ग्लेशियर के पिघलने से नदी-नालों का जलस्तर बढ़ गया है। लाहौल के कई नालों में जलस्तर बढ़ने से बाढ़ जैसी स्थिति बनने लगी है। कुल्लू में पार्वती और ब्यास नदी का जलस्तर भी काफी अधिक बढ़ा हुआ है।
जून में पहाड़ तपते ही अब ग्लेशियर भी पिघलने लगे हैं। ग्लेशियर के पिघलने से नदी-नालों का जलस्तर बढ़ गया है। लाहौल के कई नालों में जलस्तर बढ़ने से बाढ़ जैसी स्थिति बनने लगी है। कुल्लू में पार्वती और ब्यास नदी का जलस्तर भी काफी अधिक बढ़ा हुआ है। प्रशासन की ओर से पर्यटकों से नदी नालों से दूर रहने की अपील की गई है। अप्रैल और मई के महीने में कुल्लू जिले में मौसम परिवर्तनशील बना रहा। जून के पहले सप्ताह के बाद कुल्लू में गर्मी शुरू हुई। अब स्थिति यह है कि लोगों को दिन के समय धूप में निकलना मुश्किल हो गया है।
इन दिनों कुल्लू में प्लम का सीजन चला हुआ है। गर्मी के चलते लोग बेहाल हो गए हैं। बताया जा रहा है कि कुल्लू के निचले क्षेत्र भुंतर, बजौरा आदि में किसान गर्मी के चलते सुबह और शाम के समय ही खेतों का रुख कर रहे हैं। हिमाचल बिजली बोर्ड शाढाबाई की ओर से आम जनता और सैलानियों को सूचित किया गया है कि ब्यास और सैंज नदियों का जलस्तर बढ़ने के कारण लारजी परियोजना थलौट के बांध से कभी भी पानी छोड़ा जा सकता है। इसलिए लारजी बांध के नीचे की ओर ब्यास नदी के बहाव के क्षेत्र के नजदीक न जाएं। एसडीएम सदर विकास शुक्ला ने कहा कि प्रशासन की ओर से पर्यटकों से अपील की गई है कि पानी के बहाव को देखते हुए नदी नालों के समीप न जाएं।