रिपोर्ट के अनुसार, महिला सांसदों के अधिकतर सवाल स्वास्थ्य सेवाओं, शिक्षा, सड़क, सूक्ष्म-लघु-मध्यम उद्योगों से जुड़े थे। यह समाज के वंचित व कमजोर वर्ग से जुड़े सवाल हैं। पुरुष सांसदों के अधिकतर सवाल वित्त, रक्षा, विदेश मामलात, पीएमओ से संबंधित थे।
संसद में महिला सांसदों की अहमियत उनकी संख्या के आधार पर समझी जाती रही है, लेकिन लोकतंत्र के मंदिर में पूछे जाने वाले सवालों के विश्लेषण से सामने आया है कि वे इनके जरिये भी अपनी अहमियत बढ़ा रही हैं और अपनी ही सरकार से सवाल करने में पुरुष सांसदों से आगे निकल रही हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आर्थिक सलाहकार परिषद की सदस्य शमिका रवि की ओर से पीआरएस लेजिस्लेटिव रिसर्च के आंकड़ों के विश्लेषण पर तैयार रिपोर्ट में यह बात सामने आई है।
भाजपा राज में महिला सांसदों को मिला प्रोत्साहन
रिपोर्ट के अनुसार, भाजपा की महिला सांसदों की ओर से 15वीं लोकसभा में पूछे सवालों की माध्यिका आंकड़ा 355 था और कांग्रेस की महिला सांसदों के सवालों का 58। उस समय कांग्रेस सत्ता में थी और भाजपा विपक्ष में। रोचक आंकड़ा 16वीं लोकसभा का रहा, जिस समय भाजपा सत्ता में आ चुकी थी। यहां भाजपा महिला सांसदों का अपनी ही सरकार से किए सवालों का माध्यिका आंकड़ा 346 रहा। यह संकेत है कि भाजपा के भीतर महिला सांसदों को सशक्तीकरण व प्रोत्साहन मिला।
रिपोर्ट के अनुसार, महिला सांसदों के अधिकतर सवाल स्वास्थ्य सेवाओं, शिक्षा, सड़क, सूक्ष्म-लघु-मध्यम उद्योगों से जुड़े थे। यह समाज के वंचित व कमजोर वर्ग से जुड़े सवाल हैं। पुरुष सांसदों के अधिकतर सवाल वित्त, रक्षा, विदेश मामलात, पीएमओ से संबंधित थे।
उत्साहजनक तस्वीर
महिला सांसद हमारे लोकतंत्र को और अधिक जीवंत बना रहीं हैं और स्वास्थ्य, शिक्षा, बुनियादी ढांचे जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर भी ध्यान केंद्रित कर रही हैं। यह एक बहुत ही उत्साहजनक प्रवृत्ति है जो इस बात का भी उदाहरण देती है कि नारी शक्ति वंदन अधिनियम कैसे लोगों की आवाज को और मजबूत करेगा।