पब्जी गेम और हिंसा से जुड़ी एक बेहद चौंकाने वाली खबर उत्तर प्रदेश के लखनऊ शहर से आई है, जहां एक 16 साल के किशोर ने पब्जी खेलने से मना करने पर अपने अपनी मां की हत्या कर दी. बच्चे ने घर में लाइसेंसी बंदूक से मां को गोली मारने के बाद लगभग एक सप्ताह बाद कोलकाता में रहने वाले अपने पिता को इस घटना की जानकारी दी. हालांकि यह कोई पहला मामला नहीं है जब पब्जी खेलने के लिए किसी बच्चे ने हिंसक रुख का प्रदर्शन किया हो. भारत सहित देश दुनिया में ऐसी कई घटनाएं सामने आ चुकी हैं, जिसमें इस खेल के चक्कर में बच्चों और बड़ों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा है.
पब्जी के चक्कर में हत्या और आत्महत्या
05 अप्रैल 2021ः मंगलुरु के उल्लाल इलाके में पबजी गेम को लेकर हुए विवाद के बाद एक 17 साल के किशोर ने 12 साल के लड़के की हत्या कर दी.
09 सितंबर 2019ः कर्नाटक के एक 25 वर्षीय शख्स ने अपने 65 साल के पिता की हत्या कर दी ताकि उसे “शांति से’’ पब्जी खेलने का मौका मिले.
08 जुलाई 2019ः हरियाणा के जींद के एक 17 वर्षीय लड़के ने अपनी मां द्वारा पब्जी खेलने से नाराज होकर मोबाइल फोन छीनने के कारण आत्महत्या कर ली.
29 जून 2019ः महाराष्ट्र के भिवंडी के एक 15 वर्षीय लड़के ने अपने 18 वर्षीय भाई की इसलिए हत्या कर दी, क्योंकि वह अक्सर उसे पब्जी खेलने के लिए डांटता था और मना करता था.
18 मार्च 2019ः महाराष्ट्र में पबजी खेलते वक्त दो लोगों की ट्रेन की चपेट में आने से मौत हो गई. रेलवे ट्रैक के पास खेल खेलते हुए उनका ध्यान भटक गया और एक ट्रेन ने उन्हें कुचल दिया.
04 फरवरी 2019ः मुंबई के एक 18 वर्षीय लड़के ने पब्जी खेलने के लिए 37,000 रुपये के स्मार्टफोन दिलाने से मां-बाप के इनकार करने के बाद आत्महत्या कर ली.
12 अक्टूबर 2018ः दिल्ली के एक 19 वर्षीय शख्स ने पब्जी खेलने से मना करने पर अपनी मां, पिता और भाई-बहन सभी को मौत के घाट उतार दिया.
29 फरवरी 2022ः पाकिस्तानी लड़के ने पब्जी के चक्कर में अपनी मां, तीन भाई-बहनों की हत्या कर दी.
25 नवंबर 2018ः एक कुर्द व्यक्ति ने पब्जी खेलने के दौरान गलती से अपने दोस्त पर गोली चला दी जिससे उसकी मौत हो गई.
15 मार्च 2018ः अपने प्रेमी से बहुत ज्यादा पबजी खेलने से नाराज होकर, एक महिला ने सोते समय तलवार से वार कर उसकी हत्या कर दी.
जरूरी थैरेपी और काउंसिलिंग की पड़ती है जरूरत
इस मसले पर फोर्टिस अस्पताल के पूर्व मनोचिक्तिसक अजय निहलानी कहते हैं, “पब्जी की लत एक बहुत ही स्ट्रॉन्ग एडिक्शन होती है. ये वैसे ही है, जैसे कोई इंसान, शराब, गांजा, भांग यसा कोकीन का नशा करता हो. जब ऐसे लोगों को नशा करने से रोका जाता है, तो वह हिंसक हो जाते हैं. पब्जी का मामला भी ठीक वैसा ही है. इसके लत के शिकार बच्चों को हल्के में नहीं लेना चाहिए. किशोरों को इससे छुटकारा पाने के लिए उन्हें जरूरी थैरेपी और काउंसिलिंग की जरूरत पड़ती है. अभिभावकों को चाहिए कि वे बच्चों पर नजर रखे. उसे ऑनलाइन गेम के बजाए आउटडोर गेम खेलने के लिए प्रेरित करें. इसके लिए एक मजबूत पॉलिसी बनाने की जरूरत है.”
हमारा पैरेंटिंग सिस्टम और एकल परिवार है इस समस्या का दोषी
पब्जी खेलकर बच्चों के हिंसक होने पर महात्मा गांधी सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ बिहार के जनसंचार के प्राध्यापक और शोधार्थी डॉ. साकेत रमण कहते हैं, ’’जब किशोर मन में कोई एक चीज को बार-बार दिखाया, पढ़ाया और सुनाया जाता है, तो वह उसका आदि हो जाती है. चूंकि पब्जी एक टार्गेट बेस्ट गेम है, जिसमें दुश्मन को मारा जाता है. ऐसे में लगातार पब्जी खेलने वाला बच्चा वास्तविक जीवन में अपने से सहमति न रखने वाले को अपना दुश्मन मानकर उसकी हत्या कर देता है. यह मूल समस्या हमारे पैंरेंटिंग सिस्टम की भी हैं. एकल परिवार इसके लिए सबसे बड़ा दोषी है. बच्चे, गांव, परिवार और मानव समूह से कटते जा रहे हैं. वह एकांतजीवी हो रहे हैं. उसका सामाजिकरण ही गलत दिशा में हो रहा है. इसलिए इसके नतीजे भी अच्छे नहीं आ रहे हैं.’’