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IAS का देवर, बी-टेक पास छाप रहे थे जाली नोट:यू-ट्यूब से सीखा तरीका, 40 हजार में देते थे 1 लाख के नोट

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कानपुर पुलिस और क्राइम ब्रांच ने नकली नोट छापने वाले गैंग के 3 आरोपियों को पकड़ा है। गैंग में IAS अफसर का पीएचडी होल्डर देवर और बीटेक पास युवक भी शामिल है। इनका धंधा पूरे यूपी में फैला हुआ है। ये लोग 40 हजार रुपए में 1 लाख के जाली नोट देते थे। पुलिस ने आरोपियों के पास से लाखों के नकली नोट और नोट छापने की मशीन भी बरामद की है।

फिरोजाबाद में छाप रहे थे, कानपुर से कर रहे थे सप्लाई
पुलिस कमिश्नर बीपी जोगदंड ने बताया कि फिरोजाबाद में नोट छापे जा रहे थे। इन लोगों ने कानपुर को सप्लाई सेंटर बना रखा था। पहले पुलिस ने मुखबिर की सूचना पर गुजैनी जी-ब्लॉक निवासी विमल सिंह चौहान को लाखों के नकली नोट के साथ पकड़ा।

विमल ने पुलिस को बताया कि उसे फिरोजाबाद के कुंवर अनुज कुमार उर्फ छोटू और सौरभ सिंह नकली नोट सप्लाई करते हैं। पुलिस ने टीम बनाकर फिरोजाबाद में नकली नोट छापने वाले गोदाम पर छापा मारा। इसमें 4.59 लाख के जाली नोट और प्रिंटर समेत नकली नोट छापने का पूरा सामान बरामद किया।

इसके साथ ही मास्टरमाइंड सौरभ सिंह को अरेस्ट कर लिया। सौरभ अराव रोड अवध नगर सिरसागंज थाना फिरोजाबाद का रहने वाला है। इसके अलावा कुंवर अनुज कुमार उर्फ छोटू भी पकड़ा गया। वह ग्राम गणपतिपुर थाना नगला खान फिरोजाबाद का रहने वाला है।

IAS अफसर का देवर निकला मास्टरमाइंड
पुलिस की पूछताछ में सामने आया कि सौरभ सिंह और कुंवर अनुज कुमार नकली नोट छापने के मास्टरमाइंड हैं। सौरभ के भाई उपेंद्र सिंह PCS अफसर हैं और आगरा में ADO के पद पर तैनात हैं। जबकि भाभी रेखा सिंह IAS हैं और KGMU में रजिस्ट्रार हैं। अफसर दंपती का भाई सौरभ पीएचडी कर चुका है।

इतना ही नहीं, वह भट्‌ठा भी चलाता है। लेकिन संगत बिगड़ने के चलते उसने नकली नोट छापने के धंधा खड़ा कर दिया। कुछ ही दिन में वह नकली नोटों का बड़ा सौदागर बन गया था। जबकि कुंवर अनुज कुमार उर्फ छोटू भीलवाड़ा राजस्थान से टेक्सटाइल में बीटेक कर रखा है। मौजूदा समय में वह कोई नौकरी नहीं कर रहा था।

पुलिस कमिश्नर बीपी जोगदंड

यू-ट्यूब से सीखा नकली नोट बनाना
अनुज और सौरभ ने पूछताछ में बताया कि दोनों ने यू-ट्यूब से नकली नोट बनाना सीखा था। उन्होंने पहले अपने घर में ही नोट छापना शुरू किया। जब परिवार के लोगों ने पूछताछ शुरू की, तो फिरोजाबाद के ही गणपतिपुर में किराए का गोदाम ले लिया।

उन्होंने बताया कि नोटों की डिमांड लगातार बढ़ती जा रही थी। इसके चलते अब घर में नकली नोट छापना संभव भी नहीं था। इसीलिए किराए का गोदाम लेकर दोनों ने वहां पर नकली नोट छापना शुरू कर दिया और प्रदेश भर में सप्लाई शुरू कर दी।

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