Search
Close this search box.

मौजूदा समय में युद्ध और शांति के बीच की सीमा काफी धुंधली हुई : रक्षा मंत्री

Share:

रक्षामंत्री राजनाथ सिंह

– भारत ने न किसी देश पर हमला किया है और न ही किसी देश की एक इंच भूमि पर कब्जा किया

– राष्ट्रीय सुरक्षा की अवधारणा में अब सैन्य हमले के बजाय कई अनेक गैर-सैन्य आयाम भी जुड़ गए

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि आज तक भारत ने किसी देश पर आक्रमण किया है और न ही किसी देश की एक इंच भूमि पर कब्जा किया है। भारत ने हमेशा वसुधैव कुटुम्बकम का संदेश दिया है। मौजूदा समय में युद्ध और शांति के बीच की सीमा काफी धुंधली हो गई है, क्योंकि शांतिकाल के दौरान भी अनेक मोर्चों पर युद्ध चलते रहते हैं। राष्ट्रीय सुरक्षा की अवधारणा अब पहले की अपेक्षा बहुत व्यापक हो गई है। सामान्य तौर पर तो इसे सैन्य हमले से जोड़ा जाता था लेकिन अब इसमें अनेक गैर-सैन्य आयाम भी जुड़ गए हैं।

रक्षामंत्री राजनाथ सिंह सोमवार को पूर्वाह्न 11:30 बजे मसूरी में लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी में ”28वें संयुक्त नागरिक-सैन्य प्रशिक्षण कार्यक्रम” के उद्घाटन समारोह को संबोधित कर रहे थे। रक्षा मंत्री ने कहा कि छोटे मन का इंसान कभी कुछ बड़ा कर ही नहीं सकता है। बड़ा करने के लिए बड़ा और ऊंचा मन होना चाहिए। इसी तरह के ऊंचे मन और आदर्शों वाले लाल बहादुर शास्त्री महापुरुष थे, जिनके नाम पर लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी का नामकरण हुआ है। इस संस्थान ने प्रशिक्षण के माध्यम से पिछले अनेक दशकों में देश की बेजोड़ सेवा की है।

उन्होंने कहा कि युद्ध और शांति के बीच की सीमा काफी धुंधली हो गई है क्योंकि शांतिकाल के दौरान भी अनेक मोर्चों पर युद्ध चलते रहते हैं। इसे पिरैक विक्ट्री कहा जाता है, यानी ऐसी जीत, जो किसी काम की न हो। ऐसे में हम पिछले कुछ दशकों में दुनिया की बड़ी शक्तियों ने पूर्ण पैमाने पर युद्ध को नजरअंदाज किया है। अब इनकी जगह छद्म और गैर संपर्क युद्ध ने ले लिया है। इस तरह के संयुक्त नागरिक-सैन्य कार्यक्रम इस राह में अपनी भूमिका लगातार बनाए रखेंगे। मुझे पूरा विश्वास है कि हम समन्वय के जिस पथ पर आगे बढ़ रहे हैं, वह न केवल हमारी अपनी समग्र सुरक्षा, बल्कि पूरे विश्व में शांति के एक नए दौर तक पहुंचेगा।

राजनाथ सिंह ने कहा कि आधुनिक युग में द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान अमेरिका की विजय के पीछे केवल सैनिकों का ही योगदान नहीं था बल्कि इस महायुद्ध में अमेरिकी समाज के अन्य लोगों, ख़ासकर महिलाओं ने भी अपना पूरा योगदान दिया था। आजादी के पहले देश में बिल्कुल अलग शासन व्यवस्था थी। सैकड़ों की संख्या में रियासतों की अपनी व्यवस्था थी, तो अंग्रेजों की अपनी अलग लेकिन 1947 में स्वतंत्रता मिलने के बाद इस देश ने शासन की पुरानी धारा को नए स्वरूप में परिवर्तित होते देखा। देश को सुचारू रूप से चलाने के लिए कार्यों का यह विभाजन आवश्यक था लेकिन देश के सभी हिस्सों का समान रूप से विकास नहीं हो पाया।

रक्षामंत्री ने कहा कि यहां जब मैं तालमेल या सभी संस्थानों के एक साथ मिलकर आगे बढ़ने की बात कर रहा हूं, तो इसका यह मतलब कतई नहीं निकाला जाना चाहिए कि वह आपस में एक दूसरे के अधिकारों का अतिक्रमण करें। इसका अर्थ यह कतई न हो कि वे एक दूसरे की स्वायत्तता का अतिक्रमण करें, बल्कि वह आपस में इंद्रधनुष के रंग की तरह घुलें-मिलें। अपने अनुभवों की चिंताओं को साझा करें। नागरिक प्रशासन और सशस्त्र बलों के लिए तैयार होने की संभावनाएं हैं। इसी तरह ग्रे ज़ोन संघर्ष से निपटने के लिए और हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा को और मजबूत करने के लिए भी हम संयुक्तता की ओर आगे बढ़ रहे हैं।

Leave a Comment

voting poll

What does "money" mean to you?
  • Add your answer

latest news