राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) और अन्य कल्याणकारी योजनाओं की जरूरतों को पूरा करने तथा प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना में अतिरिक्त आवंटन के लिये भारत सरकार के पास केंद्रीय पूल में अनाज का पर्याप्त भंडार उपलब्ध है। एक जनवरी, 2023 को लगभग 159 लाख मीट्रिक टन गेहूं और 104 एलएमटी चावल उपलब्ध हो जायेगा। याद रहे कि प्रत्येक वर्ष की पहली जनवरी को 138 एलएमटी गेहूं और 76 एलएमटी चावल का भंडारण होना जरूरी होता है। इस बार यह उससे कहीं अधिक है। केंद्रीय पूल में 15 दिसंबर, 2022 को लगभग 180 एलएमटी गेहूं और 111 एलएमटी चावल की उपलब्धता दर्ज की गई।
एक आवश्यक नियम के तहत प्रत्येक वर्ष की एक अप्रैल, एक जुलाई, एक अक्टूबर और एक जनवरी को अनाज का एक तयशुदा भंडार मौजूद होना जरूरी है। केंद्रीय पूल में गेहूं और चावल का भंडार हमेशा इस आवश्यक पैमाने से अधिक रहा है। एक अक्टूबर को 205 एलएमटी गेहूं और 103 एलएमटी चावल का बफर स्टॉक रखने का नियम है, जबकि एक अक्टूबर, 2022 को लगभग 227 एलएमटी गेहूं और 205 एलएमटी चावल का भंडारण दर्ज किया गया। एक जनवरी, 2023 को भी पर्याप्त मात्रा में अनाज उपलब्ध रहेगा, जो एक जनवरी के आवश्यक बफर स्टॉक से काफी अधिक होगा।
पिछले मौसम में गेहूं की खरीद यद्यपि कम हुई थी, क्योंकि उत्पादन कम हुआ था और भू-राजनैतिक परिस्थिति के चलते किसानों ने खुले बाजार में एमएसपी से अधिक कीमत पर अपनी उपज बेची थी। इसके बावजूद गेहूं की अगली फसल के आने तक देश की जरूरतों को पूरा करने के लिये केंद्रीय पूल में गेहूं का पर्याप्त भंडार मौजूद रहेगा। इसके अलावा राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम और प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना की भी चावल को ध्यान में रखते हुये समीक्षा की गई है, जिससे केंद्रीय पूल में गेहूं का भंडारण पर्याप्त मात्रा में हो जाये, ताकि कल्याणकारी योजनाओं की जरूरतों को पूरा किया जा सके।
भारत सरकार ने इस वर्ष गेहूं के एमएसपी को बढ़ाया है। उल्लेखनीय है कि आरएमएस 2022-23 के लिये पिछले वर्ष गेहूं का एमएसपी 2015 रुपये/कुंतल था, जो अब बढ़ाकर 2125 रुपये/कुंतल कर दिया गया है। इस तरह एमएसपी में 110 रुपये/कुंतल की बढ़ोतरी के साथ-साथ अच्छे मौसमी हालात भी पैदा हुये, जिनके कारण यह आशा की जाती है कि अगले वर्ष के दौरान गेहूं का उत्पादन व खरीद सामान्य रहेगी। अगले वर्ष गेहूं की खरीद अप्रैल 2023 से आरंभ होगी। शुरुआती मूल्यांकन के अनुसार पिछले वर्ष की तुलना में इस बार गेहूं की बुवाई में भी काफी बढ़ोतरी देखी गई है।
भारत सरकार ने सुनिश्चित किया है कि केंद्रीय पूल में अनाज की उपलब्धता पर्याप्त रूप से बनी रहे, ताकि देशभर की सभी कल्याणकारी योजनाओं की जरूरतें पूरी की जा सकें तथा कीमतें भी नियंत्रित रहें।