बुलेट प्रूफ करने के लिए करीब 12 लाख और फॉर्च्यूनर के लिए 18 से 20 लाख रुपए का खर्चा आता है। अगर केवल विंडो और ग्लास का काम करवाना है, तो उसका खर्चा 8 से 10 लाख रुपए तक आता है। तैयार होने के बाद 42 लाख की फॉर्च्यूनर की कॉस्ट 65 से 80 लाख रुपए तक हो जाती है। वहीं 12-14 लाख की स्कॉर्पियो 22 लाख की हो जाती है।

कोई नहीं पहचान सकता, गाड़ी बुलेट प्रूफ है या नहीं

एक गाड़ी तैयार करने में 20 दिन से लेकर एक महीने का समय लगता है। जिन गाड़ियों को बुलेट प्रूफ किया जाता है उसके सभी नॉर्मल शीशों को हटाया जाता है। फिर फॉरेन से एक्सपोर्ट स्पेशल बुलेट प्रूफ ग्लास लगाए जाते हैं। पहले बुलेटप्रूफ गाड़ियों की विंडो में लगे शीशे फिक्स होते थे। अब नई तकनीक के इस्तेमाल से शीशों को ऊपर-नीचे किया जा सकता है। सबसे खास बात यह है कि बुलेटप्रूफ होने के बाद इसको बाहर से देख कर कोई भी बुलेट प्रूफिंग का अंदाजा नहीं लगा सकता है।

गैंगवार को हावी होने नहीं दिया जाएगा

सीकर एसपी कुंवर राष्ट्रदीप ने बताया कि राजू ठेहट की हत्या में शामिल करीब 16 आरोपियों को पकड़ा जा चुका है। गैंगवार की घटनाओं को बिल्कुल भी हावी नहीं होने दिया जाएगा। बुलेट प्रूफ गाड़ियों के बनाने से कोई लाभ नहीं है। बदमाश अपराध छोड़कर सामान्य जीवन जिएं तो ऐसी गाड़ियों की जरूरत ही नहीं पड़े। जल्द ही कुछ और गिरफ्तारी की जाएगी। पुलिस आरोपियों की तलाश में जुटी है।

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