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अंतरराष्ट्रीय बाजार से पुराने बोइंग विमान खरीदकर वायु सेना के लिए तैयार करेगा एचएएल

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एचएएल पुराने बोइंग-767 विमान खरीदने के लिए एक वैश्विक निविदा जारी करेगा

– इजरायल एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज से समझौता, पूरी प्रक्रिया में लगेंगे तीन से चार साल

। हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) अंतरराष्ट्रीय बाजार से पुराने छह नागरिक बोइंग विमानों को खरीदकर वायु सेना के लिए तैयार करेगा। एचएएल ने इन विमानों को हवा में ईंधन भरने लायक बदलने के लिए इजरायल एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज (आईएआई) के साथ एक समझौता किया है। एचएएल पुराने बोइंग-767 विमान खरीदने के लिए एक वैश्विक निविदा जारी करेगा। इस पूरी प्रक्रिया में तीन से चार साल लगने की उम्मीद है।

भारतीय वायु सेना के पास वर्तमान में छह रूसी आईएल-78 मिड एयर रिफ्यूलर हैं। कुछ समय से वायु सेना कुछ समय से नए मिड-एयर रिफ्यूलर खरीदने की तलाश में है, लेकिन विभिन्न कारणों से सौदे में बार-बार देरी हो रही है। वायु सेना इसके लिए निविदा भी जारी करना चाह रही थी लेकिन वित्तीय संकट ने इस मुद्दे पर पुनर्विचार करने के लिए मजबूर कर दिया। इसलिए हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड ने भारतीय वायु सेना के लिए छह बोइंग-767 नागरिक विमानों को मध्य-वायु ईंधन भरने वालों में परिवर्तित करेगा, जिसके लिए उसने अप्रैल में आईएआई के साथ एक समझौता किया है। समझौते के तहत छह बोइंग-767 को नागरिक से सैन्य विमानों में परिवर्तित किया जाएगा।

वायु सेना के एक अधिकारी ने बताया कि अंतरराष्ट्रीय बाजार से सेकेंड हैंड बी-767 खरीदने के लिए एचएएल एक वैश्विक निविदा जारी करेगा। समग्र प्रक्रिया में कम से कम तीन से चार साल लगने की उम्मीद है। इसके अलावा, एचएएल एयर इंडिया के बोइंग-747 को कार्गो विमान में परिवर्तित करने पर भी विचार कर रहा है। यह विमान एयर इंडिया के पास उपलब्ध हैं लेकिन इनकी आयु 20 साल पूरी हो चुकी है। इसीलिए हाल ही में टाटा को एयर इंडिया का स्वामित्व मिलने के बाद इन विमानों को नागरिक भूमिका से हटा दिया गया है। वायु सेना के इस अधिकारी ने कहा कि इन विमानों की व्यवहार्यता का पता लगाया जा रहा है।

दरअसल, आईएआई के पास नागरिक विमानों को कार्गो में बदलने की विशेषज्ञता हासिल है। इस तरह के एक प्रोजेक्ट में एचएएल ने पहले आईएआई के साथ मिलकर काम किया है। इसलिए यह परियोजना शुरू की जा सकती है। इस प्रोजेक्ट में भारतीय वायु सेना की भी महत्वपूर्ण भूमिका होगी। हवा में ईंधन भरने से लड़ाकू विमानों की रेंज और पे-लोड काफी बढ़ जाता है। इससे विमान की सामान्य समय सीमा से बहुत अधिक देर तक हवा में रहने की क्षमता बढ़ जाती है। वायु सेना के अधिकारियों का मानना है कि अंतरिम जरूरत पूरी करने के लिए हवा में ईंधन भरने वाले विमानों को पट्टे पर भी लिया जा सकता है, जो रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया-2020 में दिया गया एक विकल्प है।

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