Search
Close this search box.

मथुरा में आज लट्ठमार होली:नंदगांव के हुरियारे सज-धज कर बरसाना आएंगे, हुरियारिन लाठियों से पिटाई करेंगी

Share:

राधा रानी की नगरी बरसाना में आज लट्ठमार होली खेली जाएगी। इस होली को देखने के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु यहां पहुंचे हैं। आज नंद गांव के युवक बरसाना आएंगे। यहां की महिला, जिन्हें हुरियारिन कहते हैं, लाठियों से उन्हें भगाएंगी। पुरुषों को मजाकिया अंदाज में पीटती हैं। युवक इस लाठी से बचने का प्रयास करते हैं। अगर वे पकड़े जाते हैं, तो उन्हें महिलाओं की वेशभूषा में नृत्य कराया जाता है। इस तरह से लट्ठमार होली मनाई जाती है। इस दिन महिलाओं और पुरुषों के बीच गीत और संगीत की प्रतियोगिताएं भी होती हैं।

अब आपको लट्ठमार होली की पौराणिक परंपरा के बारे में बताते हैं…

5 हजार साल पहले शुरू हुई थी लट्‌ठमार होली

बरसाना की होली देखने के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु यहां पहुंचे हैं। (फाइल फोटो)

कहते हैं कि इस परंपरा की शुरुआत लगभग 5000 साल पहले हुई थी। पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक बार नंद गांव में जब कृष्ण राधा से मिलने बरसाना गांव पहुंचे तो वे राधा और उनकी सहेलियों को चिढ़ाने लगे, जिसके चलते राधा और उनकी सहेलियां कृष्ण और उनके ग्वालों को लाठी से पीटकर अपने आप से दूर करने लगीं। ​​​​​​तब से ही इन दोनों गांव में लट्ठमार होली का चलन शुरू हो गया। यह परंपरा आज भी मनाई जाती है।

होलिका अष्टक से शुरू होती है बरसाना में होली
ब्रज में वैसे तो होली की शुरुआत बसंत पंचमी से हो जाती है, लेकिन इसका समापन रंगनाथ मंदिर में खेली जाने वाली होली के साथ होता है। 40 दिन तक चलने वाली इस होली का असली मजा होलिका अष्टक से आता है। बरसाना में होलिका दहन से 9 दिन पहले लड्डू होली खेली गई। इसके साथ ही ब्रज में रंग,अबीर, गुलाल, लाठी और अंगारों की होली शुरू हो जाती है।

रंगीली गली में खेली जाती है लट्ठमार होली

ये तस्वीर नंद गांव के युवकों की है। वे सज-धज कर बरसाना जाने की तैयारी कर रहे हैं।
ये तस्वीर नंद गांव के युवकों की है। वे सज-धज कर बरसाना जाने की तैयारी कर रहे हैं।

बरसाना में लट्ठमार होली, रंगीली गली में खेली जाती है। मान्यता है कि इसी गली में भगवान कृष्ण ने अपने सखाओं के साथ राधा रानी और उनकी सखियों के साथ होली खेली थी। वर्तमान में लट्ठमार होली का विशाल स्वरूप होने के कारण रंगीली गली के अलावा यह होली बरसाना की हर गली और सड़क पर खेली जाती है।

प्रिया कुंड पर किया जाएगा स्वागत

ये तस्वीर होली खेलने का निमंत्रण मिलने के बाद खुशी में नाचते हुए पंडो की है।
ये तस्वीर होली खेलने का निमंत्रण मिलने के बाद खुशी में नाचते हुए पंडो की है।

नंदगांव के हुरियारों के बरसाना में लट्ठमार होली खेलने के लिए पहुंचने पर पहले प्रिया कुंड पर स्वागत किया जायेगा। यहां पर बरसाना के निवासी नंदगांव से आए हुरियारों का मिठाई ,ठंडाई और भांग खिलाकर स्वागत करते हैं। बरसाना वासी नंदगांव से आए हुरियारों को कृष्ण और उनके सखा का स्वरूप मानते हैं और जिस प्रकार दामाद ससुराल पहुंचते हैं और उनका स्वागत किया जाता है उसी भाव से बरसाना के लोग नंदगांव के लोगों का स्वागत करते हैं।

हुरियारे करते हैं राधारानी के दर्शन

पहले सिर्फ रंगीली गली में होली खेली जाती थी अब बरसाना की हर गली में होली खेली जाती है।
पहले सिर्फ रंगीली गली में होली खेली जाती थी अब बरसाना की हर गली में होली खेली जाती है।

प्रिया कुंड पर नंदगांव के हुरियारे अपनी पाग बांधते हैं और फिर ढाल लेकर ब्रहमांचल पर्वत पर बने राधा रानी के दरबार यानी मंदिर पहुंचते हैं। यहां वह राधा रानी के दर्शन करते हैं और उनसे होली खेलने की अनुमति लेते हैं। इसके बाद सभी हुरियारे रंगीली गली में पहुंचते हैं और वहां खेलते हैं लट्ठमार होली।

हुरियारिनों को होली के गीत गाकर रिझाते हैं हुरियारे

राधा रानी और उनकी सखियां द्वारा लाठी से किए गए वार से बचने के लिए भगवान कृष्ण और सखा ढाल का प्रयोग करते थे। (फाइल फोटो)
राधा रानी और उनकी सखियां द्वारा लाठी से किए गए वार से बचने के लिए भगवान कृष्ण और सखा ढाल का प्रयोग करते थे। (फाइल फोटो)

बरसाना की रंगीली गली एवं अन्य सड़कों पर पहुंच कर हुरियारे वहां खड़ी हुरियारिनों को होली के गीत और ब्रज के प्रेम स्वरूप रसिया गा कर उनको रिझाते हैं। हुरियारों द्वारा गाए जाने वाले गीतों से रीझ कर हुरियारिन उन पर लाठियां से वार करती हैं और हुरियारे ढाल से अपना बचाव करते हैं। इस आयोजन के लिए सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। पूरे क्षेत्र को 6 जोन और 12 सेक्टर में बांटा गया है। 2000 से ज्यादा पुलिस कर्मी तैनात किए गए हैं। कार्यक्रम स्थल और प्रमुख चौराहों पर CCTV कैमरे लगाए गए हैं। ड्रोन से इलाके की निगरानी की जा रही है।

Leave a Comment

voting poll

What does "money" mean to you?
  • Add your answer

latest news