चुनाव आयोग ने राष्ट्रपति चुनाव की घोषणा कर दी है. कार्यक्रम के अनुसार चुनाव को लेकर 15 जून को अधिसूचना जारी की जाएगी. इसके बाद 18 जुलाई को मत डाले जाएंगे और 21 जुलाई को मतों की गणना की जाएगी. चुनाव की घोषणा होते ही राजनीतिक अखाड़ा फिर से तैयार हो चुका है. एक तरफ एनडीए है तो दूसरी तरफ तमाम विपक्षी दल हैं. इससे पहले 2017 में हुए राष्ट्रपति चुनाव में पहली बार भगवा दल से कोई राष्ट्रपति (रामनाथ कोविंद) चुना गया था.
एनडीए के पास अभी पूर्ण बहुमत नहीं है. वह किसी मित्र दल के सहयोग से जीत हासिल कर सकता है. वहीं विपक्ष के पास भी अपनी एकजुटता दिखाने का यही मौका है. हालांकि इस बार भाजपा ने राष्ट्रपति उम्मीदवार को लेकर चुप्पी साध रखी है. पार्टी के ज्यादातर नेता भी इस बात से अनभिज्ञ हैं कि इस बार किसे उम्मीदवार चुना जाना है. इस बात के कयास लगाए जा रहे हैं कि सत्तारूढ़ दल दक्षिण में अपनी पैठ जमाने के उद्देश्य से वहां से कोई उम्मीदवार चुन सकता है.
क्या होगी इस बार की गणित
2017 में पहली बार राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति दोनों ही भाजपा से चुने गए थे. हालांकि 2017 में पार्टी को कुछ राज्य और सहयोगियों के हाथ से निकलने का नुकसान हुआ था. लेकिन इस बार उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मणिपुर और गोवा में आशातीत सफलता हासिल कर के भाजपा सहज स्थित में है. देखा जाए तो इस बार वह बहुमत से बस एक ही कदम की दूरी पर है.
अगर चुनावी परिणामों के आधार पर समझें तो 2017 में भाजपा ने उत्तर प्रदेश में 312 सीट हासिल की थीं. वहीं 2022 में यह घटकर 255 रह गईं, लेकिन साथ ही भाजपा के सांसदों की संख्या में इजाफा हुआ है. 2017 की तुलना में राज्यसभा में भी पार्टी की स्थिति बेहतर है. राष्ट्रपति चुनने के लिए निर्वाचक मंडल में कुल 4,896 मतदाता हैं, जिनमें 4,120 विधायक, 543 लोकसभा और 233 राज्यसभा सांसद शामिल हैं. 1971 की जनगणना के हिसाब से मतदाता को जो वोट मूल्य दिया जाता है, उसके हिसाब से लोकसभा और राज्यसभा सांसदों के वोट का मूल्य 708 है, जबकि राज्यों के विधायकों के लिए यह अलग-अलग है.
एनडीए को YSR कांग्रेस या बीजेडी की मदद की दरकार
राज्य विधानसभा के विधायकों के वोटों का मूल्य राष्ट्रपति के चुनाव के लिए 5,43,241 है, जबकि सांसदों के लिए यह संख्या 5,43,200 है. इस तरह राष्ट्रपति के लिए कुल निर्वाचक वोटों का मूल्य 10,86,431 है. जीत हासिल करने के लिए उम्मीदवार को 50 फीसद और एक वोट की ज़रूरत होगी. ऐसे में एनडीए को वाइएसआर कांग्रेस या बीजेडी की मदद की दरकार होगी. वैसे यह दोनों ही दल भाजपा समर्थक हैं.
वहीं अगर विपक्ष की बात की जाए तो वहां सभी दलों ने किसी तरह की कोई एकजुटता दिखाई नहीं है. हालांकि तृणमूल कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, आम आदमी पार्टी, टीआरएस और शिवसेना जैसे दलों ने पिछले चुनाव में बेहतर प्रदर्शन किया है. हो सकता है कि भाजपा के उम्मीदवार की घोषणा के बाद यह सभी दल सक्रियता दिखाएं.
वोट के मामले में कैसे है एनडीए आगे और कहां है दिक्कत
राष्ट्रपति चुनाव के लिए कुल 767 सांसद (लोकसभा और राज्यसभा) और कुल 4033 विधायक हैं. हर सांसद के वोट का वेटेज 708 है, यानी कुल वेटेज 5,43,200 हुआ. विधायकों का कुल वेटेज 5,43,241 है. इस तरह कुल वेटेज 10,86,431 हुआ. जीतने के लिए चाहिए 50 फीसद यानी 5,44,215. इससे एक वोट ज्यादा.