उन्होंने कहा कि प्रवासन नीति पर गठबंधन दलों के बीच मतभेदों के बाद डच सरकार गिर गई। बता दें कि शुक्रवार को रुटे की अध्यक्षता में हुई संकट वार्ता में चार सहयोगी दल सहमति नहीं बना सके।
नीदरलैंड के प्रधानमंत्री मार्क रुटे ने गठबंधन सरकार में प्रवासन नीति पर सहमति न बनने के कारण इस्तीफा देने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि प्रवासन नीति पर गठबंधन दलों के बीच मतभेदों के बाद डच सरकार गिर गई। बता दें कि शुक्रवार को रुटे की अध्यक्षता में हुई संकट वार्ता में चार सहयोगी दल सहमति नहीं बना सके। रुटे के नेतृत्व में गठबंधन सरकार का गठन डेढ़ साल पहले हुआ था, लेकिन पिछले कुछ समय से प्रवासन नीति पर सरकार में शामिल दलों के बीच मतभेद सामने आ रहा था।
रुटे ने आपात कैबिनेट बैठक के बाद शुक्रवार शाम को मीडिया से बात करते हुए सरकार गिरने की पुष्टि की। उन्होंने कहा कि वह शनिवार को किंग विलेम-अलेक्जेंडर (King Willem-Alexander) को अपना इस्तीफा सौंप देंगे। हालांकि, रुटे ने कहा कि नए सिरे से चुनाव होने तक सभी मंत्री कार्यवाहक कैबिनेट के रूप में अपना काम जारी रखेंगे।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, रुटे की वीवीडी पार्टी पिछले साल शरणार्थी शिविरों को लेकर हुए विवाद के बाद शरण चाहने वालों के प्रवाह को सीमित करने की कोशिश कर रही थी। बता दें, नीदरलैंड में शरण चाहने वालों के आवेदन पिछले साल एक तिहाई से अधिक बढ़कर 47,000 से अधिक हो गए। इस साल की शुरुआत में सरकार ने कहा था कि 2023 में शरण चाहने वालों के लगभग 70,000 आवेदन आ सकते हैं।
प्रधानमंत्री रुटे की सरकार ने इस सप्ताह एक योजना को लागू करने की कोशिश की, जिसमें नीदरलैंड में युद्ध शरणार्थियों के रिश्तेदारों की संख्या को प्रति माह केवल 200 लोगों तक सीमित करने का प्रावधान शामिल था। लेकिन गठबंधन सरकार में शामिल सहयोगी दलों ने इसका कड़ा विरोध किया। रुटे ने अपने मंत्रिमंडल के इस्तीफे की घोषणा करते हुए कहा कि यह निर्णय हमारे लिए बहुत कठिन था। उन्होंने कहा कि गठबंधन सहयोगियों के बीच विचारों में मतभेद को खत्म नहीं किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि सभी पक्षों ने समाधान खोजने के लिए काफी प्रयास किए, लेकिन दुर्भाग्य से प्रवासन नीति पर मतभेदों को दूर करना असंभव है।
56 वर्षीय रुटे के नाम नीदरलैंड में सबसे लंबे समय तक प्रधानमंत्री पद रहने का रिकॉर्ड है। वह 2010 से इस पद पर हैं।