केंद्र सरकार द्वारा लोकसभा में दिए गए एक लिखित जवाब में कहा गया था कि मास्टर प्लान के तहत पांच परियोजनाओं पर काम चल रहा है। इनमें नया संसद भवन, सेंट्रल विस्टा एवेन्यू का पुनर्विकास, कॉमन केंद्रीय सचिवालय के तीन भवन, उपराष्ट्रपति एन्क्लेव और एक्जिक्यूटिव एन्क्लेव शामिल हैं।
संसद का विशेष सत्र आज से शुरू हो रहा है। 18 से 22 सितंबर तक चलने वाले इस सत्र में पहले दिन को छोड़कर बाकी दिन की कार्रवाई नए संसद भवन में होगी। गणेश चतुर्थी के दिन यानी 19 सितंबर को नए भवन में कार्यवाही की शुरुआत होगी।
इसी साल 28 मई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के नए संसद भवन का उद्घाटन किया था। यह निर्माण कार्य सेंट्रल विस्टा रि-डेवलपमेंट प्रोजेक्ट का हिस्सा है। इससे पहले पिछले साल सितंबर में सेंट्रल विस्टा एवेन्यू का उद्घाटन और जुलाई में नए संसद भवन की छत पर बनाए गए अशोक स्तंभ का भी अनावरण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कर चुके हैं।
आखिर सेंट्रल विस्टा क्या है? सेंट्रल विस्टा रि-डेवलपमेंट प्रोजेक्ट में और क्या-क्या होना है? जिस नए संसद भवन का प्रधानमंत्री उद्घाटन करेंगे वह क्यों जरूरी था? प्रोजेक्ट कब तक पूरा हो जाएगा? इस प्रोजेक्ट पर कितना खर्च होने का अनुमान है? आइए जानते हैं…
नई दिल्ली में राष्ट्रपति भवन से इंडिया गेट तक के 3.2 किमी लंबे क्षेत्र को सेंट्रल विस्टा कहते हैं। दिल्ली के सबसे ज्यादा देखे जाने वाले पर्यटन स्थलों में शामिल इस इलाके की कहानी 1911 से शुरू होती है। उस समय भारत में अंग्रेजों का शासन था। कलकत्ता उनकी राजधानी थी, लेकिन बंगाल में बढ़ते विरोध के बीच दिसंबर 1911 में किंग जॉर्ज पंचम ने भारत की राजधानी कलकत्ता से दिल्ली स्थानांतरित करने का एलान किया। दिल्ली में अहम इमारतें बनाने का जिम्मा मिला एडविन लुटियंस और हर्बर्ट बेकर को। इन दोनों ने ही सेंट्रल विस्टा को डिजाइन किया। ये प्रोजेक्ट वॉशिंगटन के कैपिटल कॉम्प्लेक्स और पेरिस के शान्स एलिजे से प्रेरित था। ये तीनों प्रोजेक्ट नेशन-बिल्डिंग प्रोग्राम का हिस्सा थे।
लुटियंस और बेकर ने उस वक्त गवर्नमेंट हाउस (जो अब राष्ट्रपति भवन है), इंडिया गेट, काउंसिल हाउस (जो अब संसद है), नॉर्थ ब्लॉक, साउथ ब्लॉक और किंग जॉर्ज स्टैच्यू (जिसे बाद में वॉर मेमोरियल बनाया गया) का निर्माण किया था। आजादी के बाद सेंट्रल विस्टा एवेन्यू की सड़क का भी नाम बदल दिया गया और किंग्सवे राजपथ बन गया। इसका नाम भी अब कर्तव्य पथ हो गया है।
इस वक्त सेंट्रल विस्टा के अंदर राष्ट्रपति भवन, संसद, नॉर्थ ब्लॉक, साउथ ब्लॉक, रेल भवन, वायु भवन, कृषि भवन, उद्योग भवन, शास्त्री भवन, निर्माण भवन, नेशनल आर्काइव्ज, जवाहर भवन, इंदिरा गांधी नेशनल सेंटर फॉर आर्ट्स, उपराष्ट्रपति का घर, नेशनल म्यूजियम, विज्ञान भवन, रक्षा भवन, वाणिज्य भवन, हैदराबाद हाउस, जामनगर हाउस, इंडिया गेट, नेशनल वॉर मेमोरियल और बीकानेर हाउस आते हैं।
सेंट्रल विस्टा के पूरे क्षेत्र को नए सिरे से विकसित करने के प्रोजेक्ट का नाम सेंट्रल विस्टा रि-डेवलपमेंट प्रोजेक्ट है। इसमें मौजूदा कुछ इमारतों में कोई बदलाव नहीं होगा तो कुछ को किसी और काम में इस्तेमाल किया जाएगा, कुछ को रिनोवेट किया जाएगा तो कुछ को गिराकर उनकी जगह नई इमारतें बनाई जाएंगी। सेंट्रल विस्टा का ही हिस्सा नई संसद भवन का निर्माण पूरा होने के बाद इसका उद्घाटन 28 मई 2023 को प्रधानमंत्री मोदी ने किया था।
इस इलाके में स्थित छह इमारतों में इस रि-डेवलपमेंट प्रोजेक्ट में कोई बदलाव नहीं होगा। इनमें राष्ट्रपति भवन, हैदराबाद हाउस, इंडिया गेट, रेल भवन, वायु भवन और वॉर मेमोरियल शामिल हैं। वहीं, नॉर्थ ब्लॉक और साउथ ब्लॉक दोनों को नेशनल म्यूजियम में बदला जाएगा। संसद की मौजूदा इमारत को पुरातात्विक धरोहर में बदल दिया जाएगा। मौजूदा जामनगर हाउस को इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र में बदल दिया जाएगा।
इसके साथ ही चार नई इमारतें नए सिरे से बनाने की योजना है। इसमें नए संसद भवन का निर्माण हो चुका है। इसके बाद उप-राष्ट्रपति भवन, नया सेंट्रल सेक्रेटेरिएट बनाया जाएगा। इसी सेंट्रल सेक्रेटेरिएट में सरकार के भी मंत्रालय और उनके ऑफिस शिफ्ट किए जाएंगे।
इस रि-डेवलपमेंट के लिए कुछ इमारतें गिराईं भी जाएंगी। इसमें मौजूदा नेशनल म्यूजियम, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र, उप-राष्ट्रपति भवन, उद्योग भवन, निर्माण भवन, जवाहर भवन, विज्ञान भवन, कृषि भवन, शास्त्री भवन और रक्षा भवन जैसी इमारतें शामिल हैं।
सरकार ने अगस्त 2022 को लोकसभा में बताया था कि इस मास्टर प्लान के तहत पांच परियोजनाओं पर काम चल रहा है। इनमें नया संसद भवन, सेंट्रल विस्टा एवेन्यू का पुनर्विकास, कॉमन केंद्रीय सचिवालय के तीन भवन, उप-राष्ट्रपति एन्क्लेव और एक्जिक्यूटिव एन्क्लेव शामिल हैं।
इसमें सेंट्रल विस्टा एवेन्यू के पुनर्विकास और नए संसद भवन का काम पूरा हो गया। चार अगस्त को दिए सरकार के जवाब के मुताबिक, उस वक्त केंद्रीय सचिवालय का 17 फीसदी काम पूरो हो चुका था। इसके दिसंबर 2023 तक पूरा होने की उम्मीद है। उपराष्ट्रपति एन्क्लेव के मई 2024 तक पूरा होने की उम्मीद जताई गई है। वहीं, एक्जिक्यूटिव एन्क्लेव का काम अभी शुरू नहीं हो सका है। सभी प्रोजेक्ट के 2026 तक पूरा होने की उम्मीद है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल आठ सितंबर को सेंट्रल विस्टा एवेन्यू का उद्घाटन किया गया था। इसके साथ ही प्रधानमंत्री इंडिया गेट पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा का भी अनावरण किया। 28 फुट ऊंची यह प्रतिमा ग्रेनाइट पत्थर पर उकेरी गई है। 65 मीट्रिक टन यह प्रतिमा उसी जगह स्थापित की गई है, जहां 23 जनवरी 2021 को पराक्रम दिवस पर नेताजी की होलोग्राम प्रतिमा का अनावरण किया गया था।
सेंट्रल विस्टा एवेन्यू सेंट्रल विस्टा मास्टर प्लान का हिस्सा है। राष्ट्रपति भवन से इंडिया गेट के बीच की सड़क और उसके दोनों ओर के इलाके को सेंट्रल विस्टा एवेन्यू कहते हैं। यह सड़क जो किंग्स वे के नाम से बनी थी। आजादी के बाद इसका नाम राजपथ हो गया। आठ सितंबर 2022 को इसका नाम कर्तव्य पथ हो गया।
इस पूरे प्रोजेक्ट की आधिकारिक वेबसाइट के मुताबिक सेंट्रल विस्टा एवेन्यू के मूल खंड में समय के साथ कई बदलाव हुए हैं। इस स्थल को संरक्षित करने के लिए किए गए अनेक प्रयासों के बावजूद, पिछले कुछ वर्षों में इस एवेन्यू की आवश्यक सुविधाएं खराब हो गई हैं, क्योंकि इसे भारी उपयोग के लिए डिजाइन नहीं किया गया था। सेट्रल विस्टा की वेबसाइट के मुताबिक भारी यातायात, अत्याधिक सार्वजनिक उपयोग, पैदल चलने वालों के अनुकूल व्यवस्था की कमी, विक्रेताओं के लिए अपर्याप्त सुविधाओं और भूमी व जल प्रदूषण की वजह से ये पुनर्विकास जरूरी हो गया था।
नए संसद भवन पर 971 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान जताया गया था। हालांकि, अब इस पर 1200 करोड़ खर्च होने की बात कही गई। पूरे प्रोजेक्ट की बात करें तो इसके तहत जिन पांच परियोजनाओं पर कार्य होना है उनमें से चार पर काम शुरू हो चुका है। इन चारों पर कितना खर्च आएगा इसकी जानकारी सरकार ने जुलाई 2022 में लोकसभा में दी थी।
उप राष्ट्रपति भवन पर 208.48 करोड़ रुपये और केंद्रीय सचिवाल पर 3,690 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है। पूरे प्रोजेक्ट पर 20 हजार करोड़ रुपए खर्च होने की बात कही जा रही है। केंद्र सरकार के सभी मंत्रालयों की ओर से 13,450 करोड़ रुपए का क्लियरेंस मिल चुका है।
नए संसद भवन के अस्तित्व में आने की कई प्रमुख वजहें हैं, जैसे
- सांसदों के बैठने की संकीर्ण जगह
- तंग बुनियादी ढांचा
- अप्रचलित संचार संरचनाएं
- सुरक्षा सरोकार और
- कर्मचारियों के लिए अपर्याप्त कार्यक्षेत्र।