प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बुधवार को बाली में जी-20 शिखर सम्मेलन में कहा कि डिजिटल परिवर्तन हमारे युग का सबसे उल्लेखनीय बदलाव है। भारत में हम डिजिटल एक्सेस को सार्वजनिक कर रहे हैं, लेकिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अभी भी बहुत बड़ा डिजिटल डिवाइड है।
प्रधानमंत्री मोदी ने जी-20 शिखर सम्मेलन के डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि डिजिटल परिवर्तन हमारे युग का सबसे उल्लेखनीय बदलाव है। गरीबी के खिलाफ दशकों से चली आ रही वैश्विक लड़ाई में डिजिटल तकनीकों का उचित उपयोग बल गुणक (फोर्स मल्टीप्लायर) बन सकता है। डिजिटल समाधान जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई में मददगार हो सकते हैं, जैसा कि हमने कोविड के दौरान दूर से काम करने वाले और कागज रहित कार्यालयों के उदाहरणों में देखा।
किन्तु ये लाभ हमें तभी मिलेंगे जब डिजिटल एक्सेस सच्चे मायने मे समावेशी हो, जब डिजिटल प्रौद्योगिकी का उपयोग सचमुच व्यापक हो। दुर्भाग्य से अभी तक हमने इस शक्तिशाली टूल को सिर्फ साधारण बिजनेस के मापदंड से ही देखा है, इस पॉवर को लाभ और हानि के बहीखातों मे बांध के रखा है। डिजिटल ट्रान्सफर्मेशन के लाभ मानवजाति के एक छोटे अंश तक ही सीमित न रह जाएं, यह हम जी-20 नेताओं की जिम्मेदारी है।
उन्होंने कहा कि भारत के पिछले कुछ साल के अनुभव ने दिखाया है कि अगर हम डिजिटल आर्किटेक्चर को समावेशी बनाते हैं तो यह सामाजिक-आर्थिक बदलाव ला सकता है। डिजिटल उपयोग मे स्केल और स्पीड लाई जा सकती है। शासन में पारदर्शिता लाई जा सकती है। भारत ने ऐसे डिजिटल पब्लिक गुड्स विकसित किए हैं, जिनके मूल आर्किटेक्चर में ही लोकतांत्रिक सिद्धांत इन-बिल्ट हैं। ये सोल्युशंस खुला स्रोत, खुला एपीआई, खुले मानक पर आधारित हैं, जो अंतर-संचालित और सार्वजनिक हैं। भारत मे आज जो डिजिटल रेवलूशन चल रहा है, उनका आधार हमारी यही अप्रोच है। उदाहरण के तौर पर, हमारा यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (यूपीआई) लीजिए।
प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले साल, विश्व के 40 प्रतिशत से अधिक रीयल-टाइम भुगतान लेनदेन यूपीआई के जरिए हुए। इसी तरह हमने डिजिटल आइडेंटिटी के आधार पर 460 मिलियन नए बैंक खाते खोले, जिस से भारत आज फाइनेंसियल समावेश में ग्लोबल लीडर बन रहा है। महामारी के दौरान भी हमारे ओपन सोर्स कोविन प्लेटफॉर्म ने मानव इतिहास के सबसे बड़े टीकाकरण अभियान को सफल बनाया।
उन्होंने कहा कि भारत में तो हम डिजिटल एक्सेस को सार्वजनिक कर रहे हैं, किन्तु अंतर-राष्ट्रीय स्तर पर आज भी एक बहुत बड़ी डिजिटल डिवाइड है। विश्व के अधिकतर विकासशील देशों के नागरिकों के पास किसी भी प्रकार की डिजिटल पहचान नहीं है। केवल 50 देशों के पास ही डिजिटल भुगतान प्रणाली मौजूद है। क्या हम साथ मिल कर यह प्रण ले सकते हैं कि अगले दस सालों में हम हर मनुष्य के जीवन मे डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन लाएंगे, डिजिटल टेक्नॉलजी के लाभ से विश्व का कोई व्यक्ति वंचित नहीं रहेगा।
प्रधानमंत्री ने कहा कि अगले साल अपनी जी-20 अध्यक्षता के दौरान भारत सभी जी-20 पार्टनर्स के साथ इस उद्देश्य के लिए काम करेगा। विकास के लिए डेटा का सिद्धांत हमारे प्रेसीडेंसी के कुल मिलाकर थीम एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्यका अभिन्न अंग रहेगा।