रुचिरा कंबोज ने संघर्ष के परिणामस्वरूप हुई जान-माल की हानि और लोगों, विशेषकर महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों की दुर्दशा का उल्लेख करते हुए कहा, यूक्रेन के हालात को लेकर भारत लगातार चिंतित है। लाखों लोग बेघर हो गए हैं और पड़ोसी देशों में शरण लेने के लिए मजबूर हो गए हैं, नागरिकों और नागरिक बुनियादी ढांचे पर हमले की खबरें वास्तव में बेहद चिंताजनक हैं।
संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) में बुधवार को यूक्रेन की स्थिति पर सालाना विचार-विमर्श किया गया। यूएनजीए की इस वार्षिक चर्चा में संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने भारत का पक्ष रखा। रुचिरा कंबोज ने कहा कि भारत यूक्रेन में संघर्ष को लेकर काफी चिंतित है। साथ ही उन्होंने शत्रुता को तत्काल समाप्त करने और बातचीत एवं कूटनीति की राह पर लौटने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि इस बात पर जोर देना जरूरी है कि यह युद्ध का युग नहीं है।रुचिरा कंबोज ने संघर्ष के परिणामस्वरूप हुई जान-माल की हानि और लोगों, विशेषकर महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों की दुर्दशा का उल्लेख करते हुए कहा, यूक्रेन के हालात को लेकर भारत लगातार चिंतित है। लाखों लोग बेघर हो गए हैं और पड़ोसी देशों में शरण लेने के लिए मजबूर हो गए हैं, नागरिकों और नागरिक बुनियादी ढांचे पर हमले की खबरें वास्तव में बेहद चिंताजनक हैं। उन्होंने कहा, हम क्षेत्र में हाल के घटनाक्रमों को लेकर चिंतित हैं, जिसने शांति और स्थिरता के बड़े उद्देश्य को हासिल करने में मदद नहीं की है।
उन्होंने यूक्रेन पर यूएनजीए की वार्षिक चर्चा को संबोधित करते हुए कहा, हम आग्रह करते हैं कि शत्रुता को तत्काल समाप्त करने और बातचीत एवं कूटनीति के रास्ते पर तत्काल वापसी के लिए सभी प्रयास किए जाएं। जिस वैश्विक व्यवस्था की हम सभी सदस्यता लेते हैं वह अंतरराष्ट्रीय कानून, संयुक्त राष्ट्र चार्टर और सभी देशों की क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता के सम्मान पर आधारित है। इन सिद्धांतों को बिना किसी अपवाद के बरकरार रखा जाना चाहिएउन्होंने आगे कहा, हमने लगातार इस बात की वकालत की है कि मानव जीवन की कीमत पर कभी भी कोई समाधान नहीं निकाला जा सकता है। शत्रुता और हिंसा का बढ़ना किसी के हित में नहीं है। कंबोज ने एक बार फिर इस बात पर जोर दिया कि मतभेदों और विवादों को सुलझाने के लिए बातचीत ही एकमात्र समाधान है, चाहे यह कितना भी कठिन क्यों न लगे। शांति के रास्ते के लिए हमें कूटनीति के सभी रास्ते खुले रखने होंगे। उन्होंने इस बात का भी उल्लेख किया कि युद्ध ने पूरे वैश्विक दक्षिण क्षेत्र को कैसे प्रभावित किया है।
कंबोज ने कहा, यह भी दुर्भाग्यपूर्ण है कि जैसे-जैसे यूक्रेन संघर्ष का दायरा सामने आ रहा है, पूरे वैश्विक दक्षिण को भारी क्षति हुई है। इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि वैश्विक दक्षिण की आवाज सुनी जाए और उनकी वैध चिंताओं का उचित समाधान किया जाए। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि यूक्रेन संघर्ष पर भारत का दृष्टिकोण जन-केंद्रित बना रहेगा। उन्होंने कहा, हम यूक्रेन को मानवीय सहायता और आर्थिक संकट से जूझ रहे वैश्विक दक्षिण में हमारे कुछ पड़ोसियों को आर्थिक सहायता प्रदान कर रहे हैं, यहां तक कि वे भोजन, ईंधन और उर्वरकों की बढ़ती कीमत पर भी नजर रख रहे हैं, जो चल रहे संघर्ष का परिणाम है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत ने ब्लैक सी ग्रीन (Black Sea Green) पहल को पूरा समर्थन दिया है। भारत ने काला सागर अनाज पहल को जारी रखने में संयुक्त राष्ट्र महासचिव के प्रयासों का समर्थन किया है और वर्तमान गतिरोध के शीघ्र समाधान की उम्मीद की है। संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने 27 जुलाई को इस्तांबुल, तुर्किये में हस्ताक्षर समारोह में कहा था कि चल रहे युद्ध के बीच काला सागर के माध्यम से यूक्रेनी अनाज निर्यात की बहाली एक ऐसी दुनिया में आशा की किरण है जिसे इसकी सख्त जरूरत है।