ऑस्ट्रेलिया सरकार ने पश्चिमी यरुशलम को इजरायल की राजधानी के रूप में दी गई मान्यता वापस ले ली। इस फैसले को इजरायल और फिलिस्तीन के बीच शांति वार्ता के हिस्से के रूप में देखा जा रहा है। ऑस्ट्रेलिया के पूर्व प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन ने 2018 में पश्चिम येरुशलम को इजरायल की राजधानी के रूप में मान्यता दी थी। नए प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज ने पिछली सरकार के फैसले को बदल दिया है।
हालांकि ऑस्ट्रेलिया के विदेश मंत्री वोंग ने पिछली सरकार के निर्णय को पलटने के फैसले से इनकार किया है। वोंग के एक प्रवक्ता ने ऑस्ट्रेलिया के एबीसी न्यूज से कहा कि सरकार किसी भी शांति वार्ता के हिस्से के रूप में हल किए जाने वाले मामले के रूप में यरुशलम की अंतिम स्थिति पर विचार करना चाहती है। हमारे लिए शांति और सुरक्षा जरूरी है। हम उस दृष्टिकोण का समर्थन नहीं करेंगे जो शांति की संभावना को कमजोर करता है। पूर्व सरकार ने पश्चिमी यरुशलम को इजरायल की राजधानी के रूप में मान्यता देने का निर्णय लिया था। यह सही बात है लेकिन हम इसकी राजधानी बदलने नहीं जा रहे बल्कि इस पर विचार करेंगे।
उल्लेखनीय है कि फिलिस्तीन और इजरायल के विवाद के केंद्र में प्राचीन यरुशलम शहर ही है। यहां की स्थिति में मामूली बदलाव भी कई बार हिंसक तनाव और बड़े विवाद का रूप ले चुका है। इस प्राचीन शहर में यहूदी, ईसाई और मुस्लिम धर्म के सबसे पवित्र स्थल हैं। ये शहर सिर्फ धार्मिक रूप से ही महत्वपूर्ण नहीं है बल्कि कूटनीतिक और राजनीतिक रूप से भी बेहद अहम है।
अधिकतर इजरायली यरुशलम को अपनी अविभाजित राजधानी मानते हैं। इजरायल राष्ट्र की स्थापना 1948 में हुई थी। तब इजरायल की संसद को शहर के पश्चिमी हिस्से में स्थापित किया गया था। 1967 के युद्ध में इजरायल ने पूर्वी यरुशलम पर भी कब्जा कर लिया थाए लेकिन इसे अंतरराष्ट्रीय मान्यता नहीं मिली है। इसके बाद प्राचीन शहर भी इजरायल के नियंत्रण में आ गया।