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इंटरनेशनल वन मेले में रोज 3 क्विंटल तक प्रोडक्ट बिक रहे; CM शिवराज भी कर चुके तारीफ

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महुए की शराब तो आपने सुनी होगी, लेकिन क्या महुआ के लड्‌डू, अचार, चाय और कैंडी के बारे में सुना है या इसका स्वाद चखा है? शायद नहीं। अब मध्यप्रदेश का महुआ ब्रिटेन तक पहुंच चुका है। वहां के लोग महुए की चाय पी रहे हैं। खुद CM शिवराज सिंह चौहान इसकी तारीफ कर चुके हैं। भोपाल में लगे इंटरनेशनल वन मेले में महुए से बने उत्पादों के 100 से ज्यादा स्टॉल भी लगे हैं। तासीर गर्म होने से लोग लड्‌डू-अचार जमकर खरीद रहे हैं, ताकि शरीर में गर्माहट बनी रहे।

वन मेले में 300 से ज्यादा स्टॉल लगे हैं। हर रोज 2 से 3 क्विंटल तक लड्‌डू, महुआ, अचार, कैंडी आदि उत्पादों की बिक्री हो रही है। मेला 26 दिसंबर तक चलेगा। ऐसे में अच्छी मात्रा में उत्पाद बिकेंगे।

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भोपाल में चल रहे इंटरनेशनल वन मेले में महुए से बने लड्‌डू बिकने आए हैं। हर रोज क्विंटलों से लड्‌डू समेत अन्य उत्पाद बिक रहे हैं।

इतनी कीमत

  • 200 ग्राम के लड्‌डू का पैकेट 80 रुपए में बिक रहा है।
  • कैंडी का पैकेट 50 रुपए।
  • 250 ग्राम अचार की कीमत 60 से 70 रुपए तक है।
  • एक किलो महुआ डेढ़ रुपए किलो तक बेचा जा रहा है।
मंडला से आई सुहानिया मरावी ने बताया कि महुआ के लड्‌डू में आयरन और कैल्शियम होता है। ठंड के दिनों में इसके लड्‌डू खाने से राहत मिलती है। इसकी तासीर गर्म होती है, इसलिए ठंड में इसका उपयोग ज्यादा किया जाता है।
मंडला से आई सुहानिया मरावी ने बताया कि महुआ के लड्‌डू में आयरन और कैल्शियम होता है। ठंड के दिनों में इसके लड्‌डू खाने से राहत मिलती है। इसकी तासीर गर्म होती है, इसलिए ठंड में इसका उपयोग ज्यादा किया जाता है।

इन जिलों से आए उत्पाद
मेले में छिंदवाड़ा, सतना, अलीराजपुर, झाबुआ, पन्ना, उमरिया, सिंगरौली, मंडला, नरसिंहपुर समेत कई जिलों से समूह महुए से बने उत्पाद लेकर आए हैं।

दो तरह का महुआ… पहला जिसे ग्रामीण सुबह जल्दी उठकर जमीन से बीनते हैं यानी समेटते हैं। उस समय यह हल्के हरे रंग का होता है। इसे धूप में सुखाया जाता है, जो ब्राउन कलर में बदल जाता है। सूखे हुए महुए का उपयोग चाय, लड्‌डू, कैंडी, अचार आदि उत्पाद बनाने में किया जाता है।

ऐसे बनाए जाते हैं उत्पाद

मंडला के धीरू सिंह ने बताया कि महुए की तासीर गर्म होने के कारण सर्दियों में लड्‌डू और अचार की डिमांड बढ़ जाती है। वे भी दो क्विंटल लड्‌डू और अन्य उत्पाद लेकर आए हैं। चाय बनाने में भी महुए का उपयोग किया जा रहा है। चाय पत्ती के साथ पानी में महुआ उबाला जाता है। इसके बाद यह काढ़े के रूप में बदल जाती है। कोरोना के दौरान इसकी डिमांड बढ़ गई थी। आज भी गांवों में महुए की चाय बनती है, जिससे ग्रामीण स्वस्थ रहते हैं।

CM बोले- अब ब्रिटेन के लोग चाय भी पी रहे

मेले में पहुंचे सीएम शिवराज सिंह चौहान भी महुए के बारे में बताना नहीं भूले। उन्होंने कहा- MP का महुआ ब्रिटेन में एक्सपोर्ट हो रहा है। वहां के लोग महुए की चाय पी रहे हैं। महुए में औषधीय गुण भी हैं। अब शराब ही नहीं, महुए से कई पौष्टिक आहार बन रहे हैं। यह सब मध्यप्रदेश के जंगलों की देन है। महुए की कीमत 140 रुपए किलो तक है।

महुए से बुंदेलखंड में मशहूर जायका

‘महुआ मेवा बेर कलेवा गुलचुल बड़ी मिठाई, इतनी चीजें चाहो तो गुड़ाने करो सगाई’
बुंदेलखंड में ये मशहूर कहावत बरसों से कही जा रही है। इसका मतलब है- महुआ जो मेवा की तरह है, बेर का नाश्ता और गुलचुल की मिठाई अगर ये चीजें चाहिए तो गुड़ाने यानी बुंदेलखंड में सगाई कर लो। बुंदेलखंड में महुए का इतिहास जितना पुराना है, उतना ही रोचक। यहां महुए से बने डुबरी यानी महुए की खीर भी बन रही है, जो राजघरानों तक परोसी जाती है। जिसे खाने वाले की जुबान पर बुंदेलखंडी जायका एक बार चढ़ जाता है, तो फिर ताउम्र नहीं उतरता। जी-20 देशों के सांस्कृतिक सम्मेलन में यह परोसी जा सकती है।

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