प्रतीक मोइत्रो के डायरेक्शन में बनी फिल्म ‘माइनस 31’ रिलीज हो गई है। यह मूवी आपदा में अवसर की तलाश करती अपराध की कहानी है।
जब देश में कोरोना अपने चरम पर था, तो कुछ लोग इसे आपदा में अवसर बनाने में लगे रहे। कोरोना महामारी के दौरान अचानक रेमडेसिविर इंजेक्शन की डिमांड बढ़ गई। जब किसी चीज की डिमांड ज्यादा बढ़ जाती है और सप्लाई कम होने लगती है तो इसकी कालाबाजारी बढ़ जाती है। कोरोना महामारी के दौरान जब रेमडेसिविर इंजेक्शन डिमांड बढ़ी और इसकी सप्लाई कम हुई तो इसकी कालाबाजारी भी बढ़ गई। आलम यह था कि उन दिनों नागपुर जैसे शहर में रेमडेसिविर इंजेक्शन 40 हजार रुपए में बिकने लगे। रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी से एक मर्डर मिस्ट्री जोड़कर निर्देशक प्रतीक मोइत्रो ने एक कहानी गढ़ दी, ‘माइनस 31-द नागपुर फाइल्स’ की।
जहां तक फिल्म में परफार्मेंस की बात है, तो रघुवीर यादव के अलावा किसी का भी परफार्मेंस फिल्म में कुछ खास नहीं लगा। यहां तक कि रघुवीर यादव जिस कलेवर के कलाकार हैं, उसके मुताबिक फिल्म के निर्देशक उनसे काम नहीं निकाल पाए। जया भट्टाचार्य ने वरिष्ट पुलिस अधिकारी की भूमिका निभाई है, लेकिन एक पुलिस अधिकारी की जो गरिमा होती है, वह उनमें नजर नहीं आई। रुचा इमानदार ने सब इंस्पेक्टर की भूमिका निभाई है, इस भूमिका में वह कुछ खास नहीं जमी, लेकिन उनका स्क्रीन प्रजेंस अच्छा रहा है। अगर उनको सही मौका मिले, तो वह खुद को साबित कर सकती हैं। राजेश शर्मा तो आधी फिल्म में डेड बॉडी के रूप में ही नजर आए। इसलिए उनसे अच्छे काम की उम्मीद करना ही बेकार है। फिल्म की सिनेमैटोग्राफी, संकलन, बैक ग्राउंड म्यूजिक सामान्य है। फिल्म का गीत संगीत सुनकर तो माथा चकरा जाता है