पाकिस्तान में हिंदुओं समेत अल्पसंख्यकों के लिए हर कदम पर मुसीबतें बढ़ती जा रही हैं। अल्पसंख्यकों पर अत्याचार का आलम ये है कि पिछले साल ईशनिंदा का आरोप लगाकर 585 लोगों को गिरफ्तार किया गया है।
पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों पर अत्याचार की घटनाएं लगातार बढ़ती जा रही हैं। इनमें जबरन धर्मांतरण और अल्पसंख्यकों की हत्या की घटनाएं भी शामिल हैं। अल्पसंख्यकों पर अत्याचार में सिर्फ बहुसंख्यक भीड़ शामिल नहीं है बल्कि पाकिस्तान सरकार भी इसमें पीछे नहीं है। सरकारी स्तर पर ईशनिंदा कानून का प्रयोग कर अल्पसंख्यकों पर जुल्म ढाए जा रहे हैं। पाकिस्तान मानवाधिकार आयोग भी अल्पसंख्यकों पर हो रहे उत्पीड़न की पुष्टि करता है।
पाकिस्तान मानवाधिकार आयोग के अनुसार सिर्फ 2021 में ही देश भर में ईशनिंदा के आरोप में 585 लोग गिरफ्तार किये गए। तीन अल्पसंख्यकों को अलग-अलग जगह मौत के घाट उतारने की पुष्टि भी पाकिस्तान के मानवाधिकार आयोग द्वारा की गयी है। जबरन धर्मांतरण के मामले पंजाब प्रांत में तीन गुना बढ़े हैं। 2020 में 13 तो 2021 में ऐसी 36 घटनाएं दर्ज हुईं।
इसके अलावा, सिंध के विभिन्न इलाकों में भी बीते साल धर्मांतरण के मामले सामने आए और हिन्दू और ईसाई सबसे ज्यादा शिकार बने हैं। इसके अलावा जबरन धर्मांतरण के मामले में भी तेजी से बढ़ रहे हैं। पाकिस्तान में कट्टरपंथी मुस्लिमों द्वारा हिंदुओं समेत अल्पसंख्यक परिवारों के खिलाफ अत्याचार भी बढ़े हैं। पिछले कुछ वर्षों में हिन्दू लड़कियों का अपहरण कर उनका जबरन धर्मांतरण कराने और मुस्लिमों के साथ उनका जबरन विवाह कराने के मामले भी बढ़े हैं। इसे लेकर वहां अल्पसंख्यक प्रदर्शन भी कर रहे हैं किन्तु उनकी आवाज सुनी ही नहीं जा रही है।