Search
Close this search box.

हाईकोर्ट ने कहा- निजी स्कूलों की फीस प्रतिपूर्ति की हर साल समीक्षा करे सरकार

Share:

इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ

याची की ओर से कहा गया कि वर्ष 2013 के शासन के आदेश के तहत ऐसे स्कूलों को हर बच्चे के लिए प्रति माह 450 रुपये भुगतान तय हुआ था। हालांकि, इसके बाद भी यह रकम तय नहीं की गई, जबकि अब खर्चे भी काफी बढ़ चुके हैं।

इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने आरटीई के तहत मुफ्त शिक्षा देने वाले निजी स्कूलों की फीस प्रतिपूर्ति की हर साल समीक्षा करने का आदेश राज्य सरकार को दिया है। न्यायमूर्ति पंकज भाटिया की एकल पीठ ने लखनऊ एजूकेशन एंड एस्थेटिक डेवलपमेंट सोसायटी की याचिका पर यह आदेश दिया।

याची की ओर से कहा गया कि वर्ष 2013 के शासन के आदेश के तहत ऐसे स्कूलों को हर बच्चे के लिए प्रति माह 450 रुपये भुगतान तय हुआ था। हालांकि, इसके बाद भी यह रकम तय नहीं की गई, जबकि अब खर्चे भी काफी बढ़ चुके हैं। दलील दी कि इन स्कूलों पर सरकार की ओर से फीस व अन्य खर्चोँ की समुचित प्रतिपूर्ति का दायित्व है। कोर्ट ने कहा, एक ओर सरकार पर्याप्त संख्या में स्कूल नहीं खोल पा रही तो दूसरी ओर जो मुफ्त शिक्षा दे रहे हैं, उन्हें फीस की प्रतिपूर्ति में भी नियमों का पालन नहीं किया जा रहा है।

कोर्ट के आदेश का अनएडेड प्राइवेट स्कूल एसो. ने स्वागत किया है। अध्यक्ष अनिल अग्रवाल ने बताया कि निजी स्कूलों की कई वर्षों से की जा रही मांग को संज्ञान में लेते हुए कोर्ट ने निर्णय लिया है। संयुक्त सचिव व प्रवक्ता ख्वाजा सैफी यूनुस ने कहा कि  प्राइवेट स्कूलों को अपेक्षा होती है कि शिक्षा विभाग, शासन और राज्य सरकार बिना देरी के बकाया फीस प्रतिपूर्ति की रकम दे। एसो. सचिव डॉ. माला मेहरा, कोषाध्यक्ष रचिव मानस ने कोर्ट का आभार जताया।

राज्य सरकार को ये निर्देश भी दिए

  • . 31 मार्च तक के पूरे अकादमिक वर्ष के खर्चोँ को ध्यान में रखकर प्रतिपूर्ति तय करने को कदम उठाया जाएगा।
  • . हर साल 30 अप्रैल तक प्रदेश के सभी ऐसे स्कूलों को देय फीस व अन्य खर्चों को तय किया जाएगा।
  • . सरकार सरकारी व स्थानीय निकायों के स्कूलों के पिछले सत्र में 30 सितंबर तक दर्ज विद्यार्थियों के अनुपात में खर्चों की प्रतिपूर्ति तय करेगी।

Leave a Comment

voting poll

What does "money" mean to you?
  • Add your answer

latest news