पाकिस्तान की एक आतंकरोधी अदालत ने 26 नवंबर, 2008 के मुंबई हमले के हैंडलर और आतंकी साजिद मजीद मीर को आतंकी फंडिंग के मामले में 15 साल से अधिक जेल की सजा सुनाई है। लश्कर और जमात-उद-दावा से जुड़े आतंकी फंडिंग के केस देखने वाले एक अधिवक्ता ने यह जानकारी दी है।
इस वकील के मुताबिक इस साल अप्रैल में गिरफ्तार किए जाने के बाद से मीर कोट लखपत जेल में बंद है। आतंकरोधी अदालत ने आतंकी साजिद मजीद मीर पर चार लाख रुपये से अधिक का जुर्माना भी लगाया है। पहले माना जा रहा था कि उसकी मौत हो चुकी है।
उधर, पाकिस्तान की पंजाब पुलिस के आतंकरोधी विभाग ने साजिद मजीद मीर की सजा को लेकर कोई जानकारी नहीं दी है। आतंकरोधी विभाग ही ज्यादातर मामलों में दोषियों को सजा मिलने की जानकारी मीडिया को देता है।
इस सिलसिले में कुछ मीडिया रिपोर्ट में बताया गया है कि इस मामले की सुनवाई कोट लखपत जेल में बंद कमरे में हुई। वहां मीडिया को जाने की इजाजत नहीं दी गई। इस बीच पाकिस्तान ने कथित तौर पर फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स को बताया कि उसने साजिद मीर को गिरफ्तार कर उस पर मुकदमा चलाया है। आर्थिक विश्लेषक पाकिस्तान के इस कदम को फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स की ग्रे लिस्ट से निकलने की छटपटाहट का नतीजा मान रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि 2008 में 26/11 के मुंबई हमले में 160 से ज्यादा लोग मारे गए थे। लश्कर-ए-तैयबा के हथियारों से लैस आतंकवादियों ने मुंबई की कई जगहों और प्रतिष्ठित इमारतों पर हमला किया था। इस आतंकी हमले में आतंकवाद निरोधक दस्ते के प्रमुख हेमंत करकरे समेत मुंबई पुलिस के कई आला अधिकारी भी अपनी जान गंवा बैठे थे। लियोपोल्ड कैफे और छत्रपति शिवाजी टर्मिनस से शुरू हुआ मौत का यह तांडव ताजमहल होटल में खत्म हुआ था।
आशा खबर /रेशमा सिंह पटेल