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पीएम मोदी के स्वागत के लिए उत्सुक है व्हाइट हाउस, कहा- हमारे बीच रक्षा साझेदारी महत्वपूर्ण

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व्हाइट हाउस में पदस्थ जॉन किर्बी, राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद में रणनीतिक संचार के समन्वयक ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित की। उन्होंने कहा कि क्वाड में भारत और अमेरिका एक दूसरे को सहयोग करते हैं। हमारे बीच रक्षा साझेदारी भी काफी महत्वपूर्ण है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 22 जून को अमेरिका की आधिकारिक यात्रा के लिए रवाना होंगे। इससे पहले अमेरिकी राष्ट्रपति भवन का कहना है कि भारत और अमेरिका के बीच महत्वपूर्ण रक्षा साझेदारी है और क्वाड के अंदर हमारा उत्कृष्ट सहयोग है।

भारत और अमेरिका एक दूसरे को सहयोग करते हैं
व्हाइट हाउस में पदस्थ जॉन किर्बी, राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद में रणनीतिक संचार के समन्वयक ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित की। उन्होंने कहा कि हम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यात्रा के लिए काफी उत्सुक हैं। यहां एक सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि क्वाड में भारत और अमेरिका एक दूसरे को सहयोग करते हैं। हमारे बीच रक्षा साझेदारी भी काफी महत्वपूर्ण है।

बता दें, हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन के आक्रामक रुख को कम करने के लिए 2017 में भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया ने मिलकर क्वाड समूह का गठन किया।

कुछ दिनों पहले भारतीय प्रवासियों ने जाहिर की थी खुशी
नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री के रूप में नौ सालों में अमेरिका के तीन राष्ट्रपतियों से मुलाकात की है। इस बार पीएम को रात्रिभोज के लिए आमंत्रित किया गया है। पीएम मोदी दूसरी बार संयुक्त सत्र को संबोधित करेंगे। इससे पहले 2016 में पीएम मोदी ने कांग्रेस को संबोधित किया था। कुछ दिनों पहले, इंडो-अमेरिकन चैंबर ऑफ कॉमर्स के संस्थापक जगदीप अहलूवालिया ने कहा था कि भारतीय प्रवासी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के राजकीय दौरे और अमेरिकी कांग्रेस में संयुक्त संबोधन के वजह से काफी रोमांचित हैं। यात्रा भारत में आर्थिक संबंधों और निवेश को मजबूत करने के साथ-साथ दोनों देशों के नेताओं के बीच दोस्ती मजबूत करेगी।

भारत कभी दबाव में नहीं आता
पद्मश्री विजेता काक ने कहा था कि राजकीय यात्रा के दौरान, भारत का ध्यान व्यापार पर रहेगा। भारत में टेक कंपनियों द्वारा निवेश की सुविधा होगी। अमेरिका चीन के कारण भारत को अपने पक्ष में करने के लिए समर्थन चाहता है। भारत का रुख हमेशा साफ रहता है, जिस तरह भारत ने रूस का विरोध किया न यूक्रेन के खिलाफ कोई बयान बाजी की। भारत ने रूस, अमेरिका सहित सभी देशों के दबाव से हटकर तीसरा रास्ता अपनाया और शांति स्थापित करने की कोशिश की।

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