श्रीरामलला की प्राण प्रतिष्ठा का मुख्य मंत्र 84 की जगह 83 सेकंड में ही पूरा हो गया। ऐसा विद्वानों की चपलता से है। प्राण प्रतिष्ठा के संयोजक रहे पं. गणेश्वर शास्त्री द्राविड़ ने यह जानकारी दी।
अयोध्या में श्रीरामलला की प्राण प्रतिष्ठा सही मुहूर्त में हुई। इस महानुष्ठान का असर देश-दुनिया पर सकारात्मक पड़ेगा। प्राण प्रतिष्ठा का मुख्य मंत्र 84 सेकेंड का था। लेकिन, विद्वानों की चपलता से उसे 83 सेकेंड में ही पूरा कर लिया गया।
प्राण प्रतिष्ठा के संयोजक रहे पं. गणेश्वर शास्त्री द्राविड़ बुधवार को अयोध्या से काशी लौटे। रामघाट स्थित सांग्वेद विद्यालय में बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि सबकुछ जिज्ञासा के अनुसार चलता है। मगर जो लोग मुहूर्त को सही नहीं मानते वो सिर्फ इस कार्य में विघ्न डालने की कोशिश में हैं।
वह राजनीति से प्रेरित हैं या अज्ञानता से ये वही जान सकते हैं। उन्होंने कहा कि श्रीरामलला के अयोध्या में विराजमान होने से लोगों के मन में सत्य प्रवृत्तियां और धर्मानुसार कार्य करने का विचारा आएगा। शुभ और अच्छे कार्य होंगे। इससे सनातन और मजबूत होगा।
एक सेकेंड पहले ही पूरा हो गया था मंत्र
पं. गणेश्वर शास्त्री द्राविड़ ने बताया कि प्राण प्रतिष्ठा का मुख्य मंत्र दिन में 12 बजकर 29 मिनट और आठ सेकेंड पर शुरू हुआ और 12 बजकर 30 मिनट और 31 सेकेंड पर पूरा हो गया। मंत्र को तीन बार पढ़ा गया। इसके बाद प्राण प्रतिष्ठा का महानुष्ठान पुरा हुआ था।
प्राण प्रतिष्ठा के मुख्य आचार्य पं. लक्ष्मीकांत दीक्षित ने कहा कि प्राण प्रतिष्ठा से भारत ही नहीं पूरे विश्व का भविष्य उज्ज्वल होगा। अनुष्ठान में कोई विघ्न न पड़े इसलिए देशभर के विद्वानों को बुलाया गया था। उन्होंने कहा कि मुहूर्त को लेकर तर्क-वितर्क करने वालों को संपूर्ण निदान दे दिया गया था। अब वह संतुष्ट हैं या नहीं वो जानें। जब पूरा देश राममय हो गया था तो राजनीति करने वाले भी बदल गए और राममय हो गए।
अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा के बाद काशी लौटे काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास परिषद के अध्यक्ष नागेंद्र पांडेय ने कहा कि प्रभु श्रीराम के रामराज्य की दृष्टि को बल मिलेगा। राष्ट्र निर्माण को भी ताकत मिलेगी। काशी विद्वत परिषद के महामंत्री प्रो. रामनारायण द्विवेदी ने बताया कि श्रीरामलला की प्राण प्रतिष्ठा से रामराज्य की कल्पना साकार होगी। इससे सनातनियों की खोई हुई विरासत पुन: वापस आएगी।