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जन्म-मृत्यु पंजीकरण के लिए आधार होगा अनिवार्य, लोकसभा में विधेयक पेश

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भविष्य में जन्म और मृत्यु के पंजीकरण के लिए आधार की भूमिका अनिवार्य हो जाएगी। सरकार ने लोकसभा में बुधवार को जन्म-मृत्यु पंजीकरण संशोधन विधेयक पेश किया। इसके अलावा, वन संरक्षण संशोधन विधेयक लोकसभा में ध्वनि मत से पारित किया गया।

जन्म-मृत्यु के पंजीकरण के लिए आधार को कानूनी रूप से अनिवार्य बनाने के लिए सरकार ने लोकसभा में बुधवार को जन्म-मृत्यु पंजीकरण संशोधन विधेयक पेश किया। मणिपुर हिंसा पर तनातनी के बीच सरकार ने जम्मू-कश्मीर से जुड़े चार विधेयकों के अलावा खान-खनिज विकास विनियमन संशोधन विधेयक भी पेश किया है। इसके अलावा वन संरक्षण संशोधन विधेयक लोकसभा में ध्वनि मत से पारित किया गया। 15 मिनट में छह विधेयक पेश किए गए।

जन्म-मृत्यु पंजीकरण के लिए आधार को अनिवार्य बनाने संबंधी विधेयक में जन्म और मृत्यु पंजीकरण अधिनियम 1969 में संशोधन का प्रावधान है। विधेयक पर पहले ही सभी राज्यों की सहमति है। इस विधेयक के कानून बनने के बाद राज्यों को जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करने के लिए रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया (आरजीआई) से संचालित नागरिक पंजीकरण प्रणाली का उपयोग करना होगा। सरकार इस विधेयक से नागरिक पंजीकरण प्रणाली को सटीक बनाकर कल्याणकारी योजनाओं और नीतियों को उचित वर्ग तक पहुंचाना चाहती है। साथ ही धोखाधड़ी, पहचान में हेराफेरी पर लगाम भी उद्देश्य है।

वन संरक्षण संशोधन विधेयक पारित
लोकसभा में लक्षित रक्षा परियोजनाओं की राह आसान करने और गैर वनभूमि पर पौधरोपण को बढ़ावा के साथ ही वन मामले में केंद्र सरकार को निर्देश जारी करने का अधिकार देने वाले वन संरक्षण संशोधन विधेयक ध्वनि मत से पारित हुआ। विपक्ष के हंगामे के बीच इस विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने कहा कि इससे संबंधित आपत्तियों पर विचार करने के लिए इसे जेपीसी को भेजा गया था। वर्तमान परिस्थितियों में वन संरक्षण अधिनियम 1980 में संशोधन जरूरी था।

विधायी कामकाज निपटाने का तेज हुआ सिलसिला
मणिपुर पर सियासी संग्राम और बुधवार को विपक्ष की ओर से लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव पेश किए जाने के बीच सरकार ने विधायी कामकाज निपटाने का सिलसिला और तेज कर दिया है। इस क्रम में मंगलवार को हंगाामे, नोंकझोंक के बीच लोकसभा में दो और राज्यसभा में एक विधेयक ध्वनि मत से पारित कराया गया।

कांग्रेस को फटकार, सबसे लंबे समय तक सत्ता में रहे फिर भी नियम नहीं पता
लोकसभा में लगातार पांचवें दिन मणिपुर हिंसा मामले में तनातनी जारी रही। विपक्ष के हंगामे से नाराज स्पीकर ओम बिरला ने कांग्रेस के सदस्यों को कड़ी फटकार लगाई। प्रश्नकाल के दौरान कांग्रेस सांसदों की ओर से अविश्वास प्रस्ताव के नोटिस का सवाल उठाने से नाराज स्पीकर ने कहा कि आप (कांग्रेस) सबसे लंबे समय तक सत्ता में रहे हैं। बावजूद इसके आपको सदन के नियमों की जानकारी न होना शर्म की बात है।

हिमाचल के हाटी समुदाय को एसटी का दर्जा देने वाला विधेयक रास से पारित
राज्यसभा ने हिमाचल के हाटी समुदाय को एसटी का दर्जा देने वाले विधेयक को विपक्ष के सदन से बहिर्गमन के बीच मंजूरी दे दी। लोकसभा से यह विधेयक दिसंबर में ही पारित हो चुका है। इस विधेयक के पारित होने से हिमाचल के सिरमौर में निवास करने वाली जनजाति अनुसूचित श्रेणी में शामिल हो जाएगी।

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