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नोट वापसी से कालेधन पर कसेगा शिकंजा डिजिटल भुगतान को मिलेगा और बढ़ावा

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पूर्व वित्त सचिव एससी गर्ग ने कहा कि यह कदम उच्च मूल्य वाले नोटों पर निर्भरता कम करने के लक्ष्य से उठाया गया है और इससे डिजिटल भुगतान को और बढ़ावा मिलेगा।

आरबीआई के 2000 रुपये के नोट को चलन से बाहर करने की घोषणा पर केंद्रीय बैंक के पूर्व डिप्टी गवर्नर आर गांधी ने शुक्रवार को कहा, इस फैसले से कालेधन पर शिकंजा कसने में काफी हद तक मदद मिलेगी। उन्होंने कहा, 2016 में मुद्रा को चलन से हटाने का बड़ा कारण अर्थव्यवस्था में कालेधन पर रोक लगाना ही था। गांधी ही 2016 में 500 व 1000 रुपये के नोट चलन से हटाए जाने के समय आरबीआई में मुद्रा विभाग प्रमुखवहीं, पूर्व वित्त सचिव एससी गर्ग ने कहा कि यह कदम उच्च मूल्य वाले नोटों पर निर्भरता कम करने के लक्ष्य से उठाया गया है और इससे डिजिटल भुगतान को और बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने कहा, नोटबंदी के बाद जारी किए दो हजार रुपये के नोटों में से आधे पहले ही वापस लिए जा चुके हैं और बचे हुए नोट सरकार के इस फैसले के परिणामस्वरूप वापस ले लिए जाएंगे।

ये तो होना ही था…असर सब पर होगा
दो हजार के नोट की वापसी का असर तो सभी वर्गों पर होगा। कोरोना के बाद से हर कोई आपातकाल के लिए पैसा रख रहा है। जमीन की खरीद-फरोख्त, स्थानीय स्तर पर आभूषण खरीदारी, विदेशी मुद्रा विनिमय जैसे अनधिकृत कारोबार में अब भी नकदी का चलता है। इन पर भी असर पड़ेगा।

सबसे बड़ा असर राजनीतिक क्षेत्र पर होगा। चुनावों में अक्सर नकदी वितरण मेें ज्यादातर नोट बड़ी रकम वाले होते हैं। इस साल कई राज्यों के चुनाव हैं, वहां असर दिख सकता है। बैंकों में 2016 की तरह लाइन लग सकती हैं। उन्हें कर्मचारी बढ़ाने होंगे। हालांकि, इस बार लोग पैसे जमा तो नहीं करेंगे, लेकिन बदलेंगे। इसका बैंकिंग तरलता पर कोई असर नहीं होगा। इस नोट की लांचिंग का जो मकसद बताया गया था, वह पूरा नहीं हुआ, लिहाजा इसे वापस होना ही था।

परिचालन संबंधी हो सकती है असुविधा 
गांधी ने कहा, इस फैसले का भुगतान पर किसी भी प्रणालीगत प्रभाव की आशंका नहीं है क्योंकि इन नोटों का इस्तेमाल दैनिक भुगतानों में नहीं किया जाता है। ज्यादातर भुगतान डिजिटल माध्यम से होते हैं। हालांकि, मुद्रा बदलने के लिए एक दिन में 20,000 रुपये की सीमा ‘परिचालन असुविधा’ का कारण बन सकती है। हो सकता है कि कुछ लोगों को एक बैंक शाखा में कई बार जाना पड़े।

लोगों को घबराने की जरूरत नहीं ः डॉ. कोहली
अर्थशास्त्री डॉ. शरद कोहली ने कहा, सरकार के इस फैसले को हम नोटबंदी नहीं बल्कि नोट बदली कह सकते हैं। हालांकि, 30 सितंबर, 2023 के बाद अगर नोट बदलने की समय सीमा नहीं बढ़ी तो यह नोटबंदी में तब्दील हो जाएगी क्योंकि फिर बैंक 2000 रुपये के नोट नहीं लेंगे। अमर उजाला से बातचीत में कहा, यह फैसला अर्थव्यवस्था के लिए लाभकारी है क्योंकि इससे कालेधन और नकली नोटों की समस्या पर लगाम लगेगी। हालांकि, आम जनता को इससे घबराने की जरूरत नहीं है। धन्नासेठों को जरूर चिंता हो सकती है।

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