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केंद्रीय मंत्री सिंधिया बोले- इस्पात उद्योग ने आयात घटाकर नौ साल में बचाई 34800 करोड़ की विदेशी मुद्रा

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केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने बुधवार को ‘इस्पात क्षेत्र में सरकार की सेवा, सुशासन व गरीब कल्याण के नौ वर्ष’ कार्यक्रम में कहा, इस्पात उत्पादन में भारत ने जापान को पीछे छोड़ते हुए दूसरा स्थान हासिल कर लिया है।

सरकार की नीतियों की वजह से इस्पात उद्योग ने आयात में कमी लाकर देश की 34,800 करोड़ रुपये मूल्य की विदेशी मुद्रा बचाई है। साथ ही, करीब 6 करोड़ टन कच्चे इस्पात की क्षमता भी जोड़ी है।

केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने बुधवार को ‘इस्पात क्षेत्र में सरकार की सेवा, सुशासन व गरीब कल्याण के नौ वर्ष’ कार्यक्रम में कहा, इस्पात उत्पादन में भारत ने जापान को पीछे छोड़ते हुए दूसरा स्थान हासिल कर लिया है। उन्होंने कहा कि भारतीय इस्पात क्षमता 2014-15 के 10.98 करोड़ टन से 46 फीसदी बढ़कर 2022-23 में 16.03 करोड़ टन पहुंच गई। इस दौरान कुल इस्पात उत्पादन भी 8.89 करोड़ टन से बढ़कर 12.62 करोड़ टन पर पहुंच गया। 9 साल की इस अवधि में इस्पात की प्रति व्यक्ति खपत भी 60.8 किलोग्राम से 43 फीसदी बढ़कर 86.7 किलोग्राम पहुंच गई।

उत्पादन 25 करोड़ टन पर पहुंचाने का लक्ष्य
राष्ट्रीय इस्पात नीति 2017 के अनुसार, देश का लक्ष्य 2030-31 तक क्षमता बढ़ाकर 30 करोड़ टन और इस्पात उत्पादन 25 करोड़ टन करने का है। इस अवधि तक प्रति व्यक्ति खपत 160 किलोग्राम पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है। सिंधिया ने कहा कि लौह एवं इस्पात उत्पादों का घरेलू उत्पादन बढ़ाने के लिए लाई गई नीति से देश अब तक करीब 34,800 करोड़ रुपये का आयात कम करने में सफल रहा है। इससे देश की विदेशी मुद्रा में भी बचत हुई है।

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