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अजित पवार और मंत्री बने आठ विधायकों को अयोग्य घोषित करने की मांग, एनसीपी ने स्पीकर को लिखा पत्र

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महाराष्ट्र एनसीपी के अध्यक्ष जयंत पाटिल ने अजित पवार समेत मंत्री पद की शपथ लेने वाले सभी नौ विधायकों को दल-बदल कानून के तहत अयोग्य घोषित करने की मांग की है।

अजित पवार के एनसीपी विधायकों को तोड़कर एनडीए में शामिल होने का मामला अब महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष और चुनाव आयोग तक पहुंच गया है। महाराष्ट्र एनसीपी के अध्यक्ष जयंत पाटिल ने अजित पवार समेत मंत्री पद की शपथ लेने वाले सभी नौ विधायकों को दल-बदल कानून के तहत अयोग्य घोषित करने की मांग की है। उन्होंने इसके लिए विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर को पत्र लिखा है। इस बारे में चुनाव आयोग को भी एक ईमेल भेजा गया है।

रविवार देर रात मीडिया से बात करते हुए पाटिल ने कहा कि हमने विधानसभा अध्यक्ष को अयोग्यता नोटिस दिया है। हम जल्द से जल्द ठोस दस्तावेज प्रस्तुत करेंगे। उन्होंने कहा कि अयोग्यता याचिका नौ नेताओं के खिलाफ दायर की गई है, क्योंकि इन्होंने पार्टी छोड़ने के फैसले के बारे में किसी को नहीं बताया, जो एनसीपी के सिद्धांत के खिलाफ है। पाटिल ने आगे कहा कि हमने चुनाव आयोग को भी पत्र लिखा है।

एनसीपी ने एकनाथ शिंदे-भाजपा सरकार को समर्थन नहीं दिया
पाटिल ने बताया कि एक पार्टी के तौर पर एनसीपी ने एकनाथ शिंदे-भाजपा सरकार को समर्थन नहीं दिया है। सरकार को समर्थन पत्र पर हस्ताक्षर करने वाले कई विधायकों ने फोन कर कहा कि वे हमेशा शरद पवार के साथ हैं। पाटिल ने बताया कि पार्टी में कुछ नेता अक्सर भाजपा के साथ जाने की मांग करते थे, लेकिन शीर्ष नेतृत्व ने इसे कभी मंजूरी नहीं दी। पार्टी के आदर्शों के खिलाफ जाकर एनसीपी के नौ नेताओं ने मंत्री पद की शपथ ली और कुछ शपथ ग्रहण समारोह में शामिल हुए।

अजित पवार के पास दो तिहाई विधायकों का समर्थन नहीं…
इस बीच राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) ने दावा किया है कि कुछ नेताओं के साथ एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली सरकार में उपमुख्यमंत्री के रूप में शामिल हुए अजित पवार के पास दो तिहाई यानी 36 विधायकों का समर्थन नहीं है, जैसा कि दावा किया जा रहा है। एनसीपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता क्लाइड क्रैस्टो ने यह भी दावा किया कि पार्टी की कार्यकारी अध्यक्ष सुप्रिया सुले और राज्य इकाई के प्रमुख जयंत पाटिल सभी 53 विधायकों से संपर्क कर रहे हैं और सोमवार तक तस्वीर साफ हो जाएगी।

आपको बता दें कि 288 सदस्यीय महाराष्ट्र विधानसभा में एनसीपी के 53 विधायक हैं और दलबदल विरोधी कानून से बचने लिए अजित पवार को कम से कम 36 विधायकों के समर्थन की आवश्यकता है। क्रैस्टो ने कहा कि अजित पवार के पास 36 विधायकों का समर्थन नहीं है।

40 विधायकों और छह एमएलसी के समर्थन का दावा…
अजित पवार ने रविवार दोपहर शिवसेना-बीजेपी सरकार में डिप्टी सीएम पद की शपथ ली, जबकि एनसीपी के आठ अन्य विधायकों ने मंत्री पद की शपथ ली। इसके बाद सूत्रों ने राजभवन को सौंपे गए पत्र का हवाला देते हुए दावा किया था कि अजित पवार को उनकी पार्टी के 40 से अधिक विधायकों और नौ में से छह से अधिक एमएलसी का समर्थन प्राप्त है। उन्होंने कहा कि इन विधायकों का समर्थन पत्र राजभवन को दिया गया है।

वहीं, डिप्टी सीएम के रूप में शपथ लेने के बाद मीडिया से बात करते हुए अजित पवार ने कहा था कि एनसीपी में कोई विभाजन नहीं है और वह भविष्य के सभी चुनाव एनसीपी के नाम और चुनाव चिन्ह पर लड़ेंगे। पवार ने दावा किया था कि पार्टी के सभी निर्वाचित प्रतिनिधियों ने सरकार में शामिल होने के उसके फैसले का समर्थन किया है।

 अजित पवार के समर्थकों ने मनाया जश्न 
अजित पवार के महाराष्ट्र सरकार में शामिल होने के बाद उनके समर्थकों में उत्साह देखने को मिला। पुणे जिले में पवार के गृह क्षेत्र बारामती में समर्थकों ने पटाखे फोड़कर जश्न मनाया। इस अवसर पर अजित पवार के समर्थक रविराज तवारे ने कहा कि हम अजित दादा के साथ हैं। वह जो भी निर्णय लेंगे, हम उसे स्वीकार करेंगे। उन्होंने दावा किया कि बारामती में अधिकांश युवा और सामाजिक क्षेत्र में काम करने वाले लोग अजित पवार के साथ हैं।

जलगांव में भी एनसीपी कार्यकर्ताओं ने मनाया जश्न
अजित पवार के महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद एनसीपी कार्यकर्ताओं ने रविवार को जलगांव में एनसीपी कार्यालय के बाहर पटाखे फोड़कर जश्न मनाया। इस अवसर पर कार्यकर्ताओं ने ‘अजित पवार तुम आगे बढ़ो, हम तुम्हारे साथ हैं’ जैसे नारे भी लगाए।

ईडी का डर नहीं, देश मोदी के हाथ में सुरक्षित : भुजबल
महाराष्ट्र सरकार में शामिल हुए छगन भुजबल ने कहा कि वह ईडी के भय से नहीं, बल्कि राज्य के विकास के लिए सरकार में शामिल हुए हैं। कई ऐसे मंत्रियों ने भी शपथ ली है, जिनके खिलाफ ईडी का कोई मामला नहीं है। हम आदिवासी, पिछड़े और किसानों की समस्याओं को सुलझाने और विकास के लिए भाजपा के साथ तीसरे घटक के रूप में सरकार में शामिल हुए हैं। उन्होंने यह भी कहा कि 2024 के लोकसभा चुनाव के बाद नरेंद्र मोदी फिर प्रधानमंत्री बनेंगे, इसलिए सड़क पर उतरकर लड़ने से कोई फायदा नहीं है। देश मोदी के हाथ में सुरक्षित है।

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