चीन में कोरोना की नई लहर की वजह से अस्पतालों में तेजी से मरीज बढ़ रहे हैं। परेशानी की बात यह है कि मेडिकल स्टाफ भी संक्रमित हो रहा है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, कई पॉजिटिव डॉक्टर्स को मरीजों के इलाज के लिए मजबूर किया जा रहा है।
संक्रमण के हालात 2020 की याद दिला रहे हैं। तब से अब तक शी जिनपिंग सरकार ने इससे निपटने के लिए सख्त नियम लागू किए। जीरो कोविड पॉलिसी लाई गई। बेहद सख्त लॉकडाउन लगते रहे। तमाम दावों और वादों के बावजूद कोरोना कंट्रोल नहीं किया जा सका।
10 दिन में 1000 बिस्तर वाला अस्पताल तैयार किया
वुहान में 31 दिसंबर 2019 में कोरोना का पहला मामला सामने आया था। सरकार ने तुरंत कार्रवाई करते हुए 24 जनवरी 2020 को 1000 बेड वाला अस्पताल बनाना शुरू कर दिया था। ये 10 दिन में ही बनकर तैयार हो गया था। 2 लाख 69 हजार वर्ग फीट का यह हॉस्पिटल जब तैयार हुआ तो इस दौरान 361 लोगों की मौत हो चुकी थी।
कोरोना टेस्टिंग, क्वारेंटाइन और कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग
संक्रमण के बढ़ते मामलों से फिक्रमंद सरकार ने टेस्टिंग बढ़ा दी। संक्रमित व्यक्ति के 1 किमी के दायरे में आने वाले लोगों की टेस्टिंग की गई। पूरे इलाके को क्वारेंटाइन कर दिया गया। बीजिंग के मॉल में एक व्यक्ति संक्रमित मिला था। इसके बाद पूरे मॉल को सील कर दिया गया था। संक्रमण की चपेट में आए सभी लोगों के करीबियों की भी जांच की गई।
ट्रैवल बैन
वुहान में संक्रमण फैलने के बाद ही सरकार जीरो कोविड पॉलिसी ले आई थी। इसे लगातार सख्त किया जा रहा था। इसके तहत वुहान से ऑपरेट होने वाली तमाम ट्रेन और फ्लाइट बंद कर दी गईं। वुहान के बाद सबसे ज्यादा हुआनगांग और इझोऊ प्रभावित हुए थे। यहां भी यात्रा पर प्रतिबंध लगा दिया था। दोनों शहरों में पब्लिक ट्रांसपोर्ट और ट्रेनें रोक दी गई थीं। उत्तर कोरिया बॉर्डर पर स्थित जिलिन प्रांत के लोगों पर प्रांत से बाहर और आसपास के इलाकों पर ट्रैवल बैन लगा दिया गया था।
लॉकडाउन फिर बॉर्डर सील
चीन ने कोरोना का पहला केस सामने आने के 24 दिन बाद ही लॉकडाउन लगा दिया था। 28 दिनों में कुल 1,280 मामले सामने आ चुके थे। सरकार ने स्कूल, ऑफिस, ट्रांसपोर्ट सर्विस, एयरपोर्ट, मेट्रो सेवा और लोगों के एक जगह से दूसरी जगह आने-जाने पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया था। लिहाजा घरों में बंद लोग खाना और दवाइयों के लिए तरस गए।
इतना ही नहीं देश की सीमाएं सील कर दी थीं। दूसरे देशों से गैरकानूनी तरीके से आने वाले लोगों को रोकने के लिए सीमा पर पेट्रोलिंग बढ़ा दी थी। रूस से सटे शहर हीये में कोविड के जिम्मेदार लोगों की सूचना देने पर 15 लाख का इनाम तक रखा गया था।
कोरोना वैक्सीन 6 महीने में ही तैयार की
जून में ही मिलिट्री के लिए कैनसिनो बायोलॉजिक्स वैक्सीन मंजूर हो गई थी। इसके बाद चीन ने एक और वैक्सीन बनाई। हैरानी इस बात की है कि ट्रायल्स के नतीजे आने से पहले ही इसे पेटेंट भी करा लिया। सरकार ने दावा किया कि महामारी चीन में बड़े पैमाने पर फैल रही है। पेटेंट मिलते ही प्रोडक्शन शुरू हो जाएगा। पेटेंट ने इस वैक्सीन की सेफ्टी और इफेक्टिवनेस के दावे को मजबूती दे दी थी।
चीन के दावों के उलट वहां की स्थिति
- 2021 में कोरोना से रोकथाम की सरकारी कमेटी का नेतृत्व कर रहे महामारी विशेषज्ञ लियांग वानियन ने एक इंटरव्यू में कहा था कि चीन ने प्रभावी रूप से सामुदायिक कोविड मामलों को नियंत्रित किया है। उन्होंने जीरो टॉलरेंस नीति का बचाव करते हुए कहा था कि सिर्फ सख्ती ही महामारी रोकने का सबसे कारगर तरीका है।
- तीन साल बाद भी स्थिति कंट्रोल में नहीं आ सकी है। आज भी अस्पतालों के सभी बेड भरे हैं। दवाएं खत्म हो रही हैं। मेडिकल स्टोर्स के सामने लंबी कतारें देखी जा रही हैं। इतना ही नहीं मरीज डॉक्टर के सामने गिड़गिड़ाते देखे जा सकते हैं।
- चीन का कहना है कि उसकी 90% आबादी फुली वैक्सीनेटेड है। यानी इन्हें वैक्सीन के सारे डोज लग चुके हैं। एक्सपर्ट्स का कहना है कि चीन में अब तक वैक्सीनेशन 38% ही हुआ है। 65 की उम्र से अधिक के लोगों में ये 10% ही है। जबकि गंभीर इन्फेक्शन का सबसे ज्यादा डर इन्हें ही है।
- इसकी बड़ी वजह लोगों का वैक्सीन पर भरोसा न होना है। कुछ में इसके साइड इफेक्ट्स नजर आ रहे हैं, जो बाकी लोगों को खुराक लेने के लिए डिमोटिवेट करते हैं। ये खासकर बुजुर्गों में ज्यादा हो रहा है। ऐसे लोगों का कहना है कि वैक्सीन लेने के बजाय वायरस का सामना करना ज्यादा पसंद करेंगे
हाथ धोकर पीछे पड़ा कोरोना, उस पर बर्बाद हेल्थ सिस्टम का रोना
अब चीन में क्या हो रहा…
- एक तरफ CCP की हाईएस्ट रैंकिंग वाली एकमात्र महिला और चीन में कोरोना से लड़ने वाली एक समिति की हेड सुन चुनलान का कहना है कि देश में कोरोना का ओमिक्रॉन वैरिएंट कमजोर हो गया है। इससे अब कोई खतरा नहीं है। दूसरी तरफ, चीन में ओमिक्रॉन का नया वैरिएंट BF.7 फैल रहा है। हेल्थ एक्सपर्ट्स का कहना है कि ये ओमिक्रॉन का सबसे शक्तिशाली वैरिएंट है।
- सरकार एडवाइजरी जारी करते हुए कह रही है कि कोरोना का खतरा न के बराबर है। अगर किसी को कोरोना हो भी जाता है तो वो घर में आइसोलेशन में रह सकते हैं। पॉजिटिव होने के बावजूद उनमें कोरोना के ज्यादा लक्षण नहीं दिखेंगे। इसलिए डरने की जरूरत नहीं है।
- सरकार की खतरा कम होने की बयानबाजी और एडवाइजरी के बावजूद संक्रमण के मामले बढ़ रहे हैं। लोकल मेडिकल इमरजेंसी की हेल्पलाइन पर रोजाना 30 हजार से ज्यादा लोग कॉल करके मदद मांग रहे हैं। शिचुआन प्रांत में हालात ज्यादा खराब हैं। यहां हर दिन 700-800 मरीज बुखार की समस्या लेकर आ रहे हैं।
चीन में सख्त प्रतिबंध खत्म होने के बाद एक बार फिर कोरोना के मामलों में इजाफा हो रहा है। रविवार को यहां दो हजार मरीजों की पुष्टि हुई, लेकिन एक्सपर्ट्स का मानना है कि यह आंकड़ा अभी और बढ़ेगा। चूंकि सर्दियों में संक्रमण ज्यादा फैलेगा, इसलिए अगले साल 10 लाख मौतें होने की आशंका भी है। न में 80 करोड़ कोरोना संक्रमित होंगे, आलू से बुखार उतार रही मांएं
चीन में अगले कुछ महीनों में 80 करोड़ लोग कोरोना संक्रमित हो सकते हैं। लंदन की ग्लोबल हेल्थ इंटेलिजेंस कंपनी एयरफिनिटी ने कहा कि चीन में जीरो कोविड पॉलिसी खत्म होने के बाद 21 लाख मौतें हो सकती हैं। एयरफिनिटी ने इसकी वजह चीन में कम वैक्सीनेशन और एंटीबॉडीज में कमी को बताया है। इधर, बच्चों को बुखार आ रहा है तो मांएं आलू से उतारने की कोशिश कर रही हैं।
चीन में कोरोना से होने वाली मौतों के बारे में जारी हुई एक रिपोर्ट ने चीन की चिंताएं बढ़ा दी हैं। अमेरिका के ‘इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ मैट्रिक्स एंड इवेलुएशन’ (आईएचएमई) ने अनुमान लगाया है कि 2023 तक चीन में कोरोना के कारण 10 लाख से ज्यादा लोगों की मौत होगी। ये अनुमान चीन में कोविड प्रतिबंधों के खात्मे के बाद की स्थिति को ध्यान में रखते हुए लगाए गए हैं।