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एनपीए रिकवरी पर रिजर्व बैंक के फैसले के विरोध में आए बैंकिंग यूनियन, कांग्रेस ने भी साधा निशाना

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भारतीय रिजर्व बैंक ने सोमवार को एनपीए और बैड लोन्स की रिकवरी से जुड़ा एक नोटिफिकेशन जारी किया, अब इस नोटिफिकेशन के विरोध में आवाजें उठने लगीं हैं। सबसे पहले बैंक कर्मचारी संगठनों की ओर से ही केंद्रीय बैंक के निर्णय पर सवाल उठाए जा रहे हैं। रिजर्व बैंक की ओर से जारी अधिसूचना में कहा गया है कि इरादतन चूक करने वाले यानी विलफुल डिफॉल्टर्स और बैंक धोखाधड़ी के मामलों में बैंको को समझौता करने की छूट होगी, ताकि बैंक को उसका फंसा हुआ पैसा मिल सके।

हालांकि केंद्रीय बैंक का यह फैसला बैंक अधिकारियों ओर कर्मचारी संगठनों को रास नही आया है। वे दबाव वाली संपत्तियों से अधिकतम वसूली के लिए बैंकों को धोखाधड़ी वाले खातों और इरादतन या जानबूझकर चूक के मामलों का निपटारा समझौते के जरिये करने देने के फैसले का विरोध कर रहे हैं।

 

बैंकिंग संगठन बोले- इस फैसले के बाद चूक करने वालों से निपटने में आएगी परेशानी

बैंकों कर्मचारियों और अधिकारियों के संगठनों ने मंगलवार को एक संयुक्त बयान जारी कर कहा है कि रिजर्व बैंक के हालिया फैसला लोन्स की वसूली के मामले में एक पीछे की ओर ले जाने वाला कदम है। इससे बैंकिंग प्रणाली की सत्यनिष्ठा प्रभावित होगी और जानबूझकर चूक करने वालों से निपटने में परेशानी आएगी।

ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स कन्फेडरेशन (एआईबीओसी) और ऑल इंडिया बैंक एम्प्लॉइज एसोसिएशन (एआईबीईए) की ओर से जारी बयान में कहा गया है, ‘‘बैंकिंग उद्योग के महत्वपूर्ण हितधारक के रूप में हमने हमेशा इरादतन चूककर्ताओं से सख्ती से निपटने की वकालत की है।’’ रिजर्व बैंक की नई व्यवस्था से न केवल इरादतन चूककर्ताओं को फायदा मिलेगा बल्कि इससे ईमानदार कर्जदारों के बीच भी गलत संदेश जा रहा है।

कांग्रेस ने भी आरबीआई के फैसले का किया विरोध

कांग्रेस ने बैंकों को धोखाधड़ी खातों और जानबूझकर कर्ज नहीं चुकाने की अनुमति देने को लेकर बुधवार को केंद्र सरकार पर निशाना साधा और मांग की कि केंद्रीय बैंक उसके निर्देशों को तत्काल निरस्त करे और यह भी बताए कि क्या सरकार की ओर से कोई ”दबाव” है। अधिसूचना जारी करें। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने रिजर्व बैंक से स्पष्टीकरण मांगा है कि उसने जानबूझकर कर्ज नहीं चुकाने वालों और धोखाधड़ी के बारे में अपने ही नियमों में बदलाव क्यों किया है।

उन्होंने कहा, ‘प्रधानमंत्री (नरेंद्र मोदी) ने कुछ बड़े कारोबारी समूहों में अपने दोस्तों की मदद करने के लिए हमेशा उत्सुकता से नियमों में बदलाव किया है। इसका सबसे शक्तिशाली उदाहरण निश्चित रूप से अडानी समूह है, जिस पर हम पहले ही अपनी एचएएचके (हम अडानी के हैं कौन) श्रृंखला में प्रधानमंत्री से 100 सवाल पूछ चुके हैं।    उन्होंने कहा कि ताजा उदाहरण जानबूझकर कर्ज नहीं चुकाने वालों और धोखाधड़ी करने वालों को क्लीन चिट देना है जो जनता का पैसा लेकर भाग गए हैं।

रिजर्व बैंक ने अपने नोटिफिकेशन में क्या कहा है?

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने एक दिशा निर्देश में कहा है बैंक विलफुल डिफाल्टर्स या कर्ज नहीं चुकानेवालों की पहचान कर उनके साथ सेटलमेंट कर सकेंगे। यह सेटलमेंट होने के 12 महीने बाद बैंक ऐसे कर्जदारों को फिर लोन भी दे सकते हैं। हालांकि, नोटिफिकेशन में कहा गया है कि बैंक बोर्ड चाहे तो इस अवधि को और ज्यादा बढ़ा सकता है।

आरबीआई के मुताबिक, सभी विनियमित संस्थाओं (आरई) को उधारकर्ताओं के साथ-साथ तकनीकी राइट ऑफ का समझौता करने के लिए बोर्ड की मंजूर नीतियों को लागू करने की जरूरत होगी। सभी समझौता निपटान और तकनीकी राइट ऑफ के लिए अपनाई जाने वाली प्रक्रिया निर्धारित करें। शर्तों में न्यूनतम उम्र बढ़ते गारंटी मूल्य में गिरावट आदि शामिल होंगी।

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