आयुष कॉलेजों में दाखिला दिलाने वाले गिरोह की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। नीट न देने वाले 22 छात्र आयुष घोटाले की अहम कड़ी हो सकते हैं। सीबीआई इन छात्रों से पूछताछ कर बैगर नीट दाखिले का राज खोलेंगे। छात्रों के बयान से फर्जी एडमिशन दिलाने वाले धंधेबाजों पर शिकंजा कसेगा।
पांच छात्र सरकारी कॉलेज में दाखिला पा चुके आयुर्वेद निदेशक डॉ. एसएन सिंह की तरफ से हजरतगंज कोतवाली में मुकदमा फर्जीवाड़े का मुकदमा दर्ज कराया गया है। इसमें नीट-2021 आयुष काउंसलिंग में धांधली का जिक्र है। निदेशक की तहरीर में 22 ऐसे छात्रों का जिक्र किया गया है, जिन्होंने बिना नीट दाखिला पाने में कामयाबी हासिल की है। इनमें पांच छात्र सरकारी कॉलेज में दाखिला पा गए हैं। सीबीआई इन छात्रों के सहारे फर्जी एडमिशन के गिरोह तक आसानी से पहुंच सकती है। लिहाजा इन छात्रों के बयान दर्ज किए जाएंगे। बगैर नीट कैसे दाखिला हुआ? एडमिशन में किन लोगों ने मदद की? डाटा फीडिंग से लेकर मेरिट सूची में नाम डालवाने में क्या-क्या पैतरेबाजी अपनाई गई। दाखिले के लिए छात्रों से क्या कीमत वसूली गई? इन सब तथ्यों से राजफाश होने की उम्मीद बढ़ गई है।
मूल दस्तावेज नहीं दिए निलंबन के बाद छात्रों पर बर्खास्तगी की कार्रवाई भी हो सकती है। इस दिशा में उच्च अधिकारियों ने मंथन शुरू कर दिया है। साथ ही निलंबित छात्रों को हास्टल खाली करने के लिए कहा गया है। कॉलेजों को इन छात्रों के मूल शैक्षिक दस्तावेज न देने के निर्देश दिए गए हैं। लिहाजा छात्रों के दस्तावेज कॉलेजो में जमा रहेंगे।
सीट आवंटन के बाद 36 ने नहीं लिया प्रवेश
कुल 927 छात्रों ने नीट-मेरिट से इतर कांउसलिंग प्रक्रिया में हिस्सा लिया। मनपसंद कॉलेजों का चयन किया। इसमें ने 891 ने दाखिला लिया। बाकी 36 छात्रों ने दाखिला नहीं लिया। घपला उजागर होने की आशंका ने छात्रों ने एडमिशन न लेना ही मुनासिब समझा। इन छात्रों पर भी सीबीआई शिकंजा कस सकता है।
दस्तावेज सील
एसटीएफ ने फर्जी एडमिशन की जांच शुरू कर दी है। नीट-यूजी 2021 की आयुष काउंसलिंग से संबंधित दस्तावेजों को जुटाने के बाद उन्हें सील करने का सिलसिला शुरू कर दिया है। आयुर्वेद निदेशालय के अफसरों ने कुछ दस्तावेज आयुर्वेद व होम्योपैथिक कॉलेज से भी जुटाए हैं।