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विज्ञापनों के सहारे नौनिहालों को धीमा जहर परोस रहीं कंपनियां, 700 से ज्यादा उत्पादों की हुई पहचान

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शोधकर्ताओं का कहना है कि मां का दूध शिशु पोषण का अहम स्रोत है, लेकिन जिन माताओं को कम या लंबे समय के लिए स्वास्थ्य जोखिम रहते हैं उनके शिशुओं को फार्मूला आधारित उत्पादों का सेवन कराने की सलाह दी जाती है, लेकिन बाजार में बिक रहे उत्पादों में अधिकांश के दावे वैज्ञानिक तथ्यों पर आधारित नहीं है।

20 देशों के वैज्ञानिकों ने भारत सहित दुनिया के 15 देशों में वैश्विक स्तर की कंपनियों के 700 से ज्यादा ऐसे उत्पादों की पहचान की है, जो विज्ञापनों के सहारे नौनिहालों को धीमा जहर परोस रही हैं। इन कंपनियों ने शिशु पोषण के रूप में तरह-तरह का दावा कर बाजार में अपनी पहचान बनाई।किसी ने इम्यूनिटी बूस्ट तो किसी ने मस्तिष्क विकास में सहायक औषधियों से निर्मित उत्पाद होने का दावा किया है। ऑस्ट्रेलिया में औसतन एक और अमेरिका में कम से कम चार तरह के दावे एक ही उत्पाद को लेकर किए जा रहे हैं। मेडिकल जर्नल बीएमजे में प्रकाशित अध्ययन में बताया कि सालाना करोड़ों रुपये की कमाई करने वाली इन कंपनियों की नजर भारतीय बाजार पर है, जहां पहले से ही इनके उत्पाद मौजूद हैं।शोधकर्ताओं के अनुसार, मां का दूध शिशु पोषण का अहम स्रोत है, लेकिन जिन माताओं को कम या लंबे समय के लिए स्वास्थ्य जोखिम रहते हैं उनके शिशुओं को फार्मूला आधारित उत्पादों का सेवन कराने की सलाह दी जाती है, लेकिन बाजार में बिक रहे उत्पादों में अधिकांश के दावे वैज्ञानिक तथ्यों पर आधारित नहीं है।

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