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जासूसी उपग्रह प्रक्षेपण फेल होने से आगबबूला उत्तर कोरिया, अधिकारियों की लगाई क्लास

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उत्तर कोरिया ने 31 मई को अपने पहले सैन्य जासूसी उपग्रह को कक्षा में स्थापित करने का प्रयास किया, लेकिन उपग्रह को ले जा रहा राकेट यलो सागर में जा गिरा। इसके पीछे इंजन में आई खराबी को कारण बताया जा रहा है।

उत्तर कोरिया की ओर से सेना की शक्ति को मजबूती देने के लिए किया गया पहला जासूसी उपग्रह का प्रक्षेपण हाल ही में असफल हो गया था। इसका प्रक्षेपण उसने प्रतिद्वंद्वी दक्षिण कोरिया के साथ ही अमेरिकी सैन्य अभ्यासों पर निगरानी के लिए किया था। अब एक रिपोर्ट सामने आई है, जिसमें बताया गया है कि हाल ही में हुए फेल प्रक्षेपण को लेकर एक हाई लेवल की बैठक हुई, जिसमें उत्तर कोरिया ने अपने अधिकारियों की अच्छी क्लास लगाई है। बताया जा रहा कि

उत्तर कोरिया की सत्तारूढ़ पार्टी ने एक उच्च स्तरीय बैठक में इस असफल प्रक्षेपण की एक उच्च स्तरीय बैठक में निंदा की। इस बैठक में जिम्मेदार अधिकारियों की कड़वी आलोचना भी की गई।बता दें, उत्तर कोरिया ने 31 मई को अपने पहले सैन्य जासूसी उपग्रह को कक्षा में स्थापित करने का प्रयास किया, लेकिन उपग्रह को ले जा रहा राकेट यलो सागर में जा गिरा। इसके पीछे इंजन में आई खराबी को कारण बताया जा रहा है। उत्तर कोरिया ने कहा था कि वह जितनी जल्द हो सके फिर से इस उपग्रह का प्रक्षेपण करेगा।

कोरिया की वर्कर्स पार्टी की केंद्रीय समिति की बैठक की रिपोर्ट में सत्तारूढ़ दल ने उन अधिकारियों की तीखी आलोचना की, जिन्होंने गैर-जिम्मेदाराना तरीके से उपग्रह प्रक्षेपण की तैयारी की थी। साथ ही इन लोगों ने जांच की मांग भी की है। समिति ने कहा कि वह जल्द ही फिर से इस उपग्रह का प्रक्षेपण करेगा। बता दें, इससे पहले प्योंगयांग ने कहा था कि इस क्षेत्र में बढ़ती अमेरिकी सैन्य उपस्थिति को हराने के लिए इसकी आवश्यकता है।

सैन्य जासूसी उपग्रह को लॉन्च करने की योजना की अमेरिका, दक्षिण कोरिया और जापान ने निंदा की थी। इनका कहना था कि यह परमाणु-सशस्त्र देश को बैलिस्टिक मिसाइल प्रौद्योगिकी का उपयोग करने वाले किसी भी परीक्षण से रोकते हुए संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों का उल्लंघन करता है।

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