दिल्ली शराब घोटाले में राज्यसभा सांसद संजय सिंह की गिरफ्तारी इन दिनों चर्चा का विषय बनी हुई है। इससे पहले दिल्ली और पंजाब में आप सरकारों के छह मंत्री भी समय-समय पर जेल जा चुके हैं।
आम आदमी पार्टी के नेताओं की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रहीं। दिल्ली शराब घोटाले में राज्यसभा सांसद संजय सिंह की गिरफ्तारी इन दिनों चर्चा का विषय बनी हुई है। फिलहाल संजय सिंह पांच दिन की ईडी की रिमांड में हैं। इस बीच, एजेंसी ने आप नेता के करीबी सर्वेश मिश्रा, कंवरबीर सिंह और विवेक त्यागी को तलब किया गया है ताकि आमने-सामने बैठाकर पूछताछ की जा सके।
बीते कुछ समय में आप के तीसरे बड़े नेता की गिरफ्तारी है। इससे पहले मनीष सिसोदिया और सतेंद्र जैन के खिलाफ ये कार्रवाइयां हुई हैं। ऐसे में हमें जानना चाहिए कि अब तक कितने आप नेता गिरफ्तार हुए? उन पर क्या आरोप थे?
दिल्ली और पंजाब में आप सरकारों के छह मंत्री समय-समय पर जेल जा चुके हैं। इसके अलावा लगभग डेढ़ दर्जन विधायक भी जेल गए हैं। संजय सिंह की गिरफ्तारी के बाद इस सूची में पार्टी के सांसद का भी नाम आ गया है।
संजय सिंह
गिरफ्तार होने वालों में सबसे ताजा मामला आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह का है। चार अक्तूबर को दिल्ली शराब घोटाले में ईडी ने सांसद संजय सिंह को गिरफ्तार किया था। शराब नीति घोटाले में संजय सिंह का नाम पहली बार दिसंबर 2022 में सामने आया था। तब ईडी ने आरोपपत्र में कारोबारी दिनेश अरोड़ा के बयान के हिस्से के रूप में आप नेता के नाम का उल्लेख किया गया था। एजेंसी ने दावा किया कि दिनेश अरोड़ा ने उन्हें बताया कि वह शुरू में संजय सिंह से मिले थे, जिनके जरिए वह बाद में एक रेस्तरां में एक पार्टी के दौरान मनीष सिसोदिया से मिले।
आरोप पत्र में कहा गया कि संजय सिंह के कहने पर दिल्ली विधानसभा चुनावों के लिए पार्टी फंड इकट्ठा करने के लिए सिसोदिया को पैसे देने की व्यवस्था की थी। अरोड़ा के हवाले से शिकायत में यह भी कहा गया कि उन्होंने सिसोदिया से पांच-छह बार बात की और संजय सिंह के साथ केजरीवाल से उनके आवास पर मुलाकात की।
इसी साल 10 मार्च को ईडी ने दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को गिरफ्तार किया था। ईडी से पहले 26 फरवरी को सीबीआई ने उन्हें गिरफ्तार किया था। बता दें कि दिल्ली शराब घोटाले में सीबीआई और ईडी ने सिसोदिया को आरोपी बनाया है। सीबीआई ने मनीष सिसोदिया के खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधी कानून और ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग कानून के तहत मामला दर्ज किया है। उन पर आरोप है कि दिल्ली में शराब नीति बनाते वक्त धांधली की गई। मनीष सिसोदिया फरवरी से ही जेल में बंद हैं।
ईडी ने 31 मई 2022 को दिल्ली के तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र कुमार जैन को गिरफ्तार किया था। एजेंसी ने 24 अगस्त 2017 को सीबीआई की तरफ से दर्ज की गई एफआईआर को आधार बनाकर सत्येंद्र जैन के खिलाफ मनी-लॉन्ड्रिंग मामले में जांच शुरू की थी। एजेंसियों के आरोप हैं कि सत्येंद्र जैन ने 14 फरवरी 2015 से 31 मई 2017 तक कई लोगों के नाम पर चल संपत्तियां खरीदी थीं। जिसका वे संतोषजनक हिसाब नहीं दे सके थे।
हिलहाल सत्येंद्र जैन आठ अक्तूबर तक चिकित्सा आधार पर अंतरिम जमानत में बाहर हैं। कोर्ट ने उनके लिए मीडिया से बात न करने और न ही बिना अनुमति के दिल्ली छोड़ने सहित कई शर्तें लगाई हुई हैं।
‘आप’ की पंजाब सरकार में स्वास्थ्य मंत्री विजय सिंगला भी भ्रष्टाचार के मामले जेल जा चुके हैं। उन पर आरोप लगा था कि उन्होंने स्वास्थ्य महकमे की टेंडर प्रक्रिया में किसी को फायदा पहुंचाने के लिए एक फीसदी कमीशन मांगा था। सीएम भगवंत मान ने तुरंत प्रभाव से उन्हें मंत्रिमंडल से बर्खास्त कर दिया। इसी साल मई में उन्हें पंजाब की एंटी क्रप्शन ब्रांच ने गिरफ्तार किया था। फिलहाल सिंगला जमानत पर बाहर हैं लेकिन केस अभी भी जारी है।
दिल्ली एंटी करप्शन ब्यूरो ने आप विधायक अमानतुल्लाह खान को 16 सितंबर 2022 को दिल्ली वक्फ बोर्ड में भ्रष्टाचार के आरोप में गिरफ्तार किया था। उन्हें 28 सितंबर 2022 को जमानत पर रिहा कर दिया गया।
आप सरकार में मंत्री रहे सोमनाथ भारती को भी कई तरह के विवादों में फंसने के कारण इस्तीफा देना पड़ा था। जनवरी 2021 में उत्तर प्रदेश के दौरे पर उन्हें गिरफ्तार भी किया गया। उनका घरेलू विवाद भी मीडिया की सुर्खियां बना रहा।
दिल्ली सरकार में खाद्य आपूर्ति मंत्री रहे आसिम अहमद खान को 2018 में भ्रष्टाचार के मामले में पद छोड़ना पड़ा था। आसिम पर आरोप था कि उन्होंने छह लाख रुपये की रिश्वत ली है। इस मामले में केजरीवाल ने खुद यह बात स्वीकार की थी कि शिकायतकर्ता ने उन्हें ऑडियो क्लिप भेजी है।
आप सरकार के एक अन्य मंत्री संदीप कुमार भी सीडी कांड में फंस गए थे। उनके पास महिला एवं बाल कल्याण मंत्रालय था। इस मामले में सितंबर 2016 में उन्हें जेल की सलाखों के पीछे जाना पड़ा था। आप नेता को नवंबर 2016 में जमानत दे दी गई थी। फिलहाल वह पार्टी से निष्कासित किए जा चुके हैं।
आप सरकार में ही कानून मंत्री रहे जितेंद्र सिंह तोमर को 2015 में पद छोड़ना पड़ा था। फर्जी डिग्री मामले में उनकी गिरफ्तारी भी हुई। 2020 में दिल्ली उच्च न्यायालय ने उनके खिलाफ फैसला सुनाया जहां उन्हें 2015 के चुनाव नामांकन में फर्जी डिग्री का दोषी पाया गया।