केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भारतीय न्याय संहिता विधेयक, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता विधेयक और भारतीय साक्ष्य विधेयक नामक तीनों विधेयकों को 11 अगस्त को लोकसभा में पेश किया था।
राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) और साक्ष्य अधिनियम (ईए) का स्थान लेने के लिए लाए गए तीन विधेयकों को परीक्षण के लिए गृह मामलों पर संसद की स्थायी समिति के पास भेज दिया है। सभापति ने समिति से तीन महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट सौंपने को कहा है।
भारतीय न्याय संहिता विधेयक, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता विधेयक और भारतीय साक्ष्य विधेयक नामक तीनों विधेयकों को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 11 अगस्त को लोकसभा में पेश किया था। राज्यसभा सचिवालय ने शुक्रवार को एक बुलेटिन में कहा कि राज्यसभा के सभापति ने लोकसभा के स्पीकर के साथ परामर्श के बाद तीनों विधेयकों को स्थायी समिति के पास भेजा है और तीन महीने में रिपोर्ट मांगी है। गृह मामलों पर संसद की स्थायी समिति के अध्यक्ष भाजपा सांसद बृजलाल हैं। इन तीनों कानूनों में व्यापक बदलाव किए गए हैं। साथ ही कुछ नए प्रावधान जोड़े गए हैं।
विधेयकों को पेश करने के बाद गृहमंत्री अमित शाह ने लोकसभा में कहा कि भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) पर नया विधेयक राजद्रोह के अपराध को पूरी तरह से निरस्त कर देगा। उन्होंने बताया कि नए कानून में मॉब लिचिंग (भीड़ द्वारा पीट-पीटकर हत्या) के लिए सात साल या आजीवन कारावास या मृत्युदंड का प्रावधान होगा। उन्होंने कहा कि अंग्रेजों ने राजद्रोह पर कानून बनाया था, लेकिन हम राजद्रोह के कानून को पूरी तरह खत्म करने जा रहे हैं। हालांकि, विधेयक में देश के विरुद्ध अपराध का प्रावधान है। विधेयक की धारा 150 में भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता को खतरे में डालने वाले कृत्यों से संबंधित सजा का प्रावधान है।